गजक
गजक
सर्दियों में गजक खाने का शौक सबको आता है मुझे भी बहुत है। लोहड़ी मकर संक्रांति पर तो जैसे गजक रेवड़ी मूँगफली की बाढ़ आ जाती है दुकानों पर।
लोग खुब सारी गजक रेवड़ी मूँगफली खरीदते हैं।
पर इस बार कोरोना की वजह से पापा ने बाजार से गजक खरीदने को मना कर दिया परन्तु खाने का भी बहुत मन था।
तो इसलिए मैंने सोचा कि क्यों ना इस बार गजक घर पर ही बनाई जाये। मैंने मम्मी से बोला की मम्मी मैं इस बार गजक घर पर बनाऊंगी। मम्मी बोलती घर पर कैसे बनेगी खराब हो जायेगी हम कितनी भी कोशिश कर ले बाजार जैसी गजक कभी नहीं बनेगी।
मैंने बोला मुझे गजक खानी है बाजार से लाने नहीं देते तो घर पर तो बनाने दो। मम्मी बोलती ठीक है चलो बना लो ।
हमारे घर पर बहुत सारी मूँगफली थी तो मैंने उसमें से बहुत सारे गोटे निकाल लिए और गुड़ घी और मूँगफली के दाने से गजक बनाने लगी।
मुझे पूरा आधा घंटा लगा और मैंने यूट्यूब से देख गजक बना ली। गर्म तो बहुत अच्छी लग रही थी पर जब बो ठंडी हुई तो वह प्लेट के चिपक गई इतनी सख्त हो गई कि वह उतर ही नहीं रही थी। और अगर थोड़ा टुकड़ा टूट जाता तो उसे खाने से लगता कि दांत ही टूट जायेंगे।
अब मम्मी कहती बोला था ना अगर पर गजक बन जाये तो बाजार से कोई क्यों लेके आयेगा।
अब मुझे बहुत दुःख हुआ कि इतनी मूँगफली ऐसे ही खराब हो गई।
और गजक खाने का सपना भी।