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Sajida Akram

Others

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Sajida Akram

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बच्चे ईश्वर का रुप

बच्चे ईश्वर का रुप

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अभी कुछ दिनों के लिए मै अपनी बेटी के यहाँ पूना गई थी,वो फ्लैट में रहती है दो फ्लैट आमने-सामने हैं, चार फ्लैट में तीन फ्लैट में फेमिली वाले रहते हैं मेरी बेटी के भी दो बच्चियाँ है, सामने वाले फ्लैट में भी सबके बच्चे हैं , बारिश की वजह से सब बच्चों की माँएं बाहर गार्डन में खेलने नहीं भेज रही थीं , बच्चों ने चोरों फ्लैट के बीच में बड़ी सी जगह थी , वहीं अपने फ्रेंड को बुला लिया और खेलने लगे, ख़ूब उधम मचाते कुछ दिनों बाद ही चौथे फ्लैट के मालिक रहने आ गए वो बुज़ुर्ग थे उनके बच्चे बाहर रहते थे, थोड़े से रुड़ थे बच्चों को खेलते देख बहुत गुस्सा करते थे, अपना दरवाज़ा खोल कर बैठ जाते जब शाम को बच्चे इकट्ठा होते तो ज़रा-ज़रा सी बात पर बच्चों डराते थे। 

   बच्चे बड़े मासूम होते हैं , उन बुज़ुर्गों की नज़र में गुस्सा देखकर दुबक जाते। नीचे के दूसरे फ्लैट की जगह पर कोई भी नहीं खेलने देते थे, मेरी बेटी अपने पड़ोस में आए अंकल ,आंटी की बातें बता रही थी ,तो मेरी बड़ी नातिन कहने लगी "देखो ना नानी हम स्कूल से आते हैं , शाम एक घंटा खेलने की परमिशन मिलती है तो ये अंकल, आंटी दरवाज़ा खोल कर घूरते रहते हैं। क्या करें नानी ?" 

  हम एक-दो महीने रहे। हमारे सामने ही एक दिन उन पड़ोस वाली बुज़ुर्ग लेडीज़ ने रात डेढ़ बजे बेल बजाई हमारे दामाद ने गेट खोला तो वो बहुत घबराई हुई थीं उन्होंने बताया मेरे हसबैंड की तबियत बिगड़ रही है, उनको हास्पिटल ले जाना पड़ेगा, मेरे दामाद और बेटी फौरन उनके हसबैंड लेकर कार से हास्पिटल ले गए।बड़े हास्पिटल में एडमिट करा दिया जांचें वगैरह करवाई, सब काम दामाद ने किए ,उनकी तरफ से पैसा भी जमा किया। जब वो अंकल का ट्रीटमेंट चालू हो गया, तब मेरी बेटी और दामाद सुबह पांच बजे लौट कर आए। आंटी ने बहुत धन्यवाद दिया और कहा अब आप घर जाओ आपने मेरे लिए आप भगवान जैसे हैं ।

  जब वो अंकल ठीक हो कर आए तो उन दोनों में चेंज आ गया। पहले तो मेरी बेटी को सपरिवार नाशते पर बुलाया, बच्चों को भी लाने को कहा पर बच्चे तो बच्चे हैं, दोनों बहनों ने कहा हम तो नाना-नानी के पास रहेंगे, हम नहीं जाएंगे। 

  बच्चों का खेलना जारी रहा , बच्चों को ताजुब हुआ अंकल & आंटी दरवाज़ा बंद रखते हैं एक दिन मेरी नातिन आई ,मुझसे कहने लगी नानी एक बात बताओ ऐसे कैसे हुआ कि अंकल & आंटी नाराज़ नहीं होते, हमारे खेलने और मस्ती करने पर मैंने हंस कर कहा बेटी उनको ईश्वर ने समझा दिया , बच्चे ईश्वर का रुप होते हैं। उनका दिल नहीं दुखाएं बस यही समझ आ गई । 

    


   


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