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Diwa Shanker Saraswat

Others

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Diwa Shanker Saraswat

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डायरी दिनांक ०९/११/२०२१

डायरी दिनांक ०९/११/२०२१

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 शाम के पांच बज रहे हैं।

 आज मम्मी को आंखों के डाक्टर को दिखाने गया। डाक्टर साहब ने पूरी जांच की। कुछ दवाइयां बढ़ा दी हैं। शनिवार को फिर से दिखाने को कहा है।

   दो दिनों से धारावाहिक का भाग नहीं लिख पाया था। आज ४० वां भाग लिख दिया तथा प्रकाशित भी कर दिया। इस समय लेखन का काम जरा धीमा हो गया है। अभी धारावाहिक की कहानी जितना सोची है, उस हिसाब से अभी लगभग १० भाग तो बन ही जायेंगे। इतने से कम में बात पूरी नहीं हो पायेगी।

  आज ऑफिस से अनेकों बार फोन आया। पर डाक्टर साहब के पास होने के कारण मैंने फोन उठाया नहीं। वैसे मेरी राय में यह कोई अच्छा तरीका नहीं है। जबकि अधिकारियों को ज्ञात है कि व्यक्ति अति अपरिहार्य परिस्थितियों में अवकाश पर है, फिर बार बार तंग करने से क्या फायदा। इसके बजाय आप व्हाट्सअप पर समस्या लिख सकते हैं। उस समस्या के लिये क्या किया जा सकता है, मैं समय के साथ बता देता। जरूरी होने पर फोन पर भी बता देता। पर इस तरह फोन पर फोन किये जाना किस तरह किसी समझदार व्यक्ति का लक्षण है।

   हालांकि कुछ कार्य अवकाश के बाद भी मैं ही कर रहा हूं। डीजल पंप पर पैट्रो कार्ड में ओटीपी देने के लिये मेरा ही मोबाइल नंबर सर्किल टीम ने दे रखा है। प्रति दिन दो चार ओटीपी तो देने ही होते हैं।

 साहित्य किसी साहित्यकार के लिये अमूल्य निधि है। आज के समय में साहित्य की चोरी भी बड़े पैमाने पर होती है। कुछ चालाक लोग इसके लिये इस तरह जाल फेंकते हैं कि होशियार से होशियार साहित्यकार भी इनके जाल में आ जाता है।

  इसी तरह के कुछ चोर मेरी नजर में थे। सौभाग्य से दिनांक ०६ नवंबर को ऐसे ही एक साहित्यिक चोर के खिलाफ उसके षड्यंत्र के पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। फिर भी यदि कोई आगे इनके जाल में फंसता है तो निश्चित ही यह उसका दोष है।

  आज छठ का त्योहार उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। ग्लोबलाइजेशन के युग में त्यौहारों का वैश्वीकरण हुआ है। पहले हमारे उत्तर प्रदेश में इस त्यौहार से कोई भी परिचित न था। पर आज उत्तर प्रदेश के अंतर्गत विद्यालयों का छठ पूजन का अवकाश है।

  छठ पूजन के विषय में ज्ञात हुआ कि इस पर्व का संबंध महाराज प्रियव्रत के समय से है। यह षष्ठी देवी तथा भगवान सूर्य की उपासना का मिला जुला पर्व है।

  आज विचारों के सागर से तलाशने को बहुत अधिक नहीं है। फिर भी लगता है कि जो भी लिखा है, वह विचारों के सागर से ही निकालकर लिखा है। यह दूसरी बात है कि अक्सर गंभीर बातों को ही विचार माना जाता है।

 आज के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।



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