लोकगाथा
लोकगाथा
लोकगाथा अथवा लोक कहानी वह विधा है जिसमे हमारे पूर्वजों की वाणी निहित होती है।
लोक गाथाएं समाज को एक नयी दिशा देने का कार्य करती है।
अधिकांश लोक कहानियाँ शिक्षा से प्रेरित होती है, जिसमे ज्ञान की बातें पढ़ने और समझने को मिलती है।
छोटी-छोटी कहानियों से संपूर्ण जीवन दर्शन का भाव परिलक्षित हो जाता है। या हम इसे यों कह सकते हैं कि गागर में सागर समाया होता है।
आज के जीवन में लोकगाथाओं का बड़ा महत्व है। बात सिर्फ उसे समझकर आत्मसात करने की होती है। छोटी-छोटी कहावतों में जीवन का सार समाया होता है। कुछ लोक कहानियों में मानव-जीवन का भविष्य भी देखने को मिलता है। अतः आज के समाज में भले चाहे लोकगाथाओं का महत्व ना हो लेकिन हम इसे पूर्णरूप से नकार भी नहीं सकते है।
साहित्य की समस्त विधाओं में लोक कहानी एक अनुपम विधा है, जिसमे गांव-समाज और ना ध्यान देने वाली बातों पर अधिक ध्यान आकर्षित कराया जाता है। समाज और दुनिया डगमगाये ना कहीं यही सोच लोक कहावतों में भी दर्शाया जाता है।
साहित्य समाज का दर्पण कहा जाता है। अर्थात जिस प्रकार का साहित्य होगा समाज वैसे ही बनता है।
हमें जरुरत साहित्य को संवारने की है, मगर आज के लेखक और साहित्यकार केवल समाज की परिस्थिति को देखकर अपनी कलम चलाता है।
समाज कैसा होना चाहिए इस क्षेत्र में कोई खास ध्यान नहीं देता है।
जीवन को समझने के लिए और सुकून की ज़िन्दगी जीने के लिए मानव जीवन में लोक कहानियों का बहुत बड़ा योगदान है। हर इंसान को इन्हें पढ़ना और समझना चाहिए..!
