मेरी दोस्ती
मेरी दोस्ती
जब मैं पढ़ती थी तो, हम एक नहीं चार थे उनमें से दो खास थे जो बहुत पहले से ही साथ में रहते थे ।
कभी बिता हुआ। दिन याद आता है, की जब मैं एक साथ एक ही थाली में भोजन करते थे। जब हम लोग सात, आठ में पढ़ते, थे न तो एक ही थाली में भोजन करते थे ।
फिर अब सोचती हूं कि फिर वही समय आए जो आज से लगभग नौ साल पहले का समय था। लेकिन हम चारो लोगों में से दो की तो शादी हो गई । अब केवल हम लोग दो ही बचे हैं ।
अब सोचती हूं न कि केवल एक ही जगह हम चारों की शादी होती तो कितना अच्छा होता।
फिर वही समय आ जाता जो पहले था।
लेकिन बड़ी मुश्किल की बात है, कि अब कभी नहीं आएगा वह समय ।
जब हम चारों में बिछड़ने की बारी आई , तो दो दिन पहले से खाना नहींखा रहे थे हम लोग ।
ऐसा लग रहा था कि मेरी जितनी भी इच्छाएं है ,सब खत्म हो गई हैं । मेरा अब कुछ भी नहीं बचा इस दुनियां में ।
यही था मेरे दोस्ती का परिचय ।