खुशहाल परिवार
खुशहाल परिवार
सुरेखा नित्य की भांति ऩिखिल और अखिल को भेजने के बाद अपने घर की साफ सफाई में लगी हुईं थीं तभी उनका मोबाइल बज उठा .... पति किशोर का सीरियस एक्सिडेंट हुआ है , किसी अनजान व्यक्ति ने हॉस्पिटल पहुंचा कर उन्हें खबर दी ... जब तक वह बदहवास हालत में हॉस्पिटल पहुंची , सब कुछ समाप्त हो चुका था ...निखिल कॉलेज में था और अखिल स्कूल में ....पल भर में सब कुछ बदल चुका था ... जिंदगी ने ऐसी करवट बदली कि सुरेखा को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ...
बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिये उन दोनों की पढाई जारी रहना आवश्यक था , इसलिये उन्होंने बच्चों को ट्यूशन देना शुरू कर दिया , जल्दी ही उनके परिवार की गाड़ी चल निकली थी .... निखिल ऒर अखिल दो शरीर और एक जान थे ... सुरेखा जी बेटों के आपसी प्यार को देख कर बहुत खुश होतीं थीं । निखिल का एमबीए पूरा होते ही उसे नौकरी मिल गई फिर उसने मां का ट्यूशन करना बंद करवा दिया था ।
ऩिखिल की दोस्ती ऑफिस की सहकर्मी निशा से हो गई ... दोस्ती जल्दी ही प्यार में बदल गई ... फिर चट मंगनी पट ब्याह .... सुरेखा जी और अखिल निशा पर अपना प्यार लुटाने लगे लेकिन निशा को यह लगता कि निखिल की कमाई पर ये दोनों ऐश कर रहे हैं ....
अखिल नौकरी के लिये कोशिश कर रहा था लेकिन उसकी किस्मत साथ नहीं दे रही थी ....निशा ने पति के कान भरने शुरू कर दिये कभी अखिल की बुराई तो कभी सुरेखा जी की , यहां तक कि घर बिल्कुल जंग का मैदान बन गया ... दोनों भाइयों के बीच में बढती कड़वाहट के कारण आपस में बोलचाल बंद हो गई थी ।
उसी समय अखिल के लिये दिल्ली की एक कंपनी से कॉल लेटर मिला ... बस वह मां को लेकर चला गया ...अब निशा ने चैन की सांस ली ... आपसी दूरियां इतनी बढ गईं कि अखिल ने अपनी शादी का कार्ड भाई को भेजा तो निशा ने उसे नहीं बताया और कोई उत्तर भी नहीं दिया ...
निशा को बेटी हुई , उसके दिल में छेद था ,उसके इलाज की भाग दौड़ के चक्कर में उसकी नौकरी छूट गई और निशा का एक्सीडेट हो गया , उसकी रीढ की हड्डी मे चोट लग गई ... वह महीनों के लिये बेड पर आ गई ... हंसता खेलता परिवार मुसीबतों से घिर गया ...
इधर अखिल मांके आशीर्वाद और अपनी मेहनत के बलबूते तरक्की करता रहा , उसने अपना बंगला बनाया तो उसका नान ‘सुरेखा निवास ‘ रखा .... वह मां को हमेशा भाई की याद करते देखा करता था , उसे भी भाई के बिना अपनी खुशियां अधूरी लगती थीं लेकिन आपसी दूरियों के कारण मन में संकोच था कि पहल कौन करे... भाई निखिल उसकी शादी में भी नहीं आया ... फिर सुरेखा जी बीमार पड़ गईं और उनकी हालत सीरियस हो गई थी , डॉक्टर का कहना था कि यह मनही मन में किसी बात से घुल रहीं हैं .... वह समझ गया कि मां मन ही मन भाई को याद करती रहतीं है ... उसने ऑफिस से छुट्टी ली और गाड़ी लेकर भाई को बुलाने उसके घर पहुंचा , लेकिन वहां की हालत देख रो पड़ा ... जब अखिल भाई का आशीर्वाद लेने के लिये पैरों की ओर झुकने लगा तो उसने पकड़ कर अपने गले से लगा लिया था ....दोनों भाईयों ने गले मिल कर खूब आंसू बहाये ....
निशा की नजरें झुकीं थीं .....अखिल सबको अपने साथ लेकर दिल्ली आ गया ... निशा शर्म के मारे किसी से आंखें नहीं मिला पा रहीं थी.. दिल्ली में फीजियोथैरिपी से निशा जल्दी ही ठीक हो गई थी और उसने सुरेखा जी और अखिल से अपनी गल्तियों के लिये माफी मांगी सर गंगाराम हॉस्पिटल के इलाज से नन्हीं परी भी कुछ समय में स्वस्थ हो गई......... पूरा परिवार पहले की तरह हंसी ठहाकों से गूंजता रहने लगा था ... अखिल की पत्नी जया के जीवन में पहली बार नई खुशियों के आने की खबर से पूरा परिवार चहक रहा था ।सुरेखा जी अपने खुशहाल परिवार को एक साथ देख कर फूली नहीं समा रहीं थीं ....