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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

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अनामिका वैश्य आईना Anamika Vaish Aina

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बुज़ुर्गों का समाज में महत्व

बुज़ुर्गों का समाज में महत्व

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बुज़ुर्ग अर्थात् ऐसे लोग जिन्होंने अपनी आधी से ज्यादा जिंदगी जीकर अनगिनत अनुभवों का लाभ प्राप्त किया हो..

जिन्हें समझ हो जीवन के हर एक पहलू की... जो सक्षम हो अपने अनुभवों की समझ के माध्यम से किसी भी तरह की परेशानी से निजात दिला पाने में.. बुजुर्गों वो हैं जिनकी छाया में हम ख़ुद को महफ़ूज़ महसूस करें और फूले फले.. बुजुर्गों से ही नव पीढ़ी को संस्कार मिलते हैं नैतिकता की शिक्षा मिलती हैं... रिश्ते और रिश्तों में प्यार निभाना सीखते है.. त्याग... समर्पण... प्रेम.. सत्कार.. अदब आदि भावनायें विकसित बुजुर्गों की छाया में ही होती हैं क्योंकि वर्तमान पीढ़ी तो अपने कर्तव्यों में ही व्यस्त रहती है..इसीलिए संयुक्त परिवारों को मैं प्रधानता देती हूं। बुजुर्गों की छांव में बड़ी बड़ी समस्याएं चुटकियों मे हल हो जाती है.. बड़ो का सानिध्य और सहयोग जीवन के कई ऐसे पहलू को बेपर्दा कर देता है जिसकी हमने कल्पना भी न की होती है..बुज़ुर्ग के विचार विमर्श और अनुभव पर तर्क वितर्क करके हम समाज को एक नया रूप भी दे सकते हैं..

अंत में इतना ही कहना चाहूँगी की जो रहस्य और अनुभव बुजुर्गों के पास समय बिता कर मिलेंगे

.. वो सोशल नेटवर्किंग साइट या गूगल पर भी नहीं मिलेंगे..


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