बेटी के लिए व्रत क्यों नहीं ?
बेटी के लिए व्रत क्यों नहीं ?
"मीरा, नवरात्रि में पूरे व्रत रख रही हो?"सरला जी ने फोन पर अपनी छोटी बहु से पूछा।
" जी मम्मी जी।" मीरा बोली
"देवी माता का व्रत पूजा करना चाहिए। कन्या पूजन भी कर लेना , अष्टमी को।" सरला जी ने मीरा को कहा
" यह आपने अच्छी बात सोची, मम्मी जी। मैं ज़रूर कन्या-बरुए करूंगी।" मीरा ने खुश होकर कहा
सरला जी आजकल अपनी बड़ी बहू कविता के घर गईं हुईं हैं। उन्होंने वहीं से फोन करके मीरा को बताया।
मीरा की शादी हुए दो साल हो गए हैं। उसके आठ महीने की बेटी है, मायरा।
मीरा अगले दिन बाज़ार जाकर कन्याओं के लिए लंच बॉक्स और हेयर बैंड ले आई। सरला जी ने सुनकर कहा कि इतना खर्च क्यों किया।
अष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर मीरा ने दुर्गा माता का भोग बनाया, हलवा, खीर, पूरी, काले चने और आलू टमाटर। मीरा ने आदरपूर्वक कन्याओं के पैर धुलाकर भोजन कराया। उपहार दिए तो बच्चियां बहुत खुश हुईं।
दशहरा के बाद सरला जी आ गईं। आते ही उन्होंने घर की बागडोर फिर से अपने हाथ में ले ली। मीरा को उन्होंने बड़ी बहू कविता के किस्से सुनाए। अधिकतर बातों में यह झलकता कि कविता कैसे अच्छी तरह घर को मेंटेन करती है। मीरा का घर फैला रहता है। कविता खुद भी घर में भी तैयार होकर रहती है। मीरा के तो न कपड़ों ढंग के रहते हैं न ही चेहरा मोहरा।
मीरा सरला जी की बात का बुरा न मानकर सोचा करती कि कविता भाभी के बच्चे बड़े हो गए हैं तो उन्हें घर सम्भालने का समय मिल जाता है।और स्वयं को तैयार रख पाती हैं। मीरा का तो समय ही कम पड़ जाता है। मायरा का काम, सोना , जागना, नहलाना, घर के कामों के बाद मीरा को रात में ही आराम मिलता है। वो भी तब जब मायरा रात को सो जाए, नहीं तो रात को भी चैन नहीं। मीरा सरला जी को अपनी माॅ॑ के समान समझती और पलटकर कभी जवाब नहीं देती।
मीरा सोचती कि जब मायरा बड़ी हो जाएगी तब जाकर वह भी अपने लिए समय निकाल पाएगी।
दशहरे के बाद करवाचौथ आई। व्रत किया सरला जी और मीरा ने। करवाचौथ के चार दिन बाद होई अष्टमी होती है। उस दिन के लिए मीरा इस बार उत्साहित है।
मीरा होई अष्टमी के एक दिन पहले सरला जी से कहती है ,"मम्मी जी, कल सुबह की सहरी के लिए मीठी सेवइयां, हलवा और मटर की कचौड़ी बना ली हैं। "
सरला जी बोली," ठीक है, ठीक है। ज्यादा तो नहीं बना ली है, मुझे ही तो खानी है।"
मीरा बोली," मम्मी जी, इस बार तो मैं भी व्रत रखूंगी क्योंकि मायरा हो गई है और यह संतान के लिए किया जाता है।"
सपना जी बोली, अरे! नहीं नहीं तुम नहीं करोगी व्रत कल। यह व्रत सिर्फ और सिर्फ बेटों के लिए किया जाता है। और बेटों की ही माॅ॑ करती हैं। तुम्हारे जब बेटा हो, तब करना। बेटी के लिए यह नहीं कर सकती हो।"
मीरा बोली," मम्मी जी, पर .."
सरला जी ने कहा," पर वर कुछ नहीं! जो मैंने कह दिया,वह फाइनल है। तुम व्रत नहीं रखोगी।जब बेटा हो तब रखना। बेटों के लिए ही यह व्रत किया जाता है, बेटियों के लिए नहीं।
माला यह सुनकर बोली," मम्मी जी, अभी थोड़े दिन पहले आपने कहा था कि नवरात्रि के व्रत पूरे कर रही हो। अच्छा है, देवी माता के व्रत हैं। जब हम देवी माता की पूजा करते हैं, इसका मतलब हम लड़कियों की पूजा करते हैं। लड़कियों से ही पूरा संसार होता है तो फिर लड़की के लिए यह व्रत क्यों नहीं कर सकती हूं? क्या लड़की संतान नहीं होती है? मेरी संतान अगर लड़की है तो मैं पूजा-व्रत नहीं करूं उसके लिए, ऐसा नहीं होगा। मैं मायरा के लिए व्रत रखूंगी क्योंकि मेरा यह मानना है कि यह व्रत संतान के लिए किया जाता है, बेटा-बेटी हो, यह मायने नहीं रखता है। अगर किसी की बेटी है तो वह बेटी यानी अपनी संतान के लिए उसी प्रकार व्रत कर सकती है जैसे कि बेटे की माॅ॑ करती हैं।"
सरला जी बोली," भई, अब तुम यह नई नई बातें निकाल रही हो। मैंने बेटी के लिए होई अष्टमी का व्रत किसी को करते नहीं सुना।"
मीरा बोली,"मम्मी जी,यह व्रत संतान की विद्या, बुद्धि, आयु वृद्धि और भलाई के लिए किया जाता है। उसके शुभ के लिए किया जाता है। कुशल मंगल कामना के लिए किया जाता है तो सिर्फ बेटे के लिए क्यों ? बेटी के लिए क्यों नहीं? आज से ही हम नई शुरुआत करते हैं। आप इसमें मुझे अपना आशीर्वाद दीजिए और मेरा साथ दीजिए।"
सरला जी की समझ में अब तक आ चुका है कि मीरा बहू ने कभी भी उनके आगे मुंह नहीं खोला, जवाब नहीं दिया। अगर आज वह कुछ कह रही है तो उसकी बातों में सच्चाई है। हालांकि पहले दृढ़ता से मीरा को उन्होंने मना कर दिया पर अब उनको भी बहू का तर्क समझ में आ गया कि संतान तो संतान है भले ही लड़का हो या लड़की।
सरला जी बोली," मैंने कभी इस दृष्टि से सोचा ही नहीं। अब कल मैं भी महेश बेटे के साथ साथ मंजु बेटी के लिए भी व्रत कर रही हूॅ॑। "
मंजु सरला जी की बेटी है जो महेश से बड़ी है। मंजु की दूसरे शहर में शादी हुई है।
मीरा ने लपककर सरला जी का आशीर्वाद लिया और रसोई समेटने चली गई। सुबह जल्दी उठकर सहरी भी तो करनी है मीरा को।