जन्म स्थली

जन्म स्थली

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मेरा जन्म दुर्ग (छत्तीसगढ़) में अगस्त १९५५ को हुआ था और यही पुराना घर है, जहाँ हमारे पुरखों की कई पीढ़ियां हो चुकी है।

मेरे जन्म के बाद, मैने उसी जगह जीवन के २६ वर्ष व्यतीत किए है।

मेरी शिक्षा वहीं हुई, नौकरी भी वहीं किया और वहां पिताजी का संयुक्त परिवार रहता था।


मेरा विवाह, हमारे बच्चे सभी वहीं हुए। हमारे लिए वह स्थान, वे यादें किसी जन्नत से कमतर तो नहीं है।

उस पुश्तैनी मकान की देखरेख करने वाला कोई भी नहीं था। तो मैंने पत्नि से कहा, "मैडम अब कैसा। हम तो नौकरी के लिए बाहर चले जायेंगे, फिर अपने हिस्से की देखरेख कौन करेगा।"


पत्नि ने कहा, “डाक्टर, परिवार के लोग बाजू में तो है। वे केयर करेंगे।"

मैंने कहा, "हम नौकरी के लिए बाहर रहेंगे। एकाएक आना संभव नहीं होगा। क्यों ना हम अपने हिस्से की जगह पक्की कर लें और किराये से दे दें।क्योंकि यह मकान तो, दादी के नाम था और पुरानी पीढ़ी के सभी लोग समाप्त हो चुके है।”


पत्नि ने कहा, "आप ऐसा बोल रहे है तो पक्का कर लेते है और किराये से दे देते है। परंतु आधा हिस्सा, हम अपने लिए रखेंगे। क्योंकि मैं चाहती हूं कि जिस घर में, मैं दुल्हन बनकर आयी थी, वह मकान और जगह हमेशा सुरक्षित रहे। कम से कम उस समय तक, जब तक मैं जिंदा हूं। हमें कोई रिस्क नहीं लेना चाहिए।"


मैंने पत्नि से कहा, "ठीक है, अपने हिस्से को पक्का बनवाते है। आधा किराये से देते है। आधा अपने लिए सुरक्षित रखते है। जब भी मन करेगा, हम यहां आकर रहेंगे। आखिर पूर्वज भी तो यहीं पैदा हुये और यहीं मरे है। मेरी भी जन्मस्थली है यह।"


हम ३ माह के अंतराल में दुर्ग आवश्य जाते है और रहते है। हमारे माता-पिता, पूर्वज भले ही शारीरिक रूप से मौजूद न हो, किन्तु उनकी आत्मा हमें देखकर तो प्रसन्न होती ही होती होगी। वह स्थान मुझे अपने देश होने की अनुभूति आज भी देता है।


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