नसीब
नसीब
पहले के दिनों में से आज का दिन बहुत अच्छा लग रहा है।
आज मेरे परिवार में सभी लोग हैं । खाना में कुछ अच्छा बना है ।
एक साथ बैठ कर सभी लोग खाना खा रहे हैं । तभी कोई अतिथि आ जाते हैं। अतिथियों में कोई ऐसे वैसे नही थे ,बल्कि शादी का रिश्ता लेकर आए हैं ।
परिवार के सभी लोग बहुत खुश हैं । एक और नई खुशी मिल गई। आज तो कहीं शादी लगाने लड़के वाले नहीं आते लेकिन मेरा कुछ व्यवहार ही ऐसा है , लोगों को पसंद आ जा रहा है । जो परिवार में केवल मम्मी ,पापा, दो भाई और एक मैं थी । घर का सभी काम अच्छे तरह से करती थी ।
लोग शादी के लिए तड़पते थे लेकिन नसीब नसीब की बात है जिसके नसीब में जो है वही हो सकता है कहीं भी शादी का रिश्ता पक्का नहीं हो पा रहा था मेरे घरवाले सोचते की क्या करें।
शादी के लिए तो बहुत से लोग आ रहे हैं । कभी इधर से रुकावट होती तो, कभी लड़कों वालों की तरफ से , अंत में शादी किसी अच्छे घर के लोगों में सुशिक्षित परिवार में तय हो जाती है । और हंसी खुशी से सबकी जिंदगी बीतने लगती है।
जो मेरी चाहत थी वही हुआ और मैं बहुत खुश थी मेरी सोच सही था मैं कोई भी काम मन दिल और दिमाग से करती थी।
मैं लोगों से अलग कुछ सोचती थी , और अलग तरीके से काम भी करना चाहती थी।
कोई भी दिन हो लेकिन सब लोग खुश रहे , तथा खुशी से अपना जीवन बिताने की कोशिश करें। जो नसीब में होगा वह होकर ही रहेगा , जो नहीं होगा वह चाह कर भी नहीं हो पाएगा। इसलिए हमेशा खुश रहना चाहिए कोई भी दिन हो ।