भूल सुधार
भूल सुधार
दिल्ली निवासी कद्दावर नेता को शेख उल आलम (श्रीनगर) एयरपोर्ट पर पत्रकारों की मंडली घेरकर खड़ी थी...
किसी पत्रकार ने पूछा, “आप यहाँ जमीन खरीदने आये थे क्या मामला (डील) तय हो गया?"
"जो पड़ोसी होने वाला था वह क्या सोच रहा यह भी तो पता कर लूँ... इस इरादे से उससे बात करने गया..." नेता की बात अधूरी रह गई।
"फिर क्या हुआ?" सब पत्रकार एक साथ बोल पड़े। सबकी उत्सुकता चरम सीमा पर, सब चौकन्ने हो गए।
"बात-चीत के क्रम में, अपना शहर तो रास नहीं आया... उस समाज के लिए कभी कुछ किया नहीं... जो अपनों के बीच नहीं रहना चाहता, वह अजनबियों के बीच रह पायेगा... उनके मुख से ऐसा सुनकर और भाषा-बोली, खान-पान, चरित्र- व्यक्तित्व से डरे-सहमे लोगों के बगल में रहने का अपना इरादा बदल दिया।"
हवाई जहाज के उड़ने की घोषणा हो रही थी नेता जी के घर वापसी के लिए और सामने न्यूज चैनल पर जन-जन प्रिय प्रत्येक दिलवासी नेत्री के मोक्ष की खबरें आ रही थी...