Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win
Turn the Page, Turn the Life | A Writer’s Battle for Survival | Help Her Win

Dishika Tiwari

Others

4.0  

Dishika Tiwari

Others

बस की यात्रा

बस की यात्रा

2 mins
3.1K



हमने की थी बस की यात्रा जाने के लिए हिमाचल प्रदेश। शनिवार का दिन था। इतनी ठंड पड़ रही थी कि थर- थर से सारे अंग काँप रहे थे। लेकिन हमारे अंग नहीं काँप रहे थे, क्योंकि हम चले थे श्री सिद्ध बाबा बालक नाथ जी के मंदिर जो पहाड़ों में है। हमारे साथ तो बाबाजी मंदिर के लिए कुल 3 बस से जा रहे थी । यात्री यानी संगत बहुत सारी थी। हमारा बस पर बैठना झूला झूलते- झूलते जाना बहुत मज़ा आ रहा था। ऐसा पहले और कहीं नहीं देखा था। सच बताऊँ तो हम तीन जगह रुके थे। पहले सुलक्खाया गुरुद्वारे में बारे में, लखदाता पीर जी के यहाँ। इसके बाद फिर सीधा दिल्ली आश्रम में जो कि बहुत अच्छा था। यहाँ तक की यात्रा हमारी सफल रही। परंतु अभी तो गुफा के दर्शन करना बाकी था। सुबह हम गए माता रत्नों के मंदिर करुणा झाड़ी उसके बाद सीधा गुफा के दर्शन करने के लिए निकल पड़े। दर्शन करने का बहुत ज्यादा खुशी के मारे कुछ समझ नहीं आ रहा था। दर्शन करने के बाद दिल बहुत खुश हुआ। सीढ़ियों से नीचे उतरते ही बभूति का प्रसाद लिया। बाबा जी का चमत्कार को तो देखो हम जा ही रहे थे कि हमें एक प्यारा सा सुंदर सा कलैंडर मिला जिस पर बाबा जी की बहुत खूबसूरत तस्वीर लगी थी। उसके बाद हमने थोड़ी सीढ़ियां चलकर और ऊपर गए । वहाँ पर हमने कढ़ी चावल खाए। सैंडविच भी खाया और चाय भी पी। माँ ने कहा ज्यादा मत खाओ नीचे भी लंगर लगा हुआ है वह भी तो खाना है। मैंने माँ की बात मानी और थोड़ा थोड़ा खाया। जब हम नीचे गए तो हमने देखा कि इतने सारे लंगर हर मोड़ पर हर जगह लगे हुए हैं। मन खुश हो गया। फिर बारी आई जाने की मन नहीं कर रहा था वहीं रहने का मन था। धीरे धीरे शाम बीत गई। सुबह हो गई। हम बस पर बैठे और बस चल पड़ी मन तो नहीं था। बेचैनी भी हो रही थी। क्या करती जाना तो था। घर पहुंच गए। एकदम सूना- सूना लग रहा था। संगतो की हलचल, बाबा जी की चौकी की आवाजें, कानों में गूंज रही थी। पर क्या कर सकते थे। यही तक थी हमारी बस की यात्रा जो मैं जिंदगी में कभी नहीं भूल पाऊँगी। 

जय बाबे दी !जय बाबे दी!



Rate this content
Log in