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Surendra kumar singh

Others

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Surendra kumar singh

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कोई आप से मिलना चाहता है

कोई आप से मिलना चाहता है

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जब भी आप कुछ बोलते हैं-आप अपना पता बताते हैं।आप के बोलने और आप के बोल के बीच में।आप का पता ढूंढना-जितना आसान है-उतना ही मुश्किल है।आप का बोलना एक सामान्य बात है और आप के बोल में आपका पता ढूंढना सामान्य बात नहीं है।

आपके बोलने में आपका ज्ञान और उद्देश्य छिपा रहता है।कभी-कभी आप हमको कुछ समझाते हैं-कभी कभी आप अपने बोल में अपने को,अपने उद्देश्यों और कर्तब्यों के प्रति समर्पित बताते हैं।यह होती है आप के गतिविधि की सड़क जिस पर आप सक्रिय रहते हैं।आप अपनी सक्रीयता में भी अपनी स्थिति का पता बताते हैं।कभी कभी बोलने से पहले आप सोचते हैं कि क्या बोला जाना चाहिये।आप को यह जानकर आश्चर्य होगा कि आप का सोचना भी एक बोल है-जिसे सुनकर आप का पता लगाया जा सकता है।सोचना भी सामान्य बात है,लेकिन सोच में आप का पता बताना आसान बात नहीं है।आप जब घनघोर अँधरे में भी कुछ बोलते हैं तो भी आप की स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है।

मनुष्य का पता और परिचय उसकी स्थिति होती है समाज मे उसके काल में।जितने भी आदमी हैं इस संसार में सबका अपना-अपना पता है।सबका अपना-अपना परिचय है।कभी एक ही पते पर दो आदमी मिल जाते हैं लेकिन उनका परिचय भिन्न भिन्न होता है।पता एक होने के बावजूद भी परिचय भिन्न भिन्न हो सकता है। कभी कोई शक्ति,प्राणी,या जीवन जो पृथ्वी से दूर किसी ग्रह या तारे पर निवास करती हो,जिसने सुन रखा हो कि पृथ्वी पर मनुष्य रहता है,वो आपसे मिलने पृथ्वी पर आये, तो उसके सामने क्या क्या समस्याएं आ सकती हैं।क्या वह मनुष्य से मिल पायेगी।क्या वह मनुष्य से बात कर पायेगी।क्या मनुष्य उससे बात करना जरूरी समझेगा।क्या मनुष्य उसको पहचान पायेगा।यह एक विचारणीय विषय है।

इस विषय पर विचार बहुत आवश्यक है।आवश्यक इसलिये कि कोई हम मनुष्यों से मिलने आये और उसके सामने ढेर सारी समस्याएं खड़ी हो जाये।किसी भिन्न ग्रह से कोई मेहमान आये और उसके सामने कठिनाइयां आ जायें।कोई हमसे मिलने के लिये एक लम्बी यात्रा तय करके हमारे पास आये और हमारी उससे मुलाकात ही न हो पाये।आने वाला मेहमान कठिनाइयों में फंस जाये।समस्या का जिक्र कर देने मात्र से उन बाधाओं की जानकारी नहीं मिल पाएगी-जो आने वाले मेहमान के सामने आ सकती है या जिनका वो सामना कर रहा है।मकसद है उसका मनुष्य से मिलना और इस मुलाकात में आ रही हैं समस्याएं। वैसे भी मनुष्य आजकल समस्याओं से घिरा हुआ है।सचमुच आज का आदमी समस्याओं के बीच मे पड़ा हुआ है।देश की समस्या, भोजन की समस्या, हवा की समस्या, पानी की समस्या।प्रकृति ने जो चीजे पहले से ही पर्याप्त मात्रा में दे रखी है,उसके लिये भी हम लोगों ने समस्या खड़ी कर रक्खी है।स्वांश लेने के लिये शुद्ध हवा तो दे रक्खी है प्रकृति ने पर उसके अंदर कुछ जहरीला सा पदार्थ घोल रक्खा है हम लोगों ने।पानी में रहने वाली मछलियों को भी श्वांस लेने में तकलीफ होने लगी है।पानी मे भी हवा का अभाव पैदा कर रक्खा है हम लोगों ने।पानी मे ऑक्सीजन की कमी हो गयी है और मछलियां पानी के बाहर मुंह निकालकर श्वांस ले रही हैं।

इन समस्याओं के बीच मैं उस समस्या का जिक्र कर रहा हूँ जो उस शक्ति,चेतना,या जीवन के सामने आ सकती है,जो पृथ्वी पर मनुष्य से मुलाकात करने के लिये ब्रह्मांड में स्थित किसी ग्रह से आ सकती है।अगर वो आयी और आकर किसी चौराहे पर खड़ी हो गयी-और चैराहे पर तमाशा देखने लगी ,तो यहाँ तो सभी भाग रहे हैं।कोई कार से भाग रहा है ,कोई बाइक से भाग रहा है तो कोई पैदल ही भाग रहा है।सब लोग भागते हुये जा रहे हैं और सबको जल्दी है,बहुत जल्दी है।सबके अपने -अपने काम हैं और अधूरे हैं और उन्हें पूरा करने के लिये भागे जा रहे हैं।सबकी अपनी-अपनी समस्याएं हैं और उनके समाधान की हड़बड़ी है और लोग भागे जा रहे हैं।कोई इतनी दूर से चलकर पृथ्वी पर आया है और चौराहे पर खड़ा है,आप से मिलना चाहता है और आप भाग रहे हैं,भाग रहे हैं।आप के परिचय का संकट उसके सामने है,उसे अपना परिचय आप को देना है और आप भाग रहे हैं।उसका अपना संकट है,किसको अपना परिचय दे,किसको अपना पता बताये। आप का इतना सा पता उसके पास है कि पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं।यहाँ तो बड़े बड़े देश हैं,बड़े बड़े शहर हैं और अगर आप के पास आदमी का पूरा पता नहीं है तो यह जनम तो पता ढूंढने में ही निकल सकता है।नाम हो,पता हो,फोटो हो तो मुमकिन है मुलाकात हो जाये।पर उसके पास तो आप का नाम भी नहीं है,पता भी नहीं है आप की कोई तस्वीर भी नहीं है।मुश्किलें अधिक हैं उसकी आप से मिलने में।बस एक छोटी सी जानकारी है आप के बारे में उसके पास कि पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं। आप अगर ब्रह्मांड में जीवन की तलाश कर रहे हैं तो आप को यकीन होना चाहिये कि ब्रह्मांड में कहीं जीवन जीने वाले लोग आप की भी तलाश कर सकते हैं।हम उसकी तलाश में होने वाली मुश्किलों से रूबरू हैं लेकिन अगर उन्हें यही नही मालूम है कि आप मनुष्य हैं तो उन्हें कैसा लग सकता है आप को देखकर।क्या सोच सकता है वो आप को देखकर।यहां पर आप की ब्यस्ततायें हैं और इन्हीं ब्यस्तत्वों में आप ब्रह्मांड में जीवन की तलाश कर रहे हैं।

लेकिन कोई आप की तलाश में यहाँ पृथ्वी पर भटक रहा है और अगर आप का उससे सम्पर्क हो जाये तो यह एक अच्छा परिचय होगा। आप की ब्रह्मांड में जीवन की तलाश की परियोजना को एक मन्जिल मिल सकती है।आप के ज्ञान का विस्तार हो सकता है।आप को उस स्थान का पता मिल सकता है जहाँ से कोई आप को ढूंढता हुआ यहाँ तक आया हुआ है।आप को मेरी बात कल्पना लग सकती है क्योंकि आप ने यह तय कर रक्खा है कि ब्रह्मांड में जीवन की तलाश सिर्फ आप ही कर सकते हैं और यह काम आप कर भी रहे हैं।यह जीवन की खोज में आप के एकाधिकार का सन्दर्भ है। आप का एकाधिकार है। अब अगर पृथ्वी पर कोई आ गया है और उसके अंदर जिज्ञासा है कि वह पृथ्वी के बारे में पूरी जानकारी जुटाएगा।कितना समय लगेगा उसको यह ज्ञान प्राप्त करने में।यह ज्ञान क्या हो सकता है।क्या फाइंडिंग हो सकती हैं उसकी।किसी ने उसको बता दिया है कि पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं और आप ने अपना पता बदल रखा है।

वो आप से मिलना चाहता है और आप कह रहे हैं में डॉक्टर हूँ।मैं इंजीनियर हूँ।मैं वकील हूँ।मैं अभनेता हूँ।मैं गायक हूँ।मैं कवि हूँ।मैं साहित्यकार हूँ।मैं बैज्ञानिक हूँ।मैं राजनीतिज्ञ हूँ।उसने सुन रखा है पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं और आप ने अपना पता ही बदल लिया है।आप कहते हैं में साधु हूँ।मैं मौलवी हूँ।मैं पादरी हूँ।मैं कथावाचक हूँ।मैं ज्ञानी हूँ।मैं सन्त हूँ।मैं फकीर हूँ।उसने सुन रक्खा है पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं और आप कह रहे हैं ।मैं अमेरिकन हूँ।मैं ब्रिटश हूँ।मैं जापानी हूँ।मैं पाकिस्तानी हूँ। मैं फ्रांसीसी हूँ।उसने सुन रखा है पृथ्वी पर मनुष्य रहते हैं और आप कह रहे हैं।मैं धोबी हूँ।मैं कारपेंटर हूँ।मैं मोची हूँ।मैं ब्राह्मण हूँ।मैं क्षत्रिय हूँ।मैं बनिया हूँ।मैं मुसलमान हूँ।मैं हिन्दू हूँ।मैं बौद्ध हूँ।मैं ईसाई हूँ।मैं जैनी हूँ।आप उसकी परेशानियां समझ सकते हैं।उसे मनुष्य की तलाश है और आप ने अपना पता बदल डाला है।आप हैं तो मनुष्य लेकिन कहते हैं मैं बैज्ञानिक हूँ।मैं मजिस्ट्रेट हूँ।मैं मुख्य सचिव हूँ।मैं विदेश सचिव हूँ।आप अपना पता कुछ आकर्षक बताते हैं और इस आकर्षक परम्परा से लगता है पृथ्वी पर मनुष्य रहता ही नहीं।मनुष्य अतीत की बात हो गया है पृथ्वी पर।नये नये जीव आ गये हैं पृथ्वी पर।बौज्ञानिक आ गये हैं,राजनीतिज्ञ आ गये हैं।तो आप के इस बदले हुये पते के बीच अगर बाई दी वे उसे इस बात का विश्वास हो जाये कि ये सारे पते मुनष्य के ही हैं।तो वो आप को खोजना शुंरु कर देगा किसाहित्यकारों के अंदर मनुष्य कहाँ है।राजनीतिज्ञों के अंदर मनुष्य कहाँ है।

सचमुच में जब आप कुछ बोलते हैं तो जाने अनजाने अपना एक पता छोड़ते देते हैं।जब आप बोलते हैं तो आप अपने अस्तित्व को लोकेट करते हैं।चाहे आप अपने पेशेगत ज्ञान को प्रकट करते हैं, चाहे आप अपने ज्ञान का लोहा मनवाने के लिये कुछ बोलते हैं पर जब आप बोलते हैं तो उसके अंदर से एक सन्देश निकलता है, एक सूचना निकलती है कि यह मैं हूँ।आप के विचारों में आप की एक स्थिति होती है, तब ढूंढने वाला आप को ढूंढ लेता है कि आप वहाँ हैं।आप कितने ज्ञानवान हैं ।आप कितने मनुष्य हैं।आप के विचार में आप का पता मिल जाता है।फिर आप का नाम मिल जाता है आप का देश मिल जाता है, आप का शहर मिल जाता है,शहर में आप का मुहल्ला मिल जाता है,मुहल्ले में आप का घर मिल जाता है और ढूंढने वाला ढूंढता हुआ आप के मकान के दरवाजे पर दस्तक लगा सकता है।यह बताने के लिये कि मैं फलां जगह से आपसे मिलने के लिये आया हुआ हूँ।इतनी इतनी परेशानियां हुयीं आप का पता ढूंढने में और आप उससे मिलने से इनकार कर सकते हैं।मिलने वाला आप के लिये बेमतलब सी चीज हो सकता है।अनुपयोगी हो सकता है आप के लिये।

उसने आप को अपना पता बताया जहां से आया है उस जगह का नाम बताया।आप के ज्ञान में तो उस जगह का नाम ही नही है।वो कहेगा आप से आप हमारे ही वंशज हैं और फलां समय मे आप के वंशज पृथ्वी पर चले आये और हमारे वंशज वहीं रह गये और अब इतने दिनों बाद हम लोग यहां इस पृथ्वी पर मिल रहे हैं।आप उसे विचित्र निगाहों से देख सकते हैं।आप उसे कोई सनकी समझ सकते हैं।आप को लग सकता है कि वो आप का अमूल्य समय नष्ट कर रहा है।फिर आप कोई खूबसूरत सा बहाना बनाकर उससे बात करने से इनकार कर सकते हैं।

अगर वो आप का परिचित होता, आप का कोई रिश्तेदार होता तो आप उससे मुस्करा कर मिलते-नाश्ता पानी होता और अगर आप के पास इस बात की पूर्व सूचना होती कि यह आदमी आप के लिये बड़ा उपयोगी है या यह आप का बास है, जिसका दर्शन पाना भी आप के लिये दुर्लभ है तो मालूम है आप क्या कहते।आप कहते यह आप का घर है उसके पैरों की धूल अपने माथे से लगाकर अपने आप को धन्य समझते।मेरे तो भाग्य के दरवाजे ही खुल गये हैं।मेरा भगवान ही मेरे घर आ गया है।लेकिन दूर से चलकर जो आप से मिलने आया था वो तो इतना ही कहेगा कि पता गलत निकला।यह वह मनुष्य नहीं लगता जिसकी मैंने चर्चा सुनी थी।जिससे मिलने मैं पृथ्वी पर आया हूँ।हो सकता है यह अपने आप को छिपा रहा हो,लगता तो मनुष्य जैसा ही है।चलो कहीं और चलते हैं।यह होती है एक सरल सी यात्रा,एक सहज खोज पृथ्वी पर आप की आध्यत्मिक और बैज्ञानिक ज्ञान के बीच।आप के अंदर मनुष्य नहीं मिला, और दूर दराज से आप से मिलने आया कोई आप से दूर चला गया। यह एक गलत अवधारणा है कि आप ही ढूंढ रहे हैं ब्रह्मांड में जीवन।मुमकिन है इस ब्रह्मांड के किसी ग्रह या पिंड का कोई आदमी या जीवन यहाँ पृथ्वी पर आप की तलाश कर रहा हो।यह कोई आध्यात्मिक बात नही है,यह कोई बैज्ञानिक बात नहीं है-यह तो एक सरल सी बात है। जो खोज आप की अभीष्ट है उसमें आज का मनुष्य होना-आप की महान उपलब्धि भी हो सकती है।

कितनी दिलचस्प स्थिति है आप ब्रह्मांड में जीवन की तलाश कर रहे हैं और यहाँ पृथ्वी पर कोई आप के अंदर मनुष्य की तलाश कर रहा है।आप को नहीं मालूम कि कैसा है वो।क्या खाता है,क्या पहनता है,कौन सी भाषा बोलता है।कैसे आ गया है पृथ्वी तक।दृश्य है या अदृश्य है। क्यों आप से मिलना चाहता है। उसके पास एक छोटी सी सूचना है कि पृथ्वी पर मनुष्य रहता है और आप के अंदर ही है वो मनुष्य।बेशक आप ने अपना पता बदल डाला है,आप ने अपनी पहचान बदल ली है-लेकिन आप।के इस बदले हुये पते और पहचान के बावजूद भी ढूंढने वाला आप को ढूंढ निकलेगा।कभी सोचिए आप को उस परियोजना पर भी काम करना चाहिये जिसमें उस शक्ति या जीवन का पता लगाये जाने की बात हो जो पृथ्वी पर आप की तलाश में आया हुआ है।जब आप बोलते हैं तब आप अपना पता छोड़ते हैं।क्या आप को कभी लगता है कि ब्रह्मांड में आप के जीवन की खोज सम्बन्धी बख्तबयों में इस सहज बात का हमेशा अभाव बना रहता है कि पृथ्वी के बारे में भी जानकारी प्राप्त करने की जिज्ञासा किसी पृथ्वी से परे रहने वाले जीवन में हो सकती है।क्या इस सम्भावना के अंदर कहीं आप हैं।क्या आप को उन मुश्किलों का ख़याल आ सकता है जो पृथ्वी की जानकारी लेने आये हुए किसी प्राणी या जीवन की खोज में आप के सामने आ सकती हैं।भई पृथ्वी पर मनुष्य की तलाश हो रही है और आप ने अपना पता बदल लिया है और आप बैज्ञानिक हो गये हैं।

आप की बैज्ञानिक उपलब्धियां इतनी तो जरूर हैं कि।पृथ्वी पर मनुष्यों को पानी के अभाव की आशंका सता रही है।पानी के लिये विश्वयुद्ध की सम्भावनाएं बतायी जा रही हैं।शुद्ध हवा का संकट है और अगर इन संकटों से उसे रूबरू होना पड़े जिसे आप की तलाश है तो आप के बारे में उसकी क्या अवधारणा बनेगी।इसके बारे में भी आपको सोचना चाहिये।कितनी त्रासदी है कि जिन चीजों को प्रकृति ने पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्यों के लिये पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया हुआ है मनुष्य उनके अभाव की आशंका में डूबा हुआ है।

कितनी त्रासदी है कि कोई हमे ढूंढता हुआ हमारी पृथ्वी पर आया हुआ है और अपना पता बदल लिया है।उससे मिलने से कतराते हैं। अगर ब्रह्मांड में जीवन की तलाश आप की जिज्ञासा है तो आप की जिज्ञासा का अंत नहीं है।अगर आप की तलाश इसलिये है कि आप उससे कुछ सीखना चाहते हैं तो पहले आप को पृथ्वी का पूरा ज्ञान होना चाहिये।प्रकृति में आये असंतुलन को ठीक करना चाहिये।हवा में घुले हुये जहर को बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिये।यह बात उस शक्ति अथवा प्राणी पर भी लागू होती है कि अगर उसे मनुष्य की तलाश है तो पहले उसे मनुष्य बनना चाहिये और अगर यह मुमकिन नहीं है तो मनुष्य को ही माध्यम बनाना चाहिये।अगर उसे मनुष्य का परिचय चाहिये तो उसे भी अपना परिचय मनुष्य को देना चाहिये।इंसान से परे जीवन के सन्दर्भ में पृथ्वी पर मनुष्य का ज्ञान अधूरा है।अगर कोई आप से कहे कि आप मुझे सुन सकते हैं पर देख नहीं सकते।कैसा लगेगा आप को।अगर वो आप से कहे मुझे देखने के लिये मेरे जैसी ही शरीर की रचना होनी चाहिये।क्या पल्ले पड़ेगा आप के।आप की कल्पना में भी तो उसकी सूरत नहीं है,है मगर दिखाई नहीं देता।है वो पर सिर्फ बोलता है।

आप उसे देख नहीं सकते पर सुन सकते हैं।कोई आप के पीछे लगा हुआ है,कुछ कह रहा है,लगातार कुछ न कुछ कहता जा रहा है आपसे।आप उसे सुन रहे हैं मगर देख नहीं पा रहे हैं।क्योंकि उसने भी आप की तरह अपना पता बदल रखा है।अगर वो आप से कहे कि मैं उस ग्रह से आया हुआ हूँ जहां आप का अंतरिक्ष यान उतर चुका है या ये कहे मैं उस ग्रह से आया हुआ हूँ जहां आप का अंतरिक्ष यान जाने वाला है।क्या असर पड़ेगा आप पर और आप की परियोजनाओं पर।अगर सचमुच अंतरिक्ष में कहीं हमारी तरह ही आप को जीवनधारी ब्यक्ति मिल जाय जिससे आप बात कर सकें और उसने आप से पूछ दिया क्या हाल है पृथ्वी का इन दिनों।कैसे लोग हैं पृथ्वी पर।क्या हो रहा है पृथ्वी पर।मुझे नहीं मालूम आप क्या उत्तर देंगें उसे।आप तो पृथ्वी पर अपने ज्ञान के विस्तार में ब्यस्त हैं।अधरी जानकारियां आप को निरुत्तर कर सकती हैं।

यह विसंगति ब्रह्मांड में भी है आप अपने अंतरिक्ष यान में यात्रा पर निकले हैं, आवाज आती है आगे खतरनाक रास्ता है आगे आप का यान किसी पिंड से टकरा सकता है और आप सभी कशमकश में है कि ये आवाज किसकी है, कहाँ से आ रही है।तब तक आप का यान किसी पिंड से टकराकर चकनाचूर हो जाता है।आप तो उस आवाज को पृथ्वी तक पहुंचाने में अक्षम हैं।पृथ्वी पर लोगों को यह नही मालूम।हो सकेगा कि आप के साथ क्या हुआ।कोई आप को गाइड कर रहा था और आप ने उसकी आवाज को अनसुना कर दिया। कितना सुंदर होता आप के पास भी उस जीवन के विषय में कोई जानकारी होती जिसकी तलाश में आप ब्रह्मांड को छान रहे हैं।कितना सुंदर होता आप के पास उसका पता होता जिसकी आप को तलाश है।भई उसके लिये अगर आप मनुष्य हैं तो आप के लिये उसे भी कुछ होना चाहिये।तब मुलाकात की कोशिश अधिक जानदार होती।अधिक फिलचस्प होती ,पर अभी तो मुश्किलें हैं।आप ने अपना पता बदल रखा है उसने भी अपना पता बदल रखा है।आप लोगों की खोज जिज्ञासा के निमित्त है और जिस दिन यह खोज आप के जरूरत के निमित्त होगी मुलाकात का सन्दर्भ बदल जायेगा।

कुछ लोग कहते हैं कि भविष्य में मनुष्य प्रजाति को बचाने के लिये उसे अंतरिक्ष में शिफ्ट करना जरूरी है क्योंकि पृथ्वी का अस्तित्व खतरे में है। लेकिन आप की आवाज में उसकी नहीं जो आप से मिलने आया है पृथ्वी पर ,जीवन की तलाश है और उसकी आवाज में आप नहीं मनुष्य की तलाश है।सम्भव है आप का यान उस ग्रह पर जा चुका हो जहां से वो यहां आया हुआ है।सम्भव है आप उसे उसके ग्रह पर देख ही नहीं पाये हों।ठीक वैसे ही जैसे वो आप को पृथ्वी पर ढूंढ रहा है और उसे मिल नहीं पा रहे हैं।इस कशमकश का एक अंत तो हो सकता है कि आप दोनों को एक दूसरे के बारे में इतनी न्यूनतम जानकारी तो हो कि आप लोग एक दूसरे को ढूंढ रहे हैं।

आप लोगों के पास एक दूसरे के बारे कुछ तो जानकारी हो।बावजूद इसके कि पृथ्वी पर ढेर सारी समस्याएं हैं।यहां तो आदमी ने आदमी से अपनी पहचान छिपा रखी है।अपना अपना पता बदल रखा है।फिर भो दो लोग अपनी अपनी आवाज के सहारे मिल लेते हैं।आवाज के सहारे आवाज के स्रोत तक पहुंचा जा सकता है और वहां असली पता भी मिल सकता है और आप विस्मय मे पड़ सकते हैं अरे यह तो शैतान है, साधु की आवाज में बोल रहा था।अरे ये तो भगवान हैं आदमी की आवाज में बोल रहे थे।अरे यह तो बिधवंसक है रचनाकार की आवाज में बोल रहा था।


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