"कल को कर्मा काटेगा"
"कल को कर्मा काटेगा"


कर्मा के हाथों भला कौन बच पाया, कल को तेरा कर्मा ही तुझे काटेगा।
इंसानों में एक बातें ग़ौर करी मैंने, वो खुद के Differences के आगे इंसानियत की शान से गला घोट रहा, उसे एहसास तक नहीं।
मानव ख़ुदा के कृति का सबसे कुशल योद्धा, आज खुद में जंग कर रहा, अपने वर्चस्व को बरकरार रखने के लिए मासूमों को मौत के लिए मजबूर कर रहा।Royalty के आड़ में उसकी इंसानियत अघोरी का रूप लेकर मानवों के बलि चढ़ा रहा, उस नरभक्षी को एहसास तक नहीं।
एक समय मर्द शब्द हमारे गौरव का प्रतीक हुआ करता आज सुनकर शर्म से आँखें झुक जाती है। ये हैवान अपने हवस की आग में न जाने कितनी नाज़ुक कलियों को मरोड़ कर झोंक रहा। मर्दानगी शब्द की गरिमा को शर्मसार कर रहा उसे लज्जा तक नहीं।
ये Title दबंग, माफ़िया, डॉन की ख़ौफ के आड़ में Nepotism का नंगा नाच बिखेरे है, उसे रत्ती भर भी शर्म–हया तक नहीं।।
कोई दूजा उसे क्या हराये, वो तो खुद के भाव के आगे नतमस्तक हैं, ये ईर्ष्या, क्रोध, जलन, दौलत, शोहरत,बदले की आग में हर रिश्ते को जलाने को तैयार है। ये असुरीय विचार उसे एक कीड़े की भांति रेंगने को मजबूर कर रहा पर उसे एहसास नहीं। भगवान बनने की होड़ में उसके अंदर का असूर उसे खुद का गुलाम बना कर उससे हर पाप करा रहा उस मूर्ख –पापी को एहसास तक नहीं।
वो लाशों की सीढ़ियों पर चढ़ शान से ऊँचाइयों को छू रहा पर माथे पे दर्द का एक शिकंजा तक नहीं। मानवता महज़ एक शब्द बनकर किताबों, दीवारों के किसी कोने में शर्मिंदगी से खून के अश्रु रो रहा, उन दानवों को दया तक नहीं।।
एहसास होगा, जरूर होगा, क्योंकि वक़्त से बड़ा कोई योद्धा नहीं।
जिस दिन उसकी इंसानियत उससे खुद के क़त्ल का कतरा-कतरा हिसाब चुकायेगी, नर्क से भी बत्तर वो पल बेहद दर्दनाक होगा।
दबंग, डॉन, माफ़िया ये सारे के सारे Title धरे के धरे रह जाएंगे, खुद की अच्छाई से वो ख़ौफ खायेगा, बिलखते हुए वो खून के आँसू रोयेगा।
जब मानवता उसके हर पापों का हिसाब लेगी और मज़बूर होकर मासूम मौत भी उसका साथ छोड़ देगी, वो पल उन सभी नाज़ुक जानों को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि होगी।
इंसानों से कहीं बढ़कर उसका कर्म होता है ये पंक्तियां सदा के लिए अमर हो जाएँगी।
और वक़्त सबका सिकंदर होगा।
कहते हैं: Nobody Dies a Void, Karma Screws Everybody and Also Gifts with all the Sorrow and Pain of the Past!