चालक बंदर
चालक बंदर
एक जंगल में एक शेर रहता था। उस जंगल के पास ही एक गांव था। शेर रोज गांव से मुर्गा और बकरियों का शिकार करता था। एक दिन गांव के लोगों ने सोचा की शेर जिस रास्ते से आता है वहां जाल बिछा दिया ।गांव वालो ने अगले दिन ऐसा ही किया। अगले दिन सेर फिर गांव की तरफ चल दिया। और जाल में फंस गया ।और उसी रास्ते से एक पंडित जी जा रहे थे। तो सेर ने बोला,पंडित महाराज कृपया कृपा करके मुझे बचा लीजिए। तो पंडित ने तो डर गया। शेर ने बोला डरो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा।
शेर ने उसकी मदद के लिए उस जाल को काट दिया, जब जाल को काटा तो शेर ने बाहर आकर बोला कि भाई साहब अब मुझे भूख लगी है, मैं भोजन अपना कहां से लाऊं, तो वह पंडित बोला कि भाई साहब आप तो मुझे बोले थे कि मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा। अब तुम जाओ यहां से मैं अपने घर को जा रहा हूं।
शेर ने कहा कि मैं तुम्हें ही अपना भोजन बना लेता हूं, तभी वह पंडित डर के मारे कुछ बोल नहीं पाया सोचता रहा कि अब मैं कहां जाऊं, तभी एक लकड़हारा दिखाई दिया और बोला क्या भाई साहब आपने इस जाल को काट दिया है, अब आपकी जान खतरे में है आप कैसे बचेंगे। वह पंडित कुछ नहीं बोला और चुप बैठा रहा ।लकड़हारा वहां से चला गया।
एक पेड़ पर एक बंदर बैठकर यह सब तमाशा देख रहा था। तभी वह बंदर उस पंडित से पूछा कि भाई साहब यह सब क्या है, तो पंडित ने बोला कि यह शेर जाल में फंसा था और मुझे बोला कि मुझे निकाल दो मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा, मैंने इसको निकाल दिया अब ये मुझे अपना भोजन बनाना चाहता है। बंदर ने बोला कि यह छोटी सी जाल है, इसमें यह बड़ा सा शेर कैसे हो सकता है शेर ने बोला कि मैं फसा था जाल में, फिर बंदर बोला कि भाई आप नहीं फंसे थे इस छोटी सी जाल में आप कैसे फंस सकते हो ।
अगर इस जाल में फंसे थे तो पुनः फंस कर दिखाओ, तभी मैं मान लूंगा कि इस जाल में आप फंसे थे। शेर ने उसी जाल में पुनः गया और फिर उस जाल में फंस गया।
बंदर ने उस पंडित को बोला कि, भाई अब आप यहां से चले जाइए अब कभी ऐसी गलती मत करिएगा। पंडित ने बंदर को बहुत सारा धन्यवाद दिया और वहां से चला गया।