दोस्त (संस्मरण)

दोस्त (संस्मरण)

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बात मेरे भांजी की शादी की है। जो 24 जून 2019 को सम्पन्न होने वाली थी, जिसके लिए हम सभी बहुत ही खुश थे और उत्सुक भी थे कि शादी के अलग-अगल फंक्शन में अलग-अगल कपड़े पहनेंगे और उस पर क्या ज्वैलरी होगी, लेकिन मेरी तीसरे नंबर की दीदी ने तो मेंहदी वाले दिन मुझे सबसे बड़ा उपहार दिया। जिसे देखते ही मुझे इतनी खुशी हुई जितनी कभी नहीं हुई थी।

भांजी को मेंहदी लगाने के लिए जिसे बुलाया गया था वो मेरी क्लासमेट इंदु थी। जिसे देखकर मुझे बहुत खुशी मिली और तो और मैं उसे देखते ही इतनी ज़ोर से चिल्लाई की पूछो मत।

इंदु और मैं फिर ढेर सारी स्कूल की बातों को याद करके अपने सभी दोस्तों को याद किया। सुबह से शाम तक हम दोनों ने खूब मस्ती की और मैंने अपनी और भी दोस्तों के नंबर उससे लिए जिनके नंबर मेरे पास नहीं थे।

वो दिन मेरे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण था जिसे मैं कभी भी नहीं भूल सकती।

थैंक्यू पिंकी दीदी जो तुमने 17 साल बाद मेरी दोस्त को मिलाया।



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