जादुई राखी
जादुई राखी
किसी गांव में एक विधवा अपने बच्चों के साथ रहती थी।वह बहुत ही गरीब थी ,राखी निकट थी ,लेकिन उसके पास पैसे नहीं थे की वह राखी खरीद सके।
वह बैठी रो रही थी,सोनी और विवेक दोनो मां को रोता देख परेशान हो रहे थे।सोनी मां के आंसू पोछती हुई बोली "मां क्यों रोती हो। मैं भाई को जो कलावा पूजा घर में रखा है ,बांध दूंगी और मिठाई में जो शांति चाची के घर से गुड़ आया था वो भाई को खिला दूंगी।"
सुनीता की आंखों से झर झर आंसू गिरने लगे ,उसने कहा "मेरी बच्ची तू कितनी सयानी हो गई है । तूने तो सारी समस्या चुटकियों में हल कर दिया ,कल मैं भी तेरे मामा को यही बांध दूंगी।"
सोनी और विवेक दोनों दुखी थे।विवेक को लग रहा था ,में अपनी गरीबी के कारण अपनी बहन को कुछ नहीं दे पा रहा हूं,जबकि उसके साथ के सभी लड़के अपनी पॉकेट मनी से अपनी बहन के लिए उपहार खरीद कर लाए थे। सोनी मां को दुखी नहीं देखना चाहती थी ,इसलिए छोटी छोटी चीजों में खुशियां ढूंढने की कोशिश करती । खिड़की से चांद नज़र आ रहा था,वह चुप चाप चांद को निहार रही थी तारे झिलमिल झिलमिल कर रहे थे ,ऐसा लग रहा था जैसे तारों की बारात निकली हो।सोनी के मन की बात जैसे कोई पढ़ रहा था।
सुबह जब सुनीता उठी तो ,उसके सामने चमकती राखी रखी दिखाई पड़ी। उसने खुशी से चिल्ला कर कहा ,"सोनी ,विवेक क्या तुमलोग राखी लाए हो ?"
दोनों भाई बहन दौड़े दौड़े आए और उनकी आंखें आश्चर्य से खुली की खुली रह गई।
" उन्होंने कहा इतनी सुंदर राखी !!!कहां से आई ? हम तो नहीं लाए।"
सुनीता ने जैसे ही टेबल से राखी उठाई ,वह टेबल सोने का हो गया। तीनों लोग गहन आश्चर्य में मुंह खोले एक दूसरे को देख रहे थे। राखी को उन्होंने एक थाली में रखा तो वो थाली सोने में परिवर्तित हो गई।अब तो ये पक्का हो गया कि राखी के अंदर किसी भी चीज को सोना बनाने की क्षमता है। सुनीता सोना बेचकर अच्छी अच्छी राखी और मिठाई ले आई। सोनी और विवेक के मामा आए तो वो दंग रह गए,उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि सुनीता ने ये सब कहां से किया ,वो उसके घर की हालत जानते थे,मदद भी करना चाहते थे ,परंतु मामी के डर से मदद नहीं कर पाते।
उन्होंने सुनीता से पूछा _"बहन तुमने इतना खर्च क्यों किया ? तुम जरूर कहीं से मांग कर रुपए लाई होगी।"
सुनीता कुछ नहीं बोली ,वो बताना नहीं चाहती थी , उसने इस मुफलिसी में बहुतों के व्यवहार को उसके प्रति बदलते देखा था। पति के जिंदा रहने पर जो रिश्तेदार उसके घर आया करते थे , उन लोगों ने उनकी मृत्यु के बाद कभी सुनीता और बच्चों का हाल चाल भी लेना जरूरी नहीं समझा। सुनीता के भाई चले गए।सुनीता धीरे धीरे कर छोटी छोटी चीजें सोने की बना ,जौहरी को बेच आती ,जिससे किसी को शक न हो। थोड़े ही दिनों में वो संपन्न हो गई।लेकिन पड़ोसी को शक हो गया, कुछ बात तो जरूर है ,ये लोग इतने संपन्न कैसे हो गए?
उसने पता लगाना चाहा ।पड़ोसी का बेटा अनूप ,विवेक का सहपाठी था।पहले अनूप ,विवेक से बात नहीं करता था ,लेकिन अब उससे चिपका रहता था।
विवेक को समझ नहीं आ रहा था कि अनूप आजकल इतना मेहरबान कैसे।वह उसे आइसक्रीम खिलाता ,उससे मीठी मीठी बातें करता । अब विवेक को लगने लगा , कि अनूप उसका पक्का मित्र हो गया है ,वह उसपर विश्वास करने लगा।बालमन वैसे भी बहुत निष्कपट, और भोला होता है ।
एक दिन अनूप ने कहा _विवेक तेरा मन शहर देखने को नहीं होता किसी दिन स्कूल के बहाने शहर निकल लेते हैं ,शाहरुख खान की फिल्म लगी है ,उसे देख कुछ खा पी कर वापस लौट आया जाएगा,लेकिन यार पैसे का इंतजाम तुझे ही करना होगा, मेरी पॉकेट मनी सब खत्म हो गई है। लेकिन तू भी कहां ला पाएगा , छोड़ जाने दे ,नहीं देखेंगे शाहरुख खान की पिक्चर। विवेक शाहरुख खान का दीवाना था ,उसके अंदर की दबी इच्छा को अनूप ने जैसे पानी डाल अंकुरित कर दिया।
उसने कहा _"हम कल चलेंगे ,पैसे का इंतजाम हो जाएगा।"
अनूप _"पर कैसे?तुम्हारे पास कोई जादुई चिराग है क्या?"(और हंसने लगा।)
विवेक उसकी हंसी से चिढ़ गया और जोश में उसके मुंह से निकल गया _"हां ,जादुई चिराग तो नहीं एक जादुई राखी जरूर है।"
"क्या???" अनूप हैरत से हकलाया।
"तो जो तुम लोग अमीर हुए हो ,वह उस जादुई राखी से",अनूप बुदबुदाया।
विवेक बोलता जा रहा था,"वो जादुई राखी किसी भी वस्तु को सोना बना सकती है।"
" अच्छा!!!"अनूप बोला।
" मुझे विश्वास नहीं, तू झूठ बोल रहा,ऐसा कैसे कोई राखी किसी चीज को सोना बना देगी।"
"तुझे विश्वास नहीं हो रहा,चल मैं आज तुझे दिखाता हूं।"दोपहर में मां और सोनी सोती हैं , उस समय तुम मेरे घर आ जाना।
दोनों उस दिन स्कूल नहीं गए।अनूप दोपहर होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था।करीब 2.30 बजे विवेक अनूप को चुपके से अपने घर बुला लाया।
पूजा के पास वो राखी रखी थी उसने एक चम्मच की राखी से छुआ ,वो सोने का हो गया।अनूप अब उनके अमीर होने का राज जान गया था। उस शाम चम्मच बेच कर , अगले दिन दोनों स्कूल के बहाने शहर गए ,विवेक पहली बार शहर गया था ,उसे तो सब कुछ सपने जैसा लग रहा था ।सिनेमा हॉल में घुसते ठंडा लगने लगा और बड़ी स्क्रीन पर जब उसने शाहरुख खान को देखा तो वह खुशी से पागल हो गया।अनूप कनखी से उसकी ओर देख कर एक शातिर अपराधी की तरह मुस्कुरा रहा था।
दोनों घर वापस आ गए।अब अनूप मौका खोज रहा था ,विवेक के घर से राखी चुराने का।आखिर वो मौका जल्द ही मिल गया।त्योहार का दिन था ,सोनी और सुनीता बाजार गई थीं।विवेक घर में अकेला था,अनूप अंदर कमरे में दाखिल हुआ ।उसने विवेक से पानी मांगा ,विवेक पानी लेने अंदर गया ,तभी अनूप ने पूजा के पास से राखी उठा लिया।खी उठा कर वो भागने लगा ,तभी राखी का धागा उसे लपटने लगा ,थोड़ी देर में उसे राखी ने बांध लिया। वह चिल्लाने लगा,विवेक दौड़ कर आया।तभी सोनी और सुनीता भी आ गईं। सुनीता ये सब माजरा समझ गई थी कि अनूप राखी चुरा कर भाग रहा था। अनूप चिल्ला रहा था ,"बचाओ कोई तो बचाओ" , ....बंधन कसता जा रहा था।
सोनी ने प्रार्थना की _"हे ,राखी में बसे देव आप इसे छोड़ दें ।और वापस जहां से आए थे वहीं लौट जाएं।मनुष्य लालच का पुतला है ,सबकी नजर आपको पाने को होगी ।"आपकी कृपा से मां ने अपना रोजगार शुरू कर लिया है।आपने हमारी बहुत मदद की है आपका धन्यवाद।"
इतना सुनकर राखी ने अनूप को आजाद कर दिया और वहां से गायब हो गई। अनूप अपनी गलती पर शर्मिंदा था ।सबने उसे माफ कर दिया। शिक्षा लालच बहुत बुरी बला है,किसी चमत्कार पर अपना समय नष्ट करने से अच्छा है ,की अपना पुरुषार्थ कर धन अर्जन करना।