Sushama Kumari

Children Stories

2.7  

Sushama Kumari

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घोड़ा खरगोश की मित्रता

घोड़ा खरगोश की मित्रता

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एक गांव में एक घोड़ा और एक खरगोश रहता था । दोनों में बड़ी मित्रता थी । घोड़ा जहां जाता ,खरगोश भी उसी के साथ जाता था ।   एक दिन खरगोश ने अपने अपने मित्र से नाराज हो गया ,और न ही बोलता न ही खाता उस दिन । घोड़ा भी सोच में पड़ गया की आज मेरे प्यारे मित्र क्यों नाराज लग रहे हैं। 


   " क्या हुआ मित्र आज नाराज है क्या ?" खरगोश कुछ नही बोला , खामोश होकर वहां से चला गया ।  घोड़ा सोचा कि आज मैं इन्हें अपनी पीठ पर नही बैठाया इसी लिए नाराज हो गए हैं। 


 ‘ खरगोश को नाराज होने का यहीं कारण था । ’

 खरगोश के पास जाकर बोला मित्र भाई आज हम लोग कुछ दूर घूमने चलते हैं ,आप मेरी पीठ पर बैठिए और यहां से अब निकलते हैं । 


" खरगोश खुश हुआ " अब गांव से कुछ दूर निकल गए हैं दोनों रास्ते में एक कुआं मिला घोड़े को प्यास भी काफी लग चुकी थी , थक भी चूका है, लेकिन अपने मित्र को खुश रखने के लिए वह कही रुका भी नहीं । 


 प्यास से व्याकुल था , अब चल नही सकता । "बैठ जाता है " खरगोश सोचता कि अब मैं कहां जाऊं ? ये तो पता नही कहां ला कर मुझे छोड़ दिए हैं । एक पथिक मिलता है , खरगोश बोला, भाई मुझे अपने साथ ले चलो अब मैं अपना दूसरा मित्र बनाऊंगा ।  


 जब घोड़ा इतना बात सुना तो खामोश हो गया । "अब अपना दम छोड़ देता है ।" 

  

 



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