कसूर किस का
कसूर किस का


मम्मी आ गईं आप, बड़ी देर करदी आज, बहुत थकी हुई भी लग रही हैं। लीजिए पानी पीजिये, बेटे ने माँ की तरफ पानी का ग्लास बढ़ाते हुए कहा। हां बेटा!आज काम थोड़ा ज्यादा था, पास वाली टेबल के सहकर्मी छुट्टी पर थे, उनका काम भी मुझे ही देखना था। खैर --ये बताओ शाम के खाने के लिए क्या बनाना है। माँ ऐसा करते हैं, आज नूडल्स बना लेते हैं, आप हाथ मुंह धोइये, कपड़े बदलिए। मैं सब्ज़ियाँ काट पीट देता हूँ, आप आराम से नूडल्स उबलने रख दीजिए। ठीक है, गाजर का हलवा भी रखा है, वह भी साथ में खालेंगें। ये वार्तालाप जया और उनके बेटे शिवम के बीच चल रहा है।
जैसे ही जया अपने कमरे में जाने के लिए मुड़ती हैं, उनका मोबाइल बज उठता है, वे जैसे ही हैलो बोलती हैं, उनकी बेटी श्रिया की सिसकियों की आवाज़ सुनाई देती है। सिसकियों में छुपी वेदना जया के दिल में गर्म शीशे की तरह उतर जाती है, क्या हुआ बेटा! क्यों रो रही हो? वह और भी जोर से रोने लगती है, तुम दोनों का झगड़ा हुआ है क्या? आखिर बात क्या है?
श्रिया सिसकते हुए बोली "माँ ईश ने मेरी उंगली तोड़ दी।" इतना सब कैसे हो गया? माँ ने प
ूछा। माँ आज वो ऑफिस से ही लुटा हुआ सा आया था। मैंने चाय पकड़ाई थोड़ी प्लेट में गिर गई नाराज़ हो गया, फिर घूंट भर कर बोला चाय में शक्कर ज्यादा है, मैंने कहा रोज डालती हूँ उतनी ही डाली है, तो झगड़ने लगा, क्या मैं झूठ बोल रहा हूँ। फिर फ्रस्ट्रेशन में आपके लिए अनाप शनाप बोलने लगा, तुम्हारे पापा ने तुम्हारी माँ को छोड़ दिया। मैने कहा किसी ने किसी को नहीं छोड़ा है, अपनी मर्जी से दोनों अलग रहते हैं, तो कहने लगा जरूर तुम्हारी माँ का कोई कसूर होगा। मैने कहा ईश चुप कर जाओ, बहुत हुआ, तुम झूठ बोल रहे हो, तुम कुछ नहीं जानते, माँ के लिए कुछ मत बोलो, तो उसने गुस्से में मेरी उंगली मरोड़ दी।
बेटा मैने तुम्हें कितनी बार समझाया है, कि लोग जो भी सोचें, सोचने दो, सच्चाई क्या है कसूरवार कौन है, तेरे पापा जानते हैं, हम जानते हैं,और ईश्वर जानते हैं। माँ ईश लोगों में नहीं आते वो मेरे पति हैं, उन्हें सच्चाई का पता होना चाहिये, मैने आज ईश को बता ही दिया कि, पापा अपने परिवार की जिम्मेदारी को भुला कर अपने सुख की खातिर दूसरी औरत के साथ रह रहे हैं। कसूर किस का है, खुद ही तय कर लो।