इंटरनेशनल वीमेंस डे
इंटरनेशनल वीमेंस डे
आज इंटरनेशनल वीमेंस डे....
सब लोग अपने अपने तरह से मना रहे है.....
हमेशा की तरह ढेर सारे मैसेजेस...
हर बार की तरह वही गुलाबी रंग के साथ मिक्स एंड मैच करते मैसेजेस!
मैं मन ही मन सोचने लगी, कब यह पुरुषवादी मानसिकता बदलेगी?
साल का एक दिन और लाखों रंगों में से बस एक गुलाबी रंग देकर उन्हें लगता है की न जाने हमने इन औरतों की झोली में कितना कुछ डाल दिया है......
आज घर में रोटी बनाते समय मैं माँ के बारे में सोच रही थी.....
मेरी माँ .....
मुझे हमेशा से लगता था की मेरी माँ बस माँ नहीं है बल्कि वह कई सारे किरदार निभाया करती थी.....
वह एक कुक के अलावा बहुत अच्छी मैनेजर थी। साथ ही वह कभी प्लम्बर, कारपेंटर और भी न जाने क्या क्या बना करती थी.....
और मजे की बात यह है कि ये सारे काम वह हँसते हुए किया करती थी.....
हम बच्चों को प्यार और अनुशासन और बड़ों को आदर देना उन्होंने ही सिखाया था.....
लेकिन ससुराल में जब मेरी रोटियाँ गोल नहीं बनती थी तो घर वाले बातें बनाते थे। उनकी नज़रों में मेरी नौकरी या मेरा ओहदा किसी काम का नही होता था। उनको बस गोल रोटियाँ चाहिए होती थी। और रोटियों के गोल न होने से उनकी नज़रों में मेरी सारी उपलब्धियाँ सिफ़र ही थी !
माँ क्योंकि प्रोग्रेसिव थी तो उन्होंने मुझे पढ़ाई के लिए हमेशा ही प्रोत्साहित किया। वह मुझे कहा करती थी की तुम एक बड़ी ऑफिसर बनोगी। उन्होंने कभी किचन के कामों में मुझे पड़ने ही नहीं दिया।
आज इंटरनेशनल वीमेंस डे पर तवे पर रोटी के जलने पर पता नहीं क्यों यह सब याद आ रहा है....
