जादुई कलम
जादुई कलम
छोटे से गाँव में रहने वाला कमल एक होशियार लेकिन संकोची लड़का था। उसे खुद पर भरोसा नहीं था। जब भी कोई नया काम सामने आता, तो वह सोचता—
"मैं यह नहीं कर सकता! यह मेरे बस की बात नहीं!"
कोशिश करने से पहले ही वह हार मान लेता।
एक दिन उसके दादा जी ने उसे एक कलम दी और मुस्कुराते हुए बोले,
"यह एक जादुई कलम है। इससे जो भी लिखोगे या बनाओगे, वह खास होगा और तुम्हें सफलता दिलाएगा।"
कमल खुशी-खुशी कलम लेकर पाठशाला गया। उस दिन साहब ने सबको खेत और किसान की सुंदर चित्रकारी करने को कहा। कमल ने कागज उठाया और जादुई कलम से चित्र बनाना शुरू किया। लेकिन जब उसने देखा, तो वह केवल एक साधारण-सी आकृति बना सका।
इनाम तो दूर, उसकी तस्वीर किसी को भी खास नहीं लगी। उदास होकर वह घर लौटा और दादा जी से बोला,
"आपकी दी हुई कलम में कोई जादू नहीं है!"
दादा जी हंसते हुए बोले,
"बेटा, मैं एक बात बताना भूल गया। यह कलम तभी जादू करेगी जब तुम खुद पर भरोसा रखोगे। जब तुम पूरी लगन और आत्मविश्वास के साथ इसे चलाओगे, तभी यह तुम्हारी सोच को हकीकत में बदल पाएगी!"
कमल को बात पूरी तरह समझ नहीं आई, लेकिन अगले दिन उसने दोबारा कोशिश करने का मन बनाया । इस बार जब उसने मोर का चित्र बनाना शुरू किया, तो उसके दिमाग में रंग और छवि पहले से कहीं ज्यादा मोहक होने लगी। उसे महसूस हुआ कि मोर के पंख चमकीले हों, आसमान हल्का नीला हो, और सूरज की किरणें सुनहरी चमकती दिखें। उसने अपनी कल्पना को खुलकर उड़ने दिया और पूरी मेहनत और लगन से छबि बनाया।
इस बार उसका चित्र सबसे सुंदर बना!
इसके बाद, उसने वही कलम लेकर गणित के सवाल हल कर के जवाब लिखे । नवाई की बात यह थी कि पहली बार, उसके सभी जवाब सही निकले! धीरे-धीरे उसकी लिखावट सुधरने लगी और कठिन सवाल भी हल होने लगे। पाठशाला में उसके अंक बढ़ने लगे और वह सबसे आगे निकलने लगा।
अब कमल को समझ आ गया था—असल जादू कलम में नहीं, लेकिन उसके अपने आप पे भरोषा और मन लगाकर की हुई मेहनत में था। जबसे उसने खुद पर भरोसा करना शुरू किया, उसकी दुनिया सच में बदलने लगी!
शिक्षा:
"अगर हम खुद पर भरोसा रखें और अपने विचारों को उड़ने दें, तो कोई भी जटिल लक्ष्य हासिल कर सकते हैं!
