दोपहर की चाय और टीवी
दोपहर की चाय और टीवी
दोपहर के करीब दो बज रहे थे। घर का सारा काम निपटाकर रिया घर में अकेली खाली बैठी थी। अपने 2 महीने के शादीशुदा जीवन में वो आज पहली बार घर में अकेली थी। पतिदेव ऑफिस, ससुर जी किसी मित्र से मिलने गए थे और सास अभी-अभी मोहल्ले में किसी के घर पूजा में गई थी। कम से कम 2 घंटे से पहले तो आने वाली नहीं थी। वो सोचने लगी, क्या करूं? इस खाली समय का कैसे उपयोग करूं? चलो चल कर कुछ देर आराम कर लेती हूं। कुछ देर तक बेड पर लेटी रही पर नींद नहीं आई। तभी टीवी देखने का ख्याल आया, मौका भी अच्छा था और ये समय उसके पसंदीदा हास्य धारावाहिक का था। तो एक कप चाय बना लाई और टीवी देखने में व्यस्त हो गई। उसे अकेले में चाय की चुस्की लेते हुए टीवी देखना बहुत पसंद था लेकिन जब से शादी हुई है तबसे यह शौक ससुराल में नहीं पूरा हो पा रहा था क्योंकि सुबह से ससुर जी अपना समाचार या कोई प्रोग्राम देखते, शाम को सास अपना सीरियल। तो इस सब के बीच वह अपना सीरियल नहीं देख पाती। यूं तो दोपहर में समय मिलता था पर यह समय सास-ससुर के आराम का रहता इसलिए टीवी नहीं देखती ताकि उन दोनों की नींद खराब ना हो। आज अच्छा मौका देख अपने शौक पूरे करने लगी।
अभी चाय की कुछ सिप बाकी ही थी कि डोर बेल बजी। अरे अभी कौन आया होगा? सोचने लगी कि फिर से डोर बेल बजी और साथ में आवाज भी आई, "अरे बेटा! दरवाजा खोलो। मैं हूं।"
"अरे बाप रे..! सासू मां इतनी जल्दी कैसे आ गई..?"
वो जरा घबरा गई। सोचने लगी चाय का क्या करूं छुपा दूं या झटपट पी लूं? कहीं सासू मां देख लेंगी तो नाराज होंगी कि दोपहर के 2:00 बजे कौन चाय पीता है? उसकी स्थिति ऐसी हो गई कि ना तो चाय पीते हुए बन रहा था ना ही छोड़ते हुए।
तभी सासू मां फिर से बेल बजाते हुए बोली, "लगता है बहू सो गई।"
रिया ने एक बार में ही सारी चाय पीकर झट से दरवाजा खोला, "मां जी, आप बहुत जल्दी आ गई!"
"हां, मेरे पहुंचने से पहले ही पूजा खत्म हो गई थी तो प्रसाद लेकर आ गई लेकिन तुम क्या कर रही थी? समय लग गया दरवाजा खोलने में, सो गई थी?"
"जी मां, सो गई थी।"
सासू मां ने एक क्षण के लिए उसे देखा और फिर कहा, "अरे, ये तेरे मुंह में क्या लगा है और कपड़े पर भी दाग लगा है?"
जल्दी-जल्दी चाय पीने की वजह से मुंह के साइड से चाय निकलकर कपड़े पर कुछ बूंदे गिर गई थी जो रिया को पता नहीं चला।
रिया कुछ बोलती उससे पहले ही सासू मां की नजर चाय की कप पर पड़ी, "अरे, तुम चाय पी रही थी?"
"जी मां..!"
"तुम्हें दोपहर को चाय पीने की आदत है?"
"नहीं मां, आदत नहीं है।"
"तो फिर..?"
"वो.. मैं टीवी देख रही थी। क्या है मां जी.. कि मुझे अकेले में चाय पीते हुए टीवी देखना अच्छा लगता है। इसलिए...!"
"अरे..! तो इसमें शर्माने वाली बात क्या है? तुम तो मेरी जोड़ीदार निकली। मुझे भी कुछ खाते हुए या चाय पीते हुए टीवी देखना अच्छा लगता है लेकिन तुम्हारे ससुर जी मुझे खाने नहीं देते। कहते हैं टीवी देखते हुए खाने से मोटापा ज्यादा बढ़ता है।"
सास की बातें सुन रिया मुस्कुराने लगी।
तभी ससुर जी आ गए, "क्या चल रहा है भई दोनों सास बहू में?"
सासू मां ने सारी बातें बता दी सुनकर ससुर जी बोले, "अरे बेटा, तो इसमें शरमाने वाली बात क्या है! यह घर तुम्हारा भी है..,तुम्हारा भी क्या तुम्हारा ही है। तो तुम्हें चाय पीते हुए टीवी देखना पसंद है तो देखो। वैसे भी घर में बहू-बेटियां हंसते खेलते और खाते पीते ही अच्छी लगती है। वैसे देखा जाए तो कहीं ना कहीं गलती हमारी है। हम दोनों सुबह-शाम टीवी देख लेते हैं पर तुम्हें टीवी देखने का समय नहीं मिलता।"
"लेकिन आप तो मुझे टीवी देखते समय नहीं खाने देते।"
"अरे, इस उम्र में ज्यादा खाओगी तो मोटी हो जाओगी फिर तुम्हारा उठना बैठना और चलना फिरना सब मुश्किल हो जाएगा। फिर तुम्हारा सारा काम कौन करेगा? मैं तो नहीं करने वाला और बहू तुम भी मत करना। नहीं तो ये तुम्हारी चटोरी सास और ज्यादा खाने लगेगी।" बोलते हुए ससुर जी खूब हंसने लगे।
सासू मां भौं सिकोड़ कर देखने लगी।
"अरे-अरे! इतना क्यों मुंह फुला रही है। ठीक है कभी-कभी तुम भी खाते हुए टीवी देख लेना। तो चलो बहु, एक बार फिर से तुम अच्छी चाय बनाओ अदरक, इलायची डालकर फिर हम तीनों चाय की चुस्की लेते हुए टीवी देखते हैं?"
"तुम क्या बोलती हो?" बोलते हुए अपनी पत्नी की तरफ देखा।
"हां-हां बिल्कुल! इसमें पूछने वाली बात क्या है?"
कुछ देर बाद बहु तीन कप चाय लेकर आई। फिर तीनों चाय पीते हुए टीवी देखने लगे तभी ससुर जी ने कहा, "देखो आज हम तीनों साथ में टीवी देखते हैं लेकिन कुछ देर बहू को भी समय मिलना चाहिए अकेले टीवी देखने के लिए..। भले ही मोबाइल का जमाना है लेकिन टीवी पर देखने का अलग मजा है।"
"हां, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। मैं इस बात को जरूर ध्यान में रखूंगी।"
सास-ससुर की इतनी अच्छी बातें सुनकर रिया को बहुत खुशी हुई। और ससुराल में यह लम्हा उसके लिए अविस्मरणीय हो गया।
