Anita Chandrakar

Children Stories

4.0  

Anita Chandrakar

Children Stories

जीवन

जीवन

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उनकी किलकारियों से घर में ख़ुशियाँ बिखरी रहती थी, घर का पहला बच्चा रहा प्रियेश, सबल दुलारा, सबका लाडला। प्रियेश के जन्म से घर में रौनक आ गई। सभी का समय, उसके साथ पंख लगाए गुजर जाता था। प्रियेश दिन भर हँसता खेलता रहता था।

सबकी दुनिया उसी के इर्द गिर्द घूमती रहती थी। दादा दादी दोनों प्रियेश का दिन भर ध्यान रखते। प्रियेश की माँ घर का काम करती रहती और उसके पापा ऑफिस चले जाते थे।

अब प्रियेश चलने लगा था, उसके मुँह से कुछ शब्द भी फूटने लगे थे। जब वह दा दा दा दा बोलता तो दादाजी ख़ुश हो जाते।

धीरे धीरे प्रियेश बड़ा होने लगा और स्कूल में उसे भर्ती करा दिए। दादाजी प्रियेश को लेकर स्कूल जाते और छुट्टी के समय लेने भी जाते।

दादाजी उम्र अधिक होने के कारण अब थक जाते थे, प्रियेश बड़ा हो गया था, इसलिए वह ये सब समझने लगा था। वह दादाजी की देखभाल करता और दादी की भी हर बात मानता।

उसे अपना बचपन याद था, दादा दादी का प्यार याद था।

इसलिए वह भी अपने दादा दादी से बहुत प्यार करता था, रोज उन दोनों के लिए कुछ न कुछ खाने पीने का सामान ले आता।

प्रियेश के माता पिता अपने बच्चे की समझदारी पर गर्व करते थे।

प्रियेश आजकल के बच्चों से हटकर था, वह अपनी पढ़ाई में पूरा ध्यान देता था, दादाजी की कहानियाँ उन्हें सीख देती थी।

आगे की पढ़ाई के लिए उसे बाहर जाना था, पर सबको छोड़कर वह कैसे जाए, वह बड़ी उलझन में था, तब दादाजी ने उसे समझाया कि जीवन में ये सब होता है, कल हम इस दुनिया से चले जायेंगे तुम्हारे माता पिता बुजुर्ग हो जाएंगे और एक दिन तुम भी, यह क्रम चलता रहता है, इसलिए जीवन में हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। तुम पढ़ लिखकर अपना जीवन सँवारो और हम सबको गौरवान्वित करो।

दादाजी की बात मानकर वह बाहर पढ़ने के लिए चला गया पर उनकी दी हुई सीख कभी नहीं भूला।


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