मंच को नमन
मंच को नमन
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बिछा रहे जो राह में कांटे
मक्कारी से जो भरपूर
ईमान धर्म ताक पर रखकर
जो अभिमान में रहते चूर
कांटा बन कर बात चुभे तो
दिल तक दस्तक दे जाती
नया मोड़ जिंदगी ले लेती
बातें पीछे सब रह जाती
कांटा बनकर नहीं दुखाना
दिल किसी का भी भूलकर
कंटक जीवन तब हो जाएगा
झूलेगा अभिशापों के शूल पर
कांटा नहीं फूल बन जाना
पथिक पथ से शूल हटाना
मिले राह में दीन दुखी जो
बढ़कर उनको गले लगाना
कांटो में रहकर भी देखो
फूल हंसते मुस्कुराते हैं
खिलकर सबको संदेशा दे
जीने की राह दिखाते हैं।

