astha singhal

Children Stories Inspirational

4  

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Children Stories Inspirational

भिखारी

भिखारी

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शौर्य अपने घर की खिड़की से बाहर सड़क पर टकटकी लगाए कुछ देख रहा था। उसकी घर की खिड़की से बाहर की सड़क साफ नज़र आती थी। रेड लाइट पर खड़ी गाड़ियों को देखने में उसे बहुत मज़ा आता था। पर आज वो बहुत गंभीर मुद्रा में टकटकी लगाए कुछ देख रहा था। उसकी मां ने जब उसे गंभीर मुद्रा में यूं टकटकी लगाए कुछ सोचते हुए देखा तो उन्होंने उससे पूछा,"शौर्य, बेटा क्या देख रहे हो?" 


"मां, उन बच्चों को देख रहा हूं। वो सबकी गाड़ी के पास जाकर हाथ फैलाकर क्या मांग रहे हैं?" शौर्य की नज़रें अभी भी बाहर ही थीं।


मां ने खिड़की से बाहर झांकते हुए अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा,"वो भिखारी हैं बेटा। भीख मांगते रहते हैं। चल आजा मेरे पास। तेरे दूध पीने का समय हो गया है।" 


"मां भिखारी कौन होते हैं?" शौर्य की जिज्ञासा और बढ़ गई।


"बेटा, ये लोग गरीब लोग होते हैं जो भीख मांगते हैं।" मां ने उसको दूध का गिलास थमाते हुए कहा। 


"भीख मांगना क्या होता है?" शौर्य ने दूध पीते हुए कहा। 


"उफ्फ शौर्य, बहुत सवाल करते हो तुम। बेटा पैसे मांगने को भीख कहते हैं। ये लोगों से पैसे मांग कर अपना गुज़ारा करते हैं।" मां ने उसे उत्तर देते हुए कहा और रसोईघर में खाना बनाने चल दी। 


शौर्य के नन्हें मन को मां के उत्तर से संतुष्टि नहीं मिली। वो अभी भी खिड़की से उन दोनों बच्चों को देख रहा था। तभी उसके मन में एक और सवाल उठा। वो भाग कर रसोई घर में गया और अपनी मां का आंचल पकड़ कर बोला,"मां, इन लोगों के मां-बाप कहां है? वो क्यों इन्हें ऐसा गंदा काम करने दे रहे हैं?"


"बेटा हो सकता है इनके माता-पिता इस दुनिया में ना हों। और ये भी हो सकता है कि वो ही इनसे भीख मांगने को कहते हों। वो भी शायद दूसरी रेड लाइट पर भीख मांग रहे हों। पूरे दिन में जितने पैसे इकट्ठे होते हैं उसी से ये रोटी लेकर खाते हैं।" मां ने उसके हाथ से गिलास लेकर उसका मुंह साफ करते हुए कहा। 


"तो क्या ये पूरे दिन कुछ नहीं खाते? मेरी तरह सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना, शाम का नाश्ता, कुछ नहीं करते?" नन्हें शौर्य ने मां की गोद में चढ़ते हुए पूछा। 


"बेटा, इनकी ज़िन्दगी तुम्हारी तरह आसान नहीं है। इनके पास ना रहने के लिए छत है और ना ही खाने के लिए भरपेट खाना। ये तो पढ़ने भी नहीं जाते। रोज़ सुबह से शाम बस यूं ही भीख मांग कर अपना गुज़ारा करते हैं।" मां ने शौर्य को प्यार से समझाते हुए कहा। 


ये सब सुन शौर्य एक गहरी सोच में डूब गया। उसे यूं सोचते देख उसकी मां ने कहा,"ये बताओ कि परसों अपने जन्मदिन पर तुम क्या लोगे?" 


शौर्य की मां उसका ध्यान वहां से हटाना चाहती थीं पर वो उसी सोचा में डूबा रहा। उसने कहा,"मां, हम उनके लिए कुछ नहीं कर सकते?" 


"बेटा, हम क्या कर सकते हैं? ये तो सरकार का काम है। हमारा नहीं।" मां ने कहा।


रात भर शौर्य को नींद नहीं आई। वो उन्हीं बच्चों के बारे में सोचता रहा। वो उठ कर फिर से खिड़की के पास जा पहुंचा। वहां उसने उन दोनों बच्चों को रोटी के लिए लड़ते देखा। बड़े बच्चे के हाथ में एक छोटी सी रोटी थी। जिसे शायद वो खुद ही खाना चाहता था। पर उसका छोटा भाई ज़िद्द कर रहा था कि उसे भी आधी रोटी चाहिए। शौर्य का कोमल मन इस दृश्य को देखकर विचलित हो गया। 


सुबह वो उठा और उसने अपने माता-पिता को बताया कि वो अपना जन्मदिन कैसे मनाना चाहता है। माता-पिता आश्चर्य चकित थे पर अपने बच्चे की इच्छा को तो पूरी करना ही था। 


उसके पिता ने उस दिन भाग दौड़ करके सारे इंतज़ाम किए। शौर्य ने भी अपने जन्मदिन की पार्टी के लिए खूब तैयारियां की। 


अगले दिन सुबह उठ वो पहले अपने माता-पिता के साथ मंदिर गया और भगवान का आशीर्वाद लिया। फिर अपने विद्यालय जाकर अपने सहपाठियों के साथ अपना जन्मदिन मनाया। 


शाम को उसकी मां ने उसे अच्छे से तैयार किया और उसे घर की छत पर ले आईं। वहां उसके पिता ने सब तरफ गुब्बारों से सजावट कर रखी थी। फिर उसकी मां ने उसकी आंखें बंद कीं और कुछ पल बाद जब खोली तो उसके सामने उन दो भिखारी बच्चों के साथ-साथ कुछ और उनके जैसे बच्चे खड़े थे। 


शौर्य खुशी से झूम उठा। उसके माता-पिता ने उसकी ख्वाहिश पूरी कर दी थी। वो अपना जन्मदिन उन बच्चों के साथ मनाना चाहता था। 


उस दिन शौर्य ने उनके साथ मिलकर केक काटा, खूब सारे पकवान खाए, खेल खेले, और जाते हुए उन सबको नये कपड़े और खाने के लिए खूब सारा सामान दिया। 


वो जन्मदिन शौर्य का सबसे यादगार जन्मदिन था। उस दिन उसने अपने माता-पिता को कहा कि बड़े होकर वो खूब पैसे कमाएगा और ऐसे बच्चों के भविष्य को सुधारने की कोशिश करेगा। उस दिन उसके माता-पिता ने अपनी हैसियत से ज़्यादा खर्च किया था पर अपने बेटे की इतनी सच्ची और अच्छी सोच पर उन्हें बहुत गर्व महसूस हो रहा था।


काश शौर्य जैसी सोच हर इंसान की हो जाए तो कभी भी किसी भी बच्चे को भिखारी नहीं बनना पड़ेगा। 


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