बाबुल मेरी गुड़िया
बाबुल मेरी गुड़िया
किसी भी लड़की के लिए उसकी बिदाई का समय सबसे मुश्किल होता है।वैदेही जिसे माँ बाप ने खूब नाजों से पाला था,पलकों पर रखते थे सभी उसको। कोई बात मुँह से निकलती नहीं और वो पूरी कर देते! हर काम में होशियार थी वो, देखने में भी सुन्दर थी।माँ बाप ने हैसियत से ऊपर शादी की।लड़का सरकारी अफसर था।इसलिए मन में पूरी उम्मीद थी कि वो उनको वैदेही को खुश रखेगा! और यह सच भी साबित हुआ। सास ससुर और उनका दामाद निश्चय सब उसका खूब ध्यान रखते।वैदेही के मायके में उसकी बहुत सी गुड़िया थी।शादी के बाद वैदेही जब मायके आई तो गुड़ियों को देख माँ से कहने लगी कि "माँ, मेरी इतनी गुड़ियाँ आपके घर पड़ी हैं, आप इनका क्या करेंगी? इनको मैं अपने साथ ले जायूँ क्या?" यह सुन उसके पिता जी ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा कि बेटी तू तो अब पराई हो गयी है, पर तेरी गुड़िया तो आज भी हमारी अपनी है। यह तेरी हर याद को हमेशा ताज़ा रखेगी।मैंने तुझे उपहार में हमेशा गुड़िया दी है, फिर चाहे तुम्हारा जन्मदिन हो या फिर कोई और अवसर!
अब तू 22 वर्ष की है।हर गुड़िया में तेरे जन्म से लेकर आज तक के सारे पल मेरी यादों में संजोय हैं, इसलिए इनको लेने की बात तो तू सोच भी नहीं सकती। वैदेही एक प्यारी सी मुस्कुराहट देकर पिता जी के गले लग गयी।यह सब बातचीत निश्चय ने सुन ली थी, पर उसने कभी इस बारे में कोई चर्चा नहीं की।अब वैदेही भी अपने घर में रस बस गयी थी।
शादी के 2 साल बाद उसके घर एक नन्ही परी ने जन्म लिया।निश्चय ने जब अपने बेटी के जन्म की खबर सुनी वो जल्दी से कहीं भाग के चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो अपनी बेटी तारिणी से मिलने आया तो उसके हाथ में एक प्यारी सी गुड़िया थी।उसने वो तारिणी के सिरहाने रखी और तारिणी को गोद में उठाया।यह सब देख निश्चय के माता पिता रिश्तेदार हैरान थे, पर वैदेही और उसके माता पिता समझ गए थे कि निश्चय भी तारिणी के जन्म से लेकर उसकी बिदाई तक के सारे पल ऐसे समेटना चाहता है जैसे की तारिणी के नाना जी ने समेटे थे।आज भी शादी के इतने सालों बाद जब वैदेही अपने मायके जाती है, तो अपने पिता जी को चिढ़ाने के लिए कह देती है कि,"बाबुल मेरी गुड़ियाँ तेरे घर रह गई"! उसके पिता जी उसको प्यार से डाँट लगाते और यह सब देख तारिणी खिलखिला कर हंस पड़ती।सच में लड़कियां और चिड़ियां दोनों एक जैसी होती हैं, जिनको उड़कर दूसरे घर जाना होता है!
