गलत सँगति
गलत सँगति
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सोरनपुर गाँव के पास में चंदन के पेड़ों का एक जंगल था। सभी पेड़ आपस में मिलजुल कर रहते थे। उसी जंगल में जंगली जानवर भी रहा करते थे। इस जंगल में गाँव वाले, जंगली जानवरों के डर से भीतर जाने से डरते थे। चंदन के पेड़ जंगल के भीतर थे। गाँव वालो को इनकी भनक नहीं थी। इन्ही चन्दन के पेड़ों में कालू नाम का एक घमंडी चंदन का पेड़ भी था। वह किसी अन्य चंदन के पेड़ से बात नहीं करता था। कालू की दुष्ट लोगो से दोस्ती थी। कालिया कौवा उसका दोस्त था। वह भी कालू की तरह घमंडी था। वह भी अपनी बिरादरी के लोगो से बात नहीं करता था। कालू नामक चंदन पेड़ पर पीलू नाम का अजगर भी लिपटे रहता था। वो भी कालू की तरह घमंडी थी। पूरे जंगल में ये तीनों ही अपनी दुष्टता के लिये प्रसिद्ध थे। ये तीनों ख़ुद के अलावा किसी अन्य से बात नहीं करते थे। कालू को अपने दोस्त पीलू की ताकत पर बड़ा घमंड था। एकबार कालू का दोस्त कालिया, नगर सेठ की पत्नी का नौलखा हार चोंच में लेकर उड़ गया। नगर सेठ के नौकरों ने जब उसका पीछा किया तो वह जंगल को ओर उड़ गया। जंगल के कुछ अंदर तक तो नौकरों ने उसका पीछा किया। पर कालिया जंगल के अंदर चला गया तथा वह हार अपने मित्र कालू नामक चन्दन के पेड़ पर रख दिया। जंगली जानवरों के डर से नौकर वापिस गाँव में लौट आये। नगर सेठ ने उन्हें ख़ूब डांटा। इसी गाँव भेरू नाम का एक किसान रहता था। भेरू बहुत ही मृदुभाषी व व्यवहार कुशल था। सब गाँव वाले उसकी बहुत इज़्ज़त करते थे। पर दुर्भाग्यवश भेरु के कोई संतान नहीं थी। उसने नीरू नाम की एक बकरी पाल रखी थी। भेरू उसे अपनी पलकों पर रखता था। वह उसे अपनी बेटी मानता था। नीरू अन्य सब बकरियों के साथ जंगल के पास के एक चारागाह में चरने जाती थी। एकदिन वह अपनी झुंड से बिछड़ जाती है। वह भूलवश जंगल मे भीतर की ओर चली जाती है। वहां पीलू नाम का अजगर उसे निगल लेता है। भेरू उसे बहुत ढूँढता है। पर नीरू उसे कहीं नहीं मिलती है। वह समझ जाता है, नीरू जंगल की ओर गई है। वह गाँव में आकर अपने दोस्तों को बड़ी मुश्किल से तैयार करता है। सब अपने हाथ मे लाठी, कुछ ने बन्दूक, कुछ मशाले लेकर चलने को तैयार होते है। वह गाँव के करीब 50-60 आदमी को लेकर जंगल की ओर प्रस्थान करता है। वो सब नीरू को ढूंढते-ढूंढते जंगल के भीतर की ओर चले जाते है। जैसे-जैसे वो आगे बढ़ते है, उन्हें चन्दन की भीनी-भीनी महक आने लगती है। अंत में वो कालू नाम के चंदन के पेड़ के पास पहुंचते है। वहां सब गाँव वाले देखते है की, उस पेड़ पर पहले से ही कालिया नामक कौआ नौलखे हार के पास बैठा था। पीलू नाम का अजगर पेड़ के पास के पास कुंडली मारकर बैठा था। पीलू को देखकर ऐसा लग रहा था की उसने कुछ निगल रखा है। गाँव वालो में से एक ने जिसके पास बंदूक थी, उसने पहले कालिया कौवे के गोली मारी। फिर पीलू अजगर के धड़ाधड़ 5-6 गोली मारी। दोनों के प्राण पखेरू उसी समय उड़ गए। एक गाँव वाले ने कालू नामक चन्दन के पेड़ को कुल्हाड़ी से काट दिया और नगरसेठ की पत्नी का नौलखा हार ले लिया। सभी चन्दन के पेड़ों का अब गाँव वालों को पता चल चुका था। कुछ ही समय मे गाँव वालो ने सारे चन्दन के पेड़ काट लिये। इस प्रकार कालू की गलत संगत के कारण उसका स्वयं का तो विनाश हुआ ही हुआ साथ ही साथ उसके पास वाले अन्य चन्दन के पेड़ों का भी विनाश हुआ। कोई गलत संगति करता है, वो खुद तो मिटता ही है, उसके साथ-साथ उसका परिवार भी मिट जाता है। गलत संगति से गेहूं के साथ घुन भी पीस जाता है। गुलाब के पास रहोगे, गुलाब की भांति महक जाओगे। कीचड़ के पास रहोगे ,कीचड़ की भांति दुर्गंध ही पाओगे।