चिड़ियों की तरक़ीब
चिड़ियों की तरक़ीब
जंगल के नदी किनारे एक बहुत पुराना पेड़ था । उस पेड़ पर बहुत सारे चिड़ियों ने अपना अपना घोंसला बनाई थी। और सभी चिड़िया अपने परिवार एवं अपने छोटे छोटे बच्चों के संग ख़ुशी पूर्वक रहा करते थे। सभी चिड़ियों की आपस में खूब मेल जोल थी, सभी एक दूसरे के साथ बड़े प्यार और मेल मिलाप से रहते थे।
एक दिन एक शिकारी ने इसी जंगल से एक हिरन का शिकार करके हिरण को जाल में बांध लाया और इसी पेड़ के नीचे बैठ गया। हिरन को जाल में बंधा और छटपटाता हुवा देख, सभी चिड़िया बहुत दुखी हो जाती है। फिर सभी चिड़ियों ने आपस में सोच विचार करके उस हिरन को बचाने की तरक़ीब निकाली। तभी एक बड़ी चिड़ियां ने एक पक्का हुआ फल को शिकारी के पास नीचे गिरा देती हैं। शिकारी भी भूखा था और शिकारी फल को पका हुवा देख फल खाने लगता है। इस तरह चिड़िया पक्का हुवा फल गिराती रहती है और शिकारी फल खाता रहता है। शिकारी फल खाते खाते उसका पेट भर जाता है और शिकारी इसी नदी से पानी पी कर फिर से हिरन के पास आ बैठता है।अब शिकारी को नींद आने लगती है और शिकारी सोचता है, "थोड़ा आराम कर लेता हूं फिर शहर को जाउंगाऔर इस हिरण को बेचकर बहुत सारे रुपया कमाऊंगा "। शिकार को थोड़े ही देर बाद गहरी नींद आ जाता है और शिकारी सो जाता हैं।
शिकारी को सोते देख सभी चिड़ियों ने हिरन के पास आनी शुरू कर देती है । और अपनी चोंच से जाल को काटना शुरू कर देती है। इस तरह हिरन जाल से बाहर निकल कर जंगल की तरफ तेजी में दौड़ते हुए भाग जाती है। और चिड़ियों की तरक़ीब से हिरन की जान बच जाती है। और शिकारी गहरी नींद में सोता रहता है ।
