एक गलती
एक गलती
विक्रम ने कॉलेज के जीवन में अभी- अभी प्रवेश किया था। उसके बहुत से सपने थे। वह स्नातक की डिग्री के साथ - साथ आई पी एस की तैयारी भी करना चाहता था। बचपन से ही पुलिस की वर्दी उसे बहुत अधिक भाती थी। वह अपनी तरफ से पूरी तैयारी करना चाहता था। इसलिए अपनी सेहत का भी बहुत ध्यान रखता था।
धीरे-धीरे कॉलेज में उसके बहुत से दोस्त बन गए। वह सब बहुत मस्ती करते थे। खूब घूमते फिरते थे। विक्रम की समस्या यह थी कि यदि वह नहीं जाता था उनके साथ तो दोस्त खोने का डर बना रहता था। आजकल कॉलेज में किसी ना किसी ग्रुप में होना बहुत ज़रूरी हो गया है। वरना आप सबसे अलग नज़र आते हैं।
ग्रुप में कुछ लड़कियां भी थीं। जिनमें से एक लड़की विक्रम को पसंद थी। विक्रम कोशिश करता कि उसके साथ ज़्यादा से ज़्यादा वक्त बिता सके।
"क्या विक्रम! तुम बहुत बोरिंग हो।" समायरा ने इतराते हुए कहा।
इसी अदा पर तो विक्रम फिदा था।
"तुम कहीं घूमने नहीं चलते। और चलते हो तो बाहर खाना नहीं खाते। ऐसे हम एक दूसरे को कैसे जान पाएंगे। एक दूसरे को जानने के लिए हमें एक दूसरे के साथ समय भी तो मिलना चाहिए।"
"हाँ…. तुम सही कह रही हो। मैं भी तुम्हारे साथ समय व्यतीत करना चाहता हूँ। पर बाहर का खाना खाने से बिमार पड़ सकते हैं।" विक्रम बोला।
"क्या बाबा आदम के ज़माने की बातें कर रहे हो। हम जहाँ भी खाते हैं वो बढ़िया रेस्टोरेंट होता है। कोई सड़क पर खड़े ठेले वाले से नहीं खाते।"
"हाँ, कह तो सही रही हो। ठीक है आज से मना नहीं करुंगा।" विक्रम बोला।
अब विक्रम आए दिन समायरा के साथ बाहर जाता था। और बाहर ही खाता-पीता भी था। धीरे - धीरे विक्रम ने अपनी फिटनेस पर ध्यान देना छोड़ दिया। वह अब जल्द तक जाता था। अक्सर उसका पेट खराब रहता था। बैडमिंटन और क्रिकेट जैसे खेल में भी वह भाग दौड़ नहीं कर पाता था।
एक दिन अचानक उसके पेट में बहुत तेज़ दर्द हुआ। वह तड़पने लगा। उसके माता पिता उसे हॉस्पिटल ले गये। डॉक्टर ने चेकअप किया।
"देखिए, विक्रम की किडनी में पत्थर हैं। और वह बढ़ रहे हैं।" डॉक्टर ने उसके माता पिता को बताया।
"इसका क्या इलाज है डॉक्टर?"
"इसका एकमात्र इलाज सर्जरी है।" डॉक्टर ने कहा।
"पर डॉक्टर, इसके अलावा कुछ नहीं हो सकता क्या? अगले महीने विक्रम का आई पी एस का फाइनल सलेक्शन है।" उसके पिता ने कहा।
"सॉरी, सर्जरी ही इसका इलाज है। किडनी से पत्थर निकालने बहुत ज़रूरी हैं। वरना यह छोटी आंत में फिसल कर जा सकते हैं। जिससे….मौत भी हो सकती है।" डॉक्टर ने उन्हें बताया।
"पर…ये हुआ कैसे? इतनी कम उम्र में।" विक्रम की माँ ने पूछा।
"अक्सर बाहर का ज़्यादा खाना खाने से ऐसा हो जाता है। बाहर के खाने में वो सफाई और शुद्धता नहीं होती।" डॉक्टर ने बताया।
विक्रम के माता पिता के पास ऑपरेशन करवाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था।
ऑपरेशन होने के बाद विक्रम को एहसास हुआ कि उसने दोस्ती- यारी के चक्कर में बाहर का खाना खाकर ना केवल अपनी सेहत खराब की बल्कि अपने आई पी एस ज्वाइन करने के सपने से भी वंचित रह गया। पर अब पछताने से क्या होगा जब नुकसान हो चुका है।