काश मैं लड़की / लड़का होती
काश मैं लड़की / लड़का होती
भगवान ने तुम्हें आदमी बना कर तुम पर बहुत बड़ा परोपकार किया है , तुम आदमियों का अच्छा है। कही भी जा सकते हो, कुछ भी कर सकते हो, कुछ भी पहन सकते हो, अपनी मर्ज़ी से अपनी जिंदगी जी सकते हो, अपने पैसे को कही भी खर्च कर सकते हो बस, ट्रैन में अकेले कही भी जा सकते हो, काश में भी लड़का होती तो तुम्हारी तरह आजाद पंछी की तरह घूम रही होती, ऐश्वर्या ने अपने पति अशोक से कहा जो की उसके बगल में ही लेटा लैपटॉप में कुछ कर रहा था।
ऐश्वर्या की बात सुन अशोक ने अपना लैपटॉप एक तरफ रखा और बोला हमारी जिंदगी अच्छी है या तुम्हारी जिंदगी, मैं तो कभी कभी सोचता हूँ की काश मैं लड़की होता, घर पर रहता तुम्हारे पास तो कोई काम भी नहीं होता है , सिवाय दो चार लोगों का खाना बनाने के अलावा दिन भर घर में टीवी देखना और जब दिल चाहा कुछ भी बना कर खा लिया।
महीने की आखिर में पैसे मिल गए जिसके बाद तुम शॉपिंग पर चली गयी , या फिर कभी मेरे साथ बाजार से कुछ ले आयी , हम लड़के तो बसों में खड़े होकर सफर करते हुए जाते है। और तुम लड़कियों और महिलाओं की तो जगह पहले से ही आरक्षित होती है भीड़ भाड़ में अगर किसी लड़के का हाथ लग गया या फिर उसने तुम्हारी तरफ देख लिया तो तुम्हें लगता है की वो छेड रहा है, उसके बाद तुम पुलिस बुला लेती हो, और पुलिस और मीडिया भी लड़की पर जुल्म होता देख भागती हुयी चली आती है।
हम लड़के तो बेचारे अगर बेगुनाह भी हो, तो भी जरा सी गलती से दुनिया भर में बदनाम हो जाते है फिर कोई हमें काम पर भी नहीं रखता है , तुम लड़कियों की जिंदगी अच्छी है। पहले पिता और भाई के पैसों पर ऐश करो उसके बाद पति के पैसों पर, तुम्हारी जिंदगी अच्छी है बिना कुछ करें ही सब कुछ मिल जाता है। घर भी परिवार भी और हम लड़कों को ये सब बनाना पड़ता है ,हमें तो बचपन से ही सिखाया जाता है की पढ़ लिख कर अगर अच्छी नौकरी नहीं लगेगी तुम्हारी तो कोई बाप अपनी बेटी नहीं देगा फिर जिंदगी भर कुंवारे रहना।
तुम लड़कियां अच्छी तुम्हें तो कोई टेंशन नहीं तुम्हें तो कोई ना कोई मिल ही जाता है। जो तुम्हारे खर्चे उठा सके आज नहीं तो कल लेकिन हम लड़के बेचारे हमें तो संघर्ष की भट्टी में जलना ही पड़ता है , इसलिए मैं तो ईश्वर से यही प्रार्थना करता हूँ की अगर मेरे और जन्म होना बाकी है तो प्लीज् अगले जन्म मुझे लड़की बनना ताकि मैं भी आराम से घर पर रह कर बिना किसी टेंशन के जी सकूँ।
"तुम मर्दों को तो हमेशा से ही औरत द्वारा किया गया घर का काम, घर को संभालना, पूरे परिवार की खुशियों का ध्यान रखना उन्हें एक माला में पिरोया रखना एक मज़ाक लगता है , तुम्हारे लिए घर संभालना बच्चों की देखभाल करना किसी काम के अंतर्गत आता ही नहीं।
तुम मर्दों को तो लगता है की जिंदगी की गाड़ी तुम्हारे कांधों पर ही चल रही है , जबकि तुम्हारी जिंदगी आसान होती है शादी से पहले माँ बहन के हाथ का खाते हो, कपड़े धुले हुए मिल जाते है। उसके बाद जीवन संगिनी के नाम पर एक लड़की को अपनी दुल्हन बना कर ले आते हो और बस जब तक ही वो दुल्हन रहती है जब तक उसके हाथ की मेहंदी नहीं उतरती, और जैसे ही उसके हाथ की मेहंदी उतरी फिर उस बेचारी को करवाचौथ पर ही मेहंदी लगाने का मौका मिलता है। पूरा साल घर गृहस्थी सँभालने में निकाल देती है , मैं तो तंग आ गयी हूँ अपने इस स्त्री के रूप से जहाँ सारी रोक टोक स्त्री के माथे ही मढ़ दी गयी है , मेरी तो ईश्वर से प्रार्थना है की अगर मेरा अगला जन्म होना बाकी है तो प्लीज् मुझे लड़का बनाना ताकि अपनी जिंदगी अपने हिसाब तो जी सकूँ वरना तो इस पुरुष प्रधान समाज में स्त्री का तो कोई रुतबा ही नहीं " ऐश्वर्या ने कहा
"ठीक है, ठीक है अब इतनी शिद्दत से भी ईश्वर से अपने लड़का बनने की दुआ मत मांगो कही उन्होंने सुन लिया तो लेने के देने पड़ जाएंगे, मुझे नींद आ रही है। ये लड़का /लड़की का पाठ बंद करो, अब ईश्वर ने जैसा बना दिया है उसी में खुश रहो , मुझे नींद आ रही है। " अशोक ने कहा "हाँ, आपको क्या फर्क पड़ेगा , आपकी जिंदगी तो अच्छी है। कोई हमसे पूछे हमारे दिल पर क्या गुज़रती है ? जब कुछ करना चाहे, कही जाना चाहे, अपनी मर्ज़ी से जीना चाहे तब कितनी रूकावटें हमारे रास्ते में आती है सिर्फ इसलिए क्यूंकि हम स्त्री है। " ऐश्वर्या ने करवट बदलते हुए कहा और पैरों पर पड़ी चादर को अपने सर पर ढक कर सो गयी।
"शुक्र है, अब चेन से सौ पाऊँगा, इसे क्या पता लड़कों की जिंदगी में कितनी परेशानियां होती है , सही कहा है किसी ने की कब्र का हाल मुर्दा ही जानता है , कोई हमसे हमारे दिल का हाल पूछे तो पता चले की लड़का होना अपने आप में ही कितनी बड़ी बात है। अगर त्याग का कोई दूसरा नाम होता तो वो शायद लड़का होता " अशोक ने अपने आप से कहा और आँखें बंद करके सौ गया। वही ऐश्वर्या भी गुस्से में आँखें बंद करके सो गयी अगली सुबह अशोक के पास रखी अलार्म घड़ी में पांच बजे अलार्म बज गया , और अशोक की आँख खुल गयी तब ही पास लेटी ऐश्वर्या ने कहा " इसे बंद करो इससे पहले मैं इसे तोड़ दूँ।"
ऐश्वर्या की आवाज़ सुन अशोक ने उसे उठाया लेकिन जिस अंदाज़ में अशोक ने ऐश्वर्या को उठाया उस अंदाज़ में तो ऐश्वर्या अशोक को उठाती थी, ऐश्वर्या द्वारा अपनी ही आवाज़ पास लेटे अपने पति के मुँह से सुनी तो वो घबरा कर उठ खड़ी हुयी तो देखा उसका पति अशोक जो कल तक उसका पति था। अब एक लड़की जैसा बन गया था और वो लड़की कोई और नहीं वो खुद ही थी।
और जब ऐश्वर्या बन चुके अशोक ने अपनी पत्नी ऐश्वर्या की तरफ देखा तो पागलों की तरह हँसने लगा क्यूंकि उसका शरीर लड़के जैसा हो गया था। और उसकी शक्ल बिलकुल उसके जैसी थी दोनों जल्दी से बिस्तर से उठे और जाकर अपने आप को शीशे में देखा तो दंग रह गए उन्हें हसीं भी आ रही थी और दोनों को इस तरह देख थोड़ा अजीब भी लग रहा था।
तब ही अशोक जो की ऐश्वर्या बन चूका था। बोला " मैंने मना किया था इतनी शिद्दत से खुद को लड़का बनने की दुआ मत मांगो अगर ईश्वर ने सुन ली तो लेने के देने पड़ जाएंगे और अब देखो क्या हुआ। "
"क्या हुआ? अच्छा ही तो हुआ जो काम पहले ईश्वर ने नहीं किया वो अब कर दिखाया मैं तो बहुत खुश हूँ अपने इस नये रूप में, अब मैं आराम से दफ्तर जाऊंगा, बाहर घूम सकूँगा , खुल कर जियूँगा, क्या आप खुश नहीं है अपने इस नये रूप से आपको भी तो अरमान था। लड़की बनने का, तो अब जाइये लड़की की जिंदगी जिए और हाँ अलार्म बज चूका है , जाकर घर के काम कीजिये " अशोक बन चुकी ऐश्वर्या ने कहा
"हाँ, हाँ जा रहा हूँ, बस नाश्ता ही तो बनाना है। और बच्चों को स्कूल भेजना है। उसके बाद सिर्फ आराम और आराम " ऐश्वर्या बन चुके अशोक ने कहा और वहाँ से रसोई में चला गया
उसकी एक नज़र घड़ी पर थी और दूसरी रसोई में की सब के लिए क्या बनाया जाए, अंदर से अशोक बन चुकी ऐश्वर्या ने नाश्ते में पोहा बनाने को कहा, लेकिन बच्चे पोहा नहीं खाते है। इसलिए उसने उनके लिए आलू के पराठे बनाने की सोची
वही अशोक बन चुकी ऐश्वर्या भी जल्दी से बिस्तर से उठ खड़ी हुयी दफ्तर जाने के लिए, उससे वो बिस्तर छोड़ा नहीं जा रहा था। , अपनी नींद का सौदा करना उसे अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन क्या करती अब वो लड़का थी और घर के दाल आटे की ज़िम्मेदारी उसकी थी इसलिए उसे दफ्तर तो जाना ही था। ताकि पैसे ला सके, इसलिए वो उठ गयी और जल्दी से शावर लेकर बाहर आ गयी और जल्दी जल्दी तैयार हो गयी।
वही दूसरी तरफ रसोई में अशोक काम कर रहा था। जो की अब ऐश्वर्या था तब ही उसके बच्चे वहाँ आन पहुँचे जो की अभी तक तैयार नहीं हुए थे , एक तरफ रसोई में अभी किसी का भी नाश्ता तैयार नहीं हुआ था। वही बच्चे भी उठ गए थे और अशोका बन चुकी ऐश्वर्या भी तैयार हो चुकी थी दफ्तर जाने के लिए।
"हाय राम अब क्या करूँ, अभी तो किसी का भी नाश्ता नहीं बना है ," अशोक ने कहा बच्चे माँ को बुला रहे थे और वही अशोक बन चुकी ऐश्वर्या भी उसे बार बार बुला रही थी कभी मोज़े ढूंढ़ने के लिए तो कभी अपनी टाई बंधवाने के लिए
अशोक बन चुकी ऐश्वर्या भी खिसया रही थी उसे कुछ भी तो नहीं मिल रहा था। , दफ़्तर का ना कोई फ़ाइल ना ही जूते बार बार वो अपनी पत्नी को ही बुला रहा था।
जैसे तैसे करके ऐश्वर्या बन चुके अशोक ने नाश्ता बनाया और बच्चों को तैयार किया ज़ब टेबल पर नाश्ता करने बैठी तो पराठे जले हुए थे और पोहे में नमक ज्यादा था। इतनी मेहनत के बाद भी सब बेकार हो गया , ऐश्वरया बन चूका अशोक नाश्ता कर ही रहा था। की बच्चों की रिक्शा आ गयी और उसे उन्हें छोड़ने जाना पड़ा , और वही दूसरी तरफ अशोक बन चुकी ऐश्वरया भी लैपटॉप में दोपहर में होने वाली कॉन्फ्रेंस की तैयारी कर रहा था।
बच्चों को छोड़ के आ ही रहा था। अशोक की उसे याद आया की खाना तो रसोई में ही रखा रह गया और वो भागता हुआ बाहर की और दौड़ा लेकिन जब तक रिक्शा जा चुकी थी।
"है भगवान ये किया क्या मैंने, अब बच्चे भूखे रह जाएंगे, सुनिए आप जाते हुए बच्चों को खाना देते चले जाएंगे स्कूल में" अशोक ने ऐश्वर्या से कहा "पागल हो क्या, मुझे पहले ही देर हो रही है, दोपहर में कॉन्फ्रेंस मीटिंग है , उससे पहले ही ये सब फ़ाइल तैयार करना है, नहीं तो बॉस गुस्सा होगा और रेजिग्नेशन लेटर हाथ में थमा देगा, इतनी परवाह है बच्चों की तो और जल्दी उठ कर नाश्ता तैयार कर दिया करो नहीं तो खुद दे आना, तुम्हें अब काम ही क्या है। " ऐश्वर्या ने कहा
अशोक बहुत कुछ कहना चाहता था। पर कुछ कह ना सका और बिना नाश्ता किये ही, रसोई में जाकर ऐश्वर्या के लिए खाना पैक करने लगा, ऐश्वर्या भी जल्दी से घर से निकल गयी , बाहर निकली तो पर्स देखा उसमे ज्यादा पैसे नहीं थे और अभी सैलरी आने में समय भी था। इसलिए उसने ऑटो से नहीं बस से जाना सही समझा और वो थोड़ी दूरी पर बने बस स्टैंड पर जाकर खड़ा हो गया बस जैसे ही आयी वो भरी हुयी थी लेकिन फिर भी जैसे तैसे करके ऐश्वर्या उसमें बैठ गयी
बस में बहुत धक्का मुक्की हो रही थी जिसके चलते पास खड़ी लड़की और उसका हाथ लग गया और उस लड़की ने उसे चाटा मार दिया जबकि वो तो शराफत से खड़ा था। गलती तो बस ओट उसमे हुयी भीड़ की थी जो धक्का दे रही थी
खड़े खड़े टांगे टूट ने के बाद कुछ पैसे बचाने के बाद वो दफ़्तर पहुँचा , वहाँ बोस उसका इंतज़ार कर रहा था क्यूंकि दोपहर की मीटिंग अभी थोड़ी देर में ही शुरू होने वाली थी
ये खबर सुन ऐश्वरया घबरा गयी और जल्दी जल्दी तैयारियां करने लगी
वही दूसरी तरफ भूखा पेट अशोक घर के कामों में लगा हुआ था। की तभी उसने सोचा क्यू ना बच्चों को खाना मैं खुद ही दे आउ इसलिए उसने घर का काम वही छोड़ा और खाना लेकर चलने लगी लेकिन कैसे जाती ऑटो महंगा पड़ता और अभी घर खर्च भी चलाना था। इसलिए वो पैदल ही जाने लगा लेकिन रास्ते में कोई मंचला लड़का उसे परेशान ना करें इसलिए खुद को छिपाये हुए जा रही थी लेकिन फिर भी रास्ते में मिलने वाले आदमी उसे अजीब अजीब सी नज़रों से देख रहे थे जो की उसे अच्छा नहीं लग रहा था।
आखिर कार वो बच्चों को खाना दे आयी तब ही उसने बाजार से दोपहर के खाने का समान खरीदा लेकिन उसे याद आया की दूध वाला आता होगा, अगर दूध नहीं लिया तो रात को बच्चे क्या पिएंगे और चाय कैसे बनेगी, इसलिए उसने सब कुछ छोड़ा और भागती हुयी घर आ गयी, घर की हालत कबाड़ खाने जैसी हो रही थी , और वो तो अभी से थक गया था। दूध वाला दूध देकर चला गया तब ही बच्चों के गंदे और पुराने कपड़े नज़र आये जो की उसने धोना थे इसलिए उन्हें धोने बैठ गया, उन्हें धोते धोते दोपहर का समय हो गया, भूख भी लगने लगी थी इसलिए खाना बनाने की सोची
वही दूसरी तरफ इतनी मेहनत से बनायीं फ़ाइल ऐश्वर्या की उसके बोस ने रिजेक्ट कर दी और कुछ ही देर में दोबारा बनाने को कहा जिसके बाद ऐश्वर्या का गुस्सा सातवें आसमान पर था वो अभी कंपनी छोड़ कर जाना चाहती थी लेकिन ज़ब ठन्डे दिमाग़ से अपनी मज़बूरी देखी तो बोस की बात मानने में ही भलाई समझी और ऊपर से बोस के चमचे अपनी टांग अड़ा रहे थे
अशोक खाना बना कर बहुत थक गया थोड़ी देर को लेटना चाहा लेकिन दरवाज़े की घंटी बाजी तो देखा बच्चें आ गए उनके आने के बाद तो वो उठ गया और उनके आगे पीछे दौड़ने लगा घर अभी भी गन्दा पड़ा था। एक मिनट की भी फुर्सत नहीं मिली थी अशोक को उसे लगता था की वो आराम से घर पर लेटेगा पर यहाँ तो आराम से बैठने की नौबत तक नहीं आयी
वही दूसरी तरफ ऐश्वर्या भी सोच रही थी की उसे तो लगा था। लड़कों की जिंदगी आसान होती है। पर यहाँ तो उल्टा ही है , थोड़ी देर में उसकी कॉन्फ्रेंस हुयी बदकिस्मती से उसमे बहुत सी गलतियां थी जिसके चलते एक प्रोजेक्ट उनके हाथ से चला गया जिसका सारा कसूरवार ऐश्वर्या को समझा गया, ये सब देखने के बाद तो ऐश्वर्या की चीखे निकल गयी इतनी मेहनत से फ़ाइल बनायीं, सुबह जल्दी उठी बस के धक्के खाये और कितना अच्छा इनाम मिला
वही दूसरी तरफ थक कर चूर हुए अशोक की भी चीखे निकल गयी उसे आराम चाहिए था।
उन दोनों की हालत बहुत बुरी हो गयी थी , वो चीख रहे थे की हम जैसे है हमें ईश्वर ने जैसा बनाया है सही है हमें एक दुसरे से कोई शिकायत नही, ईश्वर ने जिसे जैसा बनाया है। वो उसी में अच्छा है।
वो ये कह रहे थे की तब ही अचानक उन्हें ऐसा लगा की बारिश आ गयी और कोई उन्हें हिला रहा है , वो घबरा कर उठे तो देखा उनके बच्चे थे जो की अपने माँ बाप की अजीब अजीब सी आवाज़ें सुन कर उनके कमरे में चले आये और देखा तो वो दोनों कुछ बड़ बड़ा रहे थे।
ऐश्वर्या और अशोक ने एक दूसरे की तरफ देखा और बोले क्या वो सपना था, थैंक गॉड की वो सपना था। अगर हकीकत होता तो शायद मैं अपने आप को ख़त्म कर लेता कितनी मुश्किल भरी जिंदगी है तुम लड़कियों और औरतों की मुझे नहीं बनना लड़की मैं लड़का ही ठीक हूँ सही कहा अगर वो सच होता तो मैं भी मर जाती सच में तुम लड़कों की जिंदगी भी इतनी आसान नहीं जितनी देखने में लगती है। मुझे भी कोई शोक नहीं लड़का बनने का मैं स्त्री ही ठीक हूँ।
उन की अजीब सी बाते उनके बच्चे सुन रहे थे और समझने की कोशिश कर रहे थे की आखिर उनके माता पिता को क्या हो गया कैसी बहकी बहकी बाते कर रहे है।
समाप्त
