गुन्नू का चेतक
गुन्नू का चेतक


4 साल का गुन्नू सुबह से ही परेशान सा घूम रहा था। किसी के पास उसके साथ खेलने का समय नहीं था।
पापा ऑफिस के लिए तैयार हो रहे थे ओर मम्मी घर के काम कर रही थी।
गुन्नू दौड़ते हुवे पापा के पास जाता है।
गुन्नू - पापा मुझे जंगल घूमने जाना है, आप साथ चलो ना
पापा - टाई ठीक करते हुवे, बेटा पापा को ऑफिस जाना है ना, शाम को आता हूं फिर चलते हैं, कार की चाबी उठाते हुवे
गुन्नू मम्मी के पास दौड़ के जाते हुवे
गुन्नू - मम्मा मुझे जंगल घूमने जाना है।
मम्मी - बेटा में तो काम में लगी हूं, अभी झाड़ू भी नहीं लगा हैं, तू फोन देख ले
गुन्नू -नहीं मुझे जंगल घूमने जाना है
मम्मी - अकेला केसे जाएगा
गुन्नू - अपने घोड़े चेतक पर चला जाऊंगा।
मम्मी - अच्छी बात है, कहां है चेतक
गुन्नू - आओ मेरे घोड़े
तभी काले रंग का बलिष्ठ सुडौल शरीर का बलवान घोड़ा आता है। उसके काले घने बाल लहलहा रहे हैं। वो जोर से हिनहिनाता है हिन्न...
गुन्नू ये रो घोड़ा
मम्मी मुस्कुराती हैं
घोड़ा - आप हबराइए नहीं माताश्री में गुन्नू को जंगल घुमा लाऊंगा, ओर मालिक को कुछ नहीं होने दूंगा
गुन्नू मुस्कुराता हुआ बहुत खुश हो जाता हैं।
मम्मी - ठीक है पर टाइम से घर आ जाना गुन्नू
गुन्नू -हा मम्मा, घोड़े पर बैठते हुवे, चल मेरे घोड़े।।।
घोड़ा भागता है, शहर की सड़कें पार करते हुवे, बहुत दूर ,नदी पार करके जंगल की तरफ चलता हैं।
जंगल में बड़े बड़े पेड़ थे जो ऐसा लग रहा था आसमान को छू रहे हैं।
सूरज की रोशनी भी छन छन के कम ही आ रही थी।
पक्षियों ओर तोतो की आवाज़ें आ रही थी
गुन्नू बहुत खुश हो रहा था
गुन्नू ओर चेतक जंगल के काफी अन्दर तक आ गए थे
कुछ ओर दूर चलने के बाद
शेर के दहाड़ने की आवाज़ आई।
गुन्नू डर सा गया ओर चेतक से बोला
गुन्नू - अब क्या करेंगे घोड़े
चेतक - डरिए नहीं मालिक मैंने माताश्री से वादा किया था आपको कुछ नहीं होने दूंगा
तभी सामने से शेर आ जाता है
शेर - में इस बच्चे को खा जाऊंगा
गुन्नू डर सा जाता हैं
घोड़े अपने दोनो पैर आगे के उठाता हैं ओर जोर से हिनहिनाते हुवे धनाधन शेर पे वार करता है
शेर डर से भागता है ओर कहता है
शेर - हे राम इसने तो मेरी कमर ही तोड़ दी
तब त
क चेतक भी वहां से गुन्नू को भगा ले जाता हैं
गुन्नू ओर चेतक आगे बढ़ते हैं
अब जंगल का नदी वाला भाग आ गया था , एक तरफ नदी ओर एक तरफ पहाड़, पतली सी पगडंडी पे चेतक चला जा रहा था, जंगल काफी गहरा ओर सटा हुआ था, गुन्नू को जंगल बहुत अच्छा तो लग रहा था पर डर भी लग रहा था।
कुछ देर के चलने के बाद एक काला सांप सामने आया
सांप - पतली आवाज़ में - इस बच्चे को तो में खा जाऊंगा।
गुन्नू डर जाता है
चेतक - डरिए नहीं मालिक, ये आपको छू भी नहीं पायेगा
चेतक पीछे की दोनो टांगे उठाता है ओर धड़ाम धड़ाम मारता है
सांप - हाय राम, मेरी तो ढुई तोड़ दी, कचूमर निकाल दिया र
चेतक ओर गुन्नू मुस्कुराते हुवे आगे बढ़ते हैं
गुन्नू - चेतक ओर तेज, मुझे बहुत मज़ा आ रहा है
चेतक लगातार दौड़ता हैं, शाम सी होने वाली होती हैं, काफी दूर चलने के बाद एक खुला मैदान आता है, सूरज भी पहाड़ी में ढलने वाला ही था।
खुले मैदान में एक भेंसो का झुंड था, एक तरफ नदी अभी भी बह रही थी।
चेतक को पता था, पहाड़ी के सहारे से ही नदी के पास से होते हुवे शहर को रास्ता निकल जाएगा, शाम भी होने वाली थी ओर घर भी जाना था
तभी भेसों के सरदार, जिसने नाक में बड़ी सी बालि पहनी थी, भारी आवाज़ में बोला
भैंसा - तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे इलाके में आने की, यहां आने से तो शेर भी डरता हैं।
तुम आ ही गए हो तो अब जा नहीं पाओगे, कुचल के मार दिए जाओगे
चेतक खतरे को भांप गया
चेतक - मालिक मुझे कस के पकड़ लेना, हमे बहुत ऊंची छलांग लगाने होगी
गुन्नू - हां मेरे प्यारे घोड़े
चेतक जहां मार्ग उंचाई की तरफ होता हैं, वहां की तरफ दौड़ता हैं, भैंसे भी उसकी तरफ दौड़ते है, चेतक अपनी गति तेज कर देता,उंचाई पे चड़के, लम्बी छलांग लगाता हैं ओर भैंसो के ऊपर से निकल जाता है, भैंसे पीछे मुड़ के देखते हैं।
चेतक अपनी गति ओर तेज कर देता है
गुन्नू - ओर तेज प्यारे घोड़े ओर तेज , मम्मा बहुत प्यार करेंगे, चने वाली दाल खिलाएंगे
चेतक जंगल ओर खतरे दोनो से बाहर आ जाता हैं, चेतक दौड़ते हुवे घर तक आता हैं, गुन्नू घोड़े से उतर के मम्मा के पास भागता हैं
गुन्नू - मम्मा, मम्मा घोड़े ने मेरी जान बचाई, शेर से, सांप से ओर भैंसो से
मम्मी- शबास चेतक ओर मम्मी चेतक को प्यार करती हैं गुन्नू बहुत खुश होता है।