एक कदम आजादी की ओर
एक कदम आजादी की ओर
सुधीर अगले 6 महीने में बाप बनने वाला था और वो इसके लिए तैयारियां भी कर रहा था । लेकिन अचानक एक दिन वो आजाद हो गया सब किस्म के झंझट से , उसकी पत्नी ने गर्भपात करवा दिया था । उसे समझ ही नहीं आ रहा था की यह क्या हुआ । अभी तो वो दुखी था । सुधीर दुखी था क्योंकि उसे समझ आ गया था की उसकी भूमिका सिर्फ एक स्पर्म डोनर की थी इससे अधिक और कुछ नहीं । वो इस बारे में और कुछ भी नहीं कर सकता था । सुधीर के अधिक दुखी होने का कारण था की उसका भ्रम टूटने में इतना अधिक वक्त लगा, अब तक वो इस भ्रम में था की वो बाप बनने वाला है अब वो समझ चुका था की कानूनी रूप से अब वो सिर्फ एक डोनर था स्पर्म डोनर ।
क्योंकि सुधीर गुलामी में पैदा हुआ और उसका अनुकूलन इस प्रकार हो चुका था की अब वो गुलामी को ही स्वर्ग की बहारें मान रहा था इसीलिए उसे पता ही नहीं चला की उसकी जंजीरें टूट चुकी है ।
आज सुप्रीम कोर्ट ने आदमी को आजादी देने की तरफ एक कदम बड़ा दिया, परंतु उसे समझने में थोड़ा वक्त लगेगा क्योंकि अभी अनुकूलन चल रहा है शायद एक या दो दशक लग जाए उसे अहसास होने में को उसकी जंजीरें टूट गई है अब उसे मात्र एक कदम आगे बढ़ाना है और समझना है की वो अपना जीवन जीने के लिए पैदा हुआ है । पूर्ण आजादी नजदीक है इसका पूरा आनंद शायद मेरी जेनरेशन ना ले पाए परंतु अगली या उससे अगली जेनरेशन पूर्ण आजाद होगी और आजादी का आनंद ले पाएगी है ।
हर उस व्यक्ति को बधाई जिसे लगता है वो दुनिया में बेकार का बोझ ढोने , बच्चे पैदा करने और उन्हें बड़ा करने के मकसद से आया है । याद रखें यह सिर्फ पहला कदम और उसकी बधाई है।