STORYMIRROR

Renuka Tiku

Children Stories Comedy Drama

4  

Renuka Tiku

Children Stories Comedy Drama

मिमकी मग्गू और गप्पू

मिमकी मग्गू और गप्पू

8 mins
375

गप्पू नंदी और मताई का एकलौता पुत्र था।5 साल का गप्पू अपने नाम के अनुरूप ही गप्पे हांकने में बहुत ही होशियार था। गप्पू की अपनी एक काल्पनिक दुनिया थी जिसमें न जाने कितने प्रकार के जीव जंतु थे। नदीऔर मताई पेशे से मछुआरे थे और सुबह-सुबहअपना जाल उठा मछली पकड़ने निकल जाते।गोपू पास ही के एक आंगनवाड़ी में जाताऔर माता-पिता के आने से पूर्व हीअन्य बच्चों के संग घर लौट आता।बच्चे ही उसके श्रोता थे,और बड़े ही ध्यान से उसकी गप्पे सुना करते।

पिछले सप्ताह नंदू और मताई ने समुद्र से एक सुनहरे रंग की मछली पकड़ी।मछली बेहद खूबसूरत थी,कुछ आकर्षण तो जरूर था उसमें, जिस कारण उन्होंने उसे एक पानी से भरे प्लास्टिक के टब में डाल दियाऔर घर ले आए।उन्होंने सोचा कि गप्पू इसे देखकर बहुत खुश होगा। गप्पू ने जैसे ही उस मछली को देखा,उसकी आंखों में एक चमक सी आ गई और चिल्ला कर बोलाअरे! मिमकी मिल गई! मिमकी मिल गई! देखा, मिमकी, मैंने बोला था ना तुमसे कि हम मिलेंगे,और जरूर मिलेंगे।

नंदू और मताई गप्पू की बातें सुन अचरज में पड़ गए- मताई ने बोला -गप्पू अब यह एक और गप्प? हम अभी थोड़ी देर पहले इसे पकड़ कर ला रहे हैंऔर तुमने इसका नाम संस्करण भी कर दिया,और अब इसे पहले से जानने का दावा भी कर रहे हो।गप्पू…. गप्पू! बस भी करो कहकर वह अंदर चली गई।

अचानक एक अजीब सी घटना हुई - मिमकी ने अपनी पूंछ को प्लास्टिक के टब में पटकना शुरू कर दिया,मानो मताई की बात का विरोध कर रही हो।नंदू ने जब देखा तो सोचा कि शायद पानी कम हो गया है टब में ,तो इसे सांस लेने में तकलीफ हो रही होगी ।,वह जल्दी से एक बड़े बर्तन में पानी लेकर आया और टब में उड़ेलने लगा। अरे!यह क्या? मिमकी ने उछलकर नंदू के हाथ पर अपने मुंह से वार किया।

गप्पू बोला- मिमकी डरो मत! डरो मत! बाबा तुम्हें कुछ नहीं करेंगे।तुम आराम से बैठो मिमकी, उछलो मत! मैं तुम्हारे खाने के लिए कुछ लाता हूं।नंदू कभी मिमकी को तो कभी गप्पू को देखने लगा।

अब स्कूल में गप्पू ने मिमकी पुराण शुरू कर दिया। दोस्तों के बीच मिमकी की चर्चा एक ताजा समाचार सी हो गई थी।गप्पू बीच में और आसपास मित्रों की टोली। 

गप्पू ने बताना शुरू किया - जानते हो- मिमकी को आजकल मैं ट्रेनिंग दे रहा हूं।मैं उसे बोलता हूं पीछे हो जाओ,तो वह पीछे चली जाती है,मैं उसे बोलता हूं मिमकी छुप जाओ,तो वहां टब की सतह पर चली जाती है और मुंह बिल्कुल नीचे कर लेती है। मैं कहता हूं-मिमकी जंप,तो वह उछाल के नीचे आती है,बोलते बोलते गप्पू नाटकीय अंदाज में खुद भीउछलता ,और बच्चों की आंखें गप्पूकी के साथ-साथ कभी ऊपर और कभी नीचे घूमती रहती।।मैं हवा में पॉपकॉर्न्स फेंकता हूं और कहता हूं कैच,मिमकी उछलकर पॉपकॉर्न मुंह में भर लेती है।गप्पू के हाथों और चेहरे के हाव-भाव में बच्चे इस तरह खो जाते कि उन्हें समय का आभास ही ना रहता। गप्पू अपने को किसी हीरो या नेता से कम ना समझता।

घर में गप्पू कई बार मिमकी के पास अकेला बैठ सोचता की कितनी सीमित है मिमकी की दुनिया? जब मैं स्कूल चला जाता हूं कितना बोर होती होगी ना अकेले? सारा दिन बेचारी पानी में ही पड़ी रहती है।कितना अच्छा होता की मिमकी मेरे साथ बाहर जा सकती,मैं इसे अपने सब दोस्तों से मिलवाता,कितना खुश होते सब मिमकी को देखकर! सब इसको कितनी अच्छी-अच्छी चीज देते जैसे पॉपकॉर्न,आटे का लड्डू,मूंगफली।

बरसात के दिनों में एक दिन स्कूल से लौटते वक्त उसे एक मेंढक के टर्राने की आवाज सुनाई दी।उसने देखा की एक मेंढक की टांग में किसी पतंग का धागा लिपटा हुआ है,और वह उसी में उलझ करआगे निकलने में असमर्थ है।गप्पू ने आगे बढ़ाकर उसे वहां से निकलाऔर धीरे-धीरे धागा खोल मेंढक को अपनी जेब में डाल घर ले आया।घर पहुंचते ही उसने उसे मिमकी के टब में डाल दिया।गप्पू बोला-मिमकी तुम अकेले बोर होती हो ना? देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया? अब तुम इसे दोस्ती कर सकती हो।इसका नाम मग्गू है।नंदू ने जब मेंढक को देखा तो गप्पू को गुस्से बोला कि इसे वापस बाहर छोड़ कर आओ।परंतु गप्पू बोला कि यह तो मिमकी का दोस्त है,देखो दोनों कितने प्यार से खेल रहे हैं।और मग्गू जी मिमकी के साथ टब में विराज गए। 

मग्गू रोज रात को टब से उछल कर बाहर निकलता और घर के किसी भी कोने में छिप जाता,कभी बर्तनों के पीछे,तो कभी किसी ड्रम के पीछे। कई बार तो दरवाजे के नीचे से निकलने का प्रयास भी किया उसने।

गप्पू सुबह आवाज़ दे दे कर उसे ढूंढता और मिलने पर फिर से टब में डाल देता !

एक दिन गप्पू को न जाने क्या सूझा कि उसने मग्गू के एक पैर में रस्सी बांधकर उसे घूमने बाहर ले गया।आगे आगे गप्पू और उसके मित्र और पीछे पीछे लुढ़कता पुडकता मग्गू! सब मस्ती में नाचते गाते जा रहे थे और मग्गू कब रस्सी से अलग हो कहीं का कहीं पहुंच गया किसी को पता ही ना चला।जब उन्होंने पीछे से तेजी से दौड़ते हुई बिल्ली को झाड़ियां में घुसते देखा, तो सबको समझ आ गया की मग्गू झाड़ी में छुप गया है और आज तो मग्गू गया।

रोटी-धोते गप्पू घर लौटा और मताई से बोला -मग्गू खो गया मां,नहीं नहीं मग्गू को बिल्ली ने खा लिया। मताई ने उसके आंसू पोंछते हुए कहा-मेंढक को कौन इस तरह बाहर ले जाता है?और मेंढक कोई पालतू जानवर थोड़ा ना है? 

गप्पू अपना दुखड़ा सुनाने मिमकी के पास गया। मिमकी पानी में से उछल कर मुंह उठा उसे देखती ,फिर पानी में छुप जाती।

अब गप्पू को लगा कि कल स्कूल में सब दोस्त सभी को बता देंगे की मग्गू कैसे भाग गयाऔर वह हंसी का पात्र बन जाएगा।वही हुआ जिसका गप्पू को डर था।दोस्तों ने उसे घेर लियाऔर कहा-तेरा मग्गू तो भाग गया गप्पू! उन्होंने नारेबाजी लगानाऔर उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया-गप्पू का मग्गू भाग गया ! गप्पू का मग्गू भाग गया!

गप्पू उन्हें समझाते हुए बोला-अरे! वह अपने घर वालों से मिलने गया था, शाम होते ही वह लौट आया था और अगर तुम्हें विश्वास नहीं तो घर आकर अपनी आंखों से देख लेना।

बोल तो दिया गप्पू ने परंतु अब मग्गू को कहां से पकड़ कर ले आए? कुछ नहीं सूझ रहा था गप्पू को। काफी देर तक इधर-उधर घूमता रहा शायद कोई दूसरा मेंढक ही मिल जाए। थक कर एक पेड़ के नीचे बैठ गया गप्पू।बैग से रोटी निकल कर बेमन से खाने लगा पर चिंता और गुस्से ने उसकी भूख प्यास मिटा दी थी।रोटी के छोटे-छोटे टुकड़े कर इधर-उधर फेंकने लगा। अब गप्पू के सम्मान का प्रश्न था। सोच में पड़ा हुआ गप्पू अचानक उछलकर खड़ा हुआ-उसके पैर के पास गिरा हुआ रोटी का टुकड़ा एक गिलहरी उठाकर भागी। गप्पू के दिमाग की घंटी बजी।

गप्पू वहीं बैठ गया चुपचापऔर बाकी रोटी के टुकड़े भी अपने आसपास बिखेर दिए। बहुत प्रतीक्षा के बाद गिलहरी दोबारा वहां आई और धीरे से एक टुकड़ा उठाया ,फिर दूसरा, फिर तीसरा,अब एक छोटा सा टुकड़ा गप्पू की जुराब पर चिपका हुआ था,जैसे ही वह उसे खाने आई,गप्पू ने उसे पकड़ अपने बैग में डाल दिया। ची ची ची -उछलकर गिलहरी नेउधम मचा दिया।

घर पहुंच कर उसने दरवाजा बंद किया और गिलहरी को निकाला,जैसे ही गिलहरी बाहर निकली वह उछल कर खिड़की पर चढ़ी और फिर दीवार पर चढ़ गई।गप्पू उसे पकड़ने के लिए यहां से वहां और वहां से यहां दौड़ता रहा घर की सारी चीज तीतर भीतर हो गई,मानो घर में भूचाल आया हो।गिलहरी कहां हाथ आने वाली थी।थक हार कर वह एक कोने में बैठ गया और उसे टकटकी लगाए देखता रहा।नंदू और मताई ने लौटकर जब घर की हालत देखी तो सर पकड़ लिया। मताई गुस्से से बोली --यह क्या है गप्पू? क्या हाल बनाया हुआ है घर का? गप्पू बोला -यह सब मग्गू ने किया है,,उंगली से इशारा करते हुए बोला- वह देखो खिड़की के ऊपर। मग्गू? यह मग्गू है?मताई गुस्से से बोली- हमें मूर्ख समझ है क्या ? उसने गप्पू के कान खींचते हुए बोला। यह तुम्हें कहां से मेंढक दिखता है? पहले तू मेंढक लेकर आयाऔर अब यह गिलहरी? तुरंत बाहर निकालो इसे। मताई दरवाजा खोलने के लिए मुड़ी,पर गप्पू मां के पैरों में गिर पड़ा और बोला- कल, मां,कल मैं खुद इसको छोड़ आऊंगा,आज नहीं।यह मग्गू है, मेरे दोस्त इससे मिलने आएंगे। मताई ने फिर बोला गप्पू- बुद्धि कहां गई है तुम्हारी? यह मेंढक नहीं गिलहरी है,तुम्हारे मित्रों को दोनों में अंतर नहीं दिखेगा क्या?

गप्पू बोला-वह मुझ पर छोड़ दो ना मां। मैं इसकी पूछ छुपा दूंगा।

गप्पू नेअपने पिताजी नंदू को एक प्लास्टिक का साबुन का डिब्बा दिया और बोला कि उसके ढक्कन के बीच में एक झरोखा बना दे जिससे केवल गिलहरी का चेहरा ही दिखाई दे सके।

गिलहरी को पकड़ जबरदस्ती उस डिब्बे में डाल दिया गया और ऊपर से एकरंगीन रिबन से बांध दिया गया।ऊपर से कुछ मुंगफलियां भी डाली गई। गिलहरी ने काफी उछाल कूद मचाई। गोपू ने डिब्बे को हाथ में ही पकड़ लिया।

दोस्तों की टोली आई और बड़ी शान से ने गप्पू ने साबुन का डिब्बा पेश किया।इससे पहले की मित्रगण कोई सवाल करते,गप्पू बोला-मग्गू जब से लौटा है,बहुत शैतान हो गया है,तो मैंने इसे इस डिब्बे में रख दिया। देखो इसे और कर लो तसल्ली।

बच्चे कुछ हैरान से थे,एक बोला गप्पू,मग्गू थोड़ा बदला हुआ सा नहीं लग रहा,और यह डिब्बा कैसे उछल रहा है?दूसरा बोला-यह तो चूहा जैसा लग रहा है।गप्पू उनकी बातें काटते हुए बोला-हां कल बिल्ली को देखकर डर गया था ना मग्गू, कहकर उसने ऊपर से एक मूंगफली डाली जिससे डिब्बा हिलना बंद हो गया। बच्चे अभी भी असमंजस में थे ।क्या मग्गू वास्तव में मूंगफली खाता है?

किसी में गप्पू की गप्पू की बात काटने की क्षमता नहीं थी या यूं कहिए अपने विश्लेषण पर विश्वास ही नहीं था।खैर सब आंशिक रूप से आश्वत थे - तो चाय और बिस्कुट खाकर वहां से लौट गए।गप्पू भी खुश था कि उसकी चालाकी और समझदारी काम आई।बहुत देर तक उछलता कूदता रहा और फिर थक कर सो गया।अब सुबह का नजारा देखिए-

साबुन के डिब्बे का तला गायब और साथ ही नया मग्गू! यानी गिलहरी!

गप्पू ने डिब्बा खाली देखा तो हैरान परेशान हो रोते- रोते मां के पास गया और बोला-मां यह मग्गू भी भाग गया।

मताई बोली-गप्पू यह गिलहरी थी मेंढक नहीं।जानते नहीं उनके दांत कितने तेज होते हैं? उसको तुमने जबरदस्ती कैद करके रखा था और उसने अपने को आजाद कर लिया।उसनेअपने तेज दांतों से डब्बे को कुतर लिया और अपने घर निकल गई।चलो, अब स्कूल की तैयारी करो।और हां गप्पू ,कुछ दिन में हम मिमकी को भी समुद्र में छोड़ने चलेंगे,देखो यह अब इस टब के लिए बहुत बड़ी हो गई है,इसे इस टब में घूमने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिलती।

गप्पू की आंखें भी गई,धीरे से बोला-ठीक है और स्कूल के लिए निकल गया।


Rate this content
Log in