चंपा बेटी
चंपा बेटी
चंपा अपने माता पिता कि इकलौती पुत्री थी । उसकी मां ‘ चंपा ’कि छोटी उम्र में ही उससे दूर हो गई थी ।
अब केवल चंपा और उसके पिता जी थे । उसके पिताजी पुजारी थे । उसके पिताजी जो भी मन से कह देते थे वह काम पूरा हो जाता था।
अब चंपा शादी के योग्य हो चुकी है , उसकी शादी भी जरूरी है चंपा घर की सारी जिम्मेदारी को देखती , और संभाल कर रखती थी।
लेकिन पता नहीं क्यों चंपा की शादी नहीं लग रही थी । एक दिन उसके पिताजी उसी मंदिर में गए जहां पर रोज पूजा करते थे , माता से अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ वचन दिए।
‘ तभी एक व्यक्ति आया और उसे बहुत तेजी से बोला , कि ये सब क्या कर रहे हो। ’
आदमी ने उसका पैर छूते हुए बोला कि भाई मुझे मत ऐसे बोलो ,मैं बहुत ही मुसीबत में हूं ।
दोनो व्यक्ति उस चंपा के घर गए ।
चंपा ने बहुत ही सही ढंग से उस व्यक्ति का सत्कार किया। चंपा की शादी उस व्यक्ति के लड़के से संपन्न हो गई ।
अब शादी करने का समय आ गया है, लड़के के मन पसंद कि शादी न होने कि वजह से चंपा को मोहन कुछ भी नही समझता था ।
"चंपा से दूर रहना चाहता था ।" राधा नाम कि लड़की उसकी प्रेमिका थी ,उसी से अपनी शादी करना चाहता था ।
वह मुंबई में रहती थी ,मोहन भी चंपा को छोड़ कर मुंबई जाने को तैयार हो चुका है
अब मोहन मुंबई पहुंच गया है, चंपा को भूल गया ।
चंपा कभी फोन लगाती तो बात भी नही करता ।
राधा कि शादी मोहन के साथ तय हो गई ।
राधा कि सहेली उस चंपा से बोली कि चंपा मेरे सहेली की शादी में तुम्हें चलना पड़ेगा ।
चंपा उसकी बात को काट देती है, क्योंकि वह काली थी अपने आप को वह अच्छी नहीं समझती थी । चंपा अपना मेक अप कर के गई तो देखी कि मोहन कि शादी इस लड़की से हो रही है ।
मोहन भी जब देखा तो बोला कि चंपा तुम कैसे, चंपा बोली अपनी सहेली की शादी में आई हूं।
मोहन कुछ भी नहीं बोला और चंपा से भी शादी कर लिया ।