दोस्त !
दोस्त !


ख़ुद का बनाया पहला रिश्ता
ज़माने के दिए रिश्तों से दूर
वो दोस्त हुआ
ख़ुशी ग़म में रहे साथ
न रह पाए तो खाये गाली
झगड़े लड़ाई करे
पी पी के पानी गरियावे भरपूर
वो दोस्त हुआ
झूठी अटेंडेंस क्लास की लगा दे
पान की दुकान का कर्जा चुका दे
चाय की दुकान पर चाय
बोल के रसगुल्ले खाये
वो दोस्त हुआ
शर्ट पैंट की उधारी चला ले
बिना धुली प्रेस की वापस पटक जाए
साबुन शम्पू की जो खुराक ले ले फ्री
पैसों की तंगी में अपना दे दे
ख़ुद को हो जरूरत बिना पूछे ले ले
घर से वापस आये तो कुछ ले के आये
थोड़ा दे बाकी के एवज में पैर दबवाये
वो दोस्त हुआ
रात भर जगे किस्से कहानियां सुनाए
ये जताए कितनी बेरंग है जवानी तुम्हारी
दिखाए सुनाए और जलाए
वो दोस्त हुआ
पैसा पैसा जोड़ के उधारी की साइकिल से
कहीं घूम आएं फ़िल्म की टिकट कटाये
गर्ल्स हॉस्टल के इर्द गिर्द घुमा के लाये
वो दोस्त हुआ
क्लास की किसी लड़की से नाम जोड़ के
पूरे हॉस्टल में अफवाहें फैलाये
किसी से कुछ सुने उल्टा कुछ तो झगड़ के आये
बस इन्हीं अनमोल यादों से
याद आते हैं वो हॉस्टल के दोस्त हमारे।