दोस्ती
दोस्ती
पहला दिन – किसने किया? क्यूँ गिराया? सुबह -सुबह रामू का भाई चिल्लाया? पानी गिराया।
दूसरा दिन – किसने किया? क्यूँ गिराया? सुबह -सुबह रामू की मम्मी चिल्लायी ? फिर पानी गिराया।
तीसरा दिन –किसने किया? क्यूँ गिराया? सुबह -सुबह रामू के पापा चिल्लाये ? फिर पानी गिराया।
पानी रखा होता है, पेड़ के नीचे ढक्कन का पता नहीं, कहाँ गया? कुछ दिखता नहीं, कौन पानी खराब करता है? – रामू बुदबुदाया
कुछ तो करना होगा, खराब पानी नहीं चलेगा। क्या कर सकते हैं?
सब काम बंद, सब सोच रहे हैं। रामू सबको देख रहा है। रामू एक कबूतर को पेड़ से कचरा गिराते हुये देखता है, पर चुप रहता है, रामू नहीं चाहता की कबूतर को सजा मिले।
गिरा दो, पेड़ गिरा दो - पापा बोले.... हाँ, गिरा दो, पेड़ गिरा दो – मम्मी बोलीं....हाँ गिरा दो, पेड़ गिरा दो – भाई बोला.....गिरा दो, पेड़ गिरा दो – सब बोले
रामू ने कहा – कल से पानी खराब नहीं होगा, पेड़ मत गिराओ। एक मौका दो, पानी खराब नहीं होगा – रामू ने सबसे निवेदन किया ।
पापा – चलो, एक मौका देते हैं। मम्मी – चलो, एक मौका देते हैं। भाई – चालों, एक मौका देते हैं।
रामू रोज अब मटके पर छाता रख देता है, पानी खराब नहीं होता है। अपने दोस्त कबूतर के साथ रामू पेड़ के नीचे बैठा बात कर रहा है।
