"कोरोना लॉक डाउन-15(आपबीती)"
"कोरोना लॉक डाउन-15(आपबीती)"


आज सुबह वैसी ही थी जैसी कल थी ,धीमी।आज फिर स्टोरी मिरर से कॉल आयी थी।लिंक भेजा है,बुक पब्लिसिंग के बारे में कोई सवाल हो तो उनके लिए।
बेटे जी अब इर्रिटेट होने लगे हैं।लॉक डाउन 13 मई तक बढ़ने की बात आ रही है।उसे ड्राइंग करने को कहा है।वैसे बचता हैं सब से ,लेकिन आज बैठा।सीधे बॉल पॉइंट पेन से काफी अच्छी तस्वीर बना दी। एक लड़की जिसने अपने बाल एक तरफ किये है,मुझे पसंद आई।स्टोरी मिर्रर में अपनी कहानी के बीच मे फोटो ऐड करने का ऑप्शन है क्या ?
मन बहुत घबरा जाता है, जब भी किसी अपने या परिचित को कोरोना ट्रेनिंग/ड्यूटीके सुनती हूँ। अभी पता किया कुछ हैं, कुछ नहीं है। मेरे साथ कि एक मैंम हैं नीरज ।उनकी तस्वीर देखी FB पर ,मन धक्क से हो गया।वे खुद बीमार रहती हैं।अभी बीमारी से निकली हैं। नजला रहता है और वो ड्यूटी देंगी?!! क्या मुसीबत आयी है। पर अभी ये भी पता चला कि सिर्फ हेड ,प्रधान और आशा कार्यकर्ती की ड्यूटी लगेगी। फिर इनकी क्यों लगी?? मैं जब अपनों या दोस्तों की बात आती है हद दर्जे की स्वार्थी हो जाती हूं, जान पे न बनी हो तो कतई नहीं चाहती कि उनको किसी तरह का कोई कष्ट पहुंचे, भले मुझे हो।
अभी फोन पर डॉक्टर से बात की , उन्होंने 10 दिन की दवा बढ़ा दी। और थोड़ा थोड़ा चलने-बैठने को कहा है।आगे झुकना ,नीचे बैठना ,भारी सामान उठाना सब मना कर दिया। पर में उनको ये बताना भूल गयी कि मेरा पैर 30° से ज्यादा ऊपर नही उठ पा रहा। नस में खिंचाव और दर्द होता है।
कुछ देर पहले अपनी डेस्क सही की, बेटे ने बुक्स इधर उधर कर दी थी। बड़े दिनों बाद दोपहर में खाना डाइनिंग टेबल पर खाया था।अभी चाय बना के दी है, अब कमर में दर्द और खिंचाव महसूस होने लगा है।डॉक्टर को फोन करूं क्या? वो भी सोचेंगे कि वी आई पी बन गई है।फोन पर ही ...छोड़ो ज्यादा होगा तो इनको कहूंगी फिर ये उनको कह देंगे।
नीरज मैंम से बात की,पता चला नगरीय क्षेत्र के स्कूल से लगभग सभी टीचर्स की उनके आस पास के क्षेत्रों में ड्यूटी आयी है।क़ुरएन्टिन लोगों पर नजर रखनी है।
बेटा और सास जी अभी किसी बाबा जी पर बना पर धारावाहिक देख रहे है। हे भगवान!! उस पर भी महामारी की बात चल रही है,भक्त कब रहे हैं कि बाबा ही ठीक करंगे। कोई विरोधी हंसी उड़ा रहा है कि चमत्कार अभी तक क्यों नही हुआ। कोई कुष्ठ रोग का भूतपूर्व रोगी कह रहा है कि से बाबा ने उसे ठीक किया किंतु उसमे समय लगा पर में ठीक हुआ। वह बाबा के उपचार से लोगों के ठीक होने की बात कह रहा है।शुक्र है , उपचार की बात स्पष्ट की है। वार्ना जिस हाल में लोग इस वक्त हैं ,भीड़ लग जाती मंदिरों मे। कोई माने या न माने, आस्था और दृश्य श्रव्य मीडिया का गठबंधन बहुत असरदार होता है, दोनों अफीम हैं जो पता ही नहीं चलता कब आप पर असर कर गयीं और आप उसके नशे में वह सब कर जाते हैं जो आप सामान्यतः खुद के लिए सोच भी नही सकते। ख़ैर अब भजन चलने लगे।
स्टोरी मिरर का एक और ऑनलाइन डिस्कशन अटेंड किया काफी जानकारी मिली । विभु सर ने बहुत डिटेल में बताया।अच्छा लगा। ये भी पता चला कि अनजाने में ही मैं वह सब कर रही हूँ जो किसी लेखक को आज के जमाने मे करना चाहिए।क्या पता डेस्टिनी किस तरफ ले जा रही है।
स्टोरी मिरर के समय पर ही मम्मी जी ने रात का डिनर बना दिया। हमारी दोपहर में मिल कर काम करने की बात हुई थी। अब क्या होगा?! चलो ,अगली बार से ध्यान रखूंगी। अभी तो टी कॉन वाला प्रोजेक्ट भी शुरू नही किया। आज फिर जागरण करूँगी मगर आज की चिंता अलग होगी।
वो काम मुझे असहज करते हैं जो अचानक सौंप दिए जाय।और एक बात और समझ आयी कि अगली बार से कोई आपके काम या आईडिया की तारीफ करे तो समझ जाओ की कोई दूसरी ही बात है ,यूँ ही तारीफ नहीं होती।हर लेवल पर तारीफ एक "बेट" ही होता है, बस अंदाज और प्रेसेंटेशन अलग होता है।
ये कह रहे थे कि अब उनका मन वहां बिल्कुल नही लग रहा है। सब तरफ बंद है, माहौल में अजीब सी घुटन और बेचैनी है।सही बात है चहकते,इंसानो से भरे बाज़ार ,सुनसान से हो जाएं तो आते-जाते अजीब तो लगेगा ही। मम्मी जी सही कहती हैं कि ,'आदमी लक्ष्मी होता है '। मतलब चलता फिरता है बोलता है काम आता है तो लक्ष्मी जैसा होता है।बिन इंसान के इंसान ज्यादा दिन खुश रह ही नही सकता। यहां तो वो हालात नहीं है,पर वहां तो सब सील हो गया है।सच कहें तो अब हम सब ईश्वर के भरोसे ही बैठे है।
कितना अच्छा होता कि अचानक ही किसी साइंटिस्ट को इस कोरोना की दवा का फार्मूला मिल जाता।मुझे लगता है मिल जाएगा।