"मोटू और पतलू"
"मोटू और पतलू"
हमारे क्लास में एक लड़की थी विधि बहुत मोटू हर कोई उसको "टुनटुन" नाम से पुकारता था।
एक देखी हमने बहुत गोलू-मटोलू होते ना ये बड़े जॉली नेचर के होते या ज़िंदा दिल खूब हंसेंगे भी और हंसाएंगे भी मेरी वो दोस्त विधि आठवीं कक्षा में थे उम्र भी अल्हड़पन की और बहुत सी नादानियां, बेफिक्र सी ज़िन्दगी जिसमें बस अपने में मस्त ऐसे ही थे। इत्तफाक से जब मुझे उसकी सीट पर जगह ही मिली मेरा न्यू एडमिशन, लड़कियां हंसने लगी मैं बहुत ही दुबली-पतली थी मज़ाक उड़ाने लगी धीरे से कहती है।
ये तो "मोटू और पतलू" की जोड़ी एक लड़की हँस कर कहती है हां-हां बैठ जा तू तो थोड़ी सी बैंच पर आ जाएगी और क्लास में कहकहे लगने लगे, मैं थोड़ी सी नर्वस हो गई।।
बहरहाल विधि ने बड़ी दिलदार और हिम्मती लड़की थी, जब मेरा चेहरा उतरा हुआ देखा तो झट से मेरा हाथ पकड़ कर बिठा लिया और जो मज़ाक़ उड़ा रहीं थी उनको सटीक जवाब दिया। तुम क्या जानो दोस्ती को मैं मोटू हूँ तो क्या मेरा दिल बहुत बड़ा है मेरे शरीर की तरह तुम जैसे चुहिया की तरह नहीं है छोटा सा, अरे हमारे कक्षा में नई आई है हमें वेलकम करना चाहिए कि उसका मज़ाक़ बनाए। मुझे थोड़ी हिम्मत आई उसने मेरा नाम पूछा "साजिश" पीछे से किसी का जुमला उछला "पतलू "तेरी जोड़ीदार है।
उस दिन से हमारी पक्की दोस्ती हो गई धीरे- धीरे मैं भी उसकी तरह अलमस्त हो गई और ख़ुश रहने लगी साथ ही निडर भी हो गई। ऐसी थी मेरी जोड़ीदार।