V. Aaradhyaa

Children Stories Inspirational

3  

V. Aaradhyaa

Children Stories Inspirational

इन खाली कमरों में रहेगा कौन?

इन खाली कमरों में रहेगा कौन?

3 mins
202



" गित्ती... ओ...गित्ती...!"

कोई आवाज नहीं।


अबके जस्सी ने कुछ जोर से बुलाया तो


"क्या कर रही हो गित्ती? सुबह से एक बार भी दिखाई नहीं दी!"


मां ने जब दूसरी आवाज लगाई तो गित्ती दौड़कर भागी आई और अपनी मां को दिखाने लगी कि,


" देखो ….मैं ने कितना प्यारा दीवाली घर बनाया है!"


"अरे ...वाह...! सच में मेरी बिटिया ने बहुत प्यारा दीवाली घर बनाया है। लेकिन बेटा इसमें सिर्फ दो ही कमरे सजाए गए हैं…तीसरा वाला बंद है ऐसा क्यूं...?"


"ऑफोःह मम्मी ...! पहला वाला कमरा जो है, यह मेरा ड्राइंगरूम है और दूसरा वाला मेरा बेडरूम है!"

"अरे ...! यह तो हो गया गड़बड़...!


और तीसरा...?"


"वो बंद रहेगा। वह दादा दादी का कमरा है!"


"तो वो दोनों कहां रहेंगे?"


"गांव में ...और कहां...!"


छोटी सी गित्ती ने सीधे सपाट शब्दों में कह दिया तो जस्सी को अचानक बहुत बुरा लगा।


छोटी सी बच्ची ने एक पल में जस्सी को पूरी जिंदगी का सारांश बता दिया था और जस्सी को अपनी गलती का एहसास हो गया था।


जस्सी ने बहुत सोचा और उसे इतना ही समझ में आया कि भले ही उसकी आपसी रंजिश सास से है, ससुराल वालों से भी कुछ नहीं बनती। और उस वजह से वह अपने पति विनोद से भी नाराज रहती है। लेकिन उससे अपनी बेटी की खुशी के लिए उसके बेहतरीन परवरिश के लिए अपने फैसले बदलने होंगे और वक्त और नजाकत के साथ अपना रिश्ता अपने सुसराल वालों के साथ बेहतर करना होगा। क्योंकि एक बच्चे को अगर घर देना है सही परवरिश देनी है तो उसका सबसे बड़ा उदाहरण उसके माता-पिता ही होते हैं।


सोचकर कांपते हाथों से जस्सी ने अपने पति विनोद को फोन लगाया और उनसे कहा कि,


"अभी दीवाली में पांच दिन बाकी है। मैं चाहती हूं कि मां जी और बाबूजी भी दीवाली हमारे साथ मनाएं । आप कल सुबह गांव के लिए निकल जाइए और उन दोनों को लेकर के आइए!"


जस्सी की बात सुनकर विनोद को एक बार विश्वास नहीं हुआ। और वह बहुत खुश हो गया। ऑफिस से आने के बाद उसने जस्सी में आए अचानक बदलाव के बारे में जब पूछा तो वह मुस्कुरा कर चुप रह गई।


अगले दिन सुबह विनोद खुशी-खुशी गांव के लिए निकल गया और शाम तक अम्मा बाबूजी को लेकर आ गया।


गित्ती ने भी बहुत ही खुशी खुशी और

गर्मजोशी से अपने दादा दादी का स्वागत किया।


इस घर की इस बार की दीवाली काफी खास थी। कि अपनों के साथ से दीवाली की रौनक कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी। और गित्ती के दीवाली घर में एक और कमरा बढ़ गया था उसके दादा-दादी का।

अब सारे कमरों में रौशनी होगी।


बच्चे बड़ों से सीखते हैं और अगर बड़े कुछ गलत करते हैं तो वह उन्हीं का अनुसरण करने लग जाते हैं।

समय पर जस्सी ने यह बात समझ ली थी और इस बार उनकी दीवाली में सबके दिल आपस में मिल रहे थे।

दीवाली की वो रात खुशियों की रात थी।


दीवाली की जगमग खुशियों की रात हो और अपनों का साथ हो तो किसी भी त्योहार का मजा दोगुना हो जाता है। और वह त्योहार दीवाली हो तो चेहरे की चमक भी बढ़ जाती है और दिल भी रोशन हो जाते हैं।


इस दीवाली पर सबसे ज्यादा खुश थी नन्ही गुड़िया सी गित्ती। क्योंकि उसके दीवाली घर के सारे कमरे भर गए थे।


(समाप्त)



Rate this content
Log in