Anju Agarwal

Others

3.0  

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मिनिमल नीड

मिनिमल नीड

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अंतिमा अपने पति अनिमेष की 'मिनिमल नीड' की थ्योरी के चलते इतनी दुखी थी कि बस पूछो मत..

अभी कल ही की बात है.. मौसम खराब हो गया! बारिश होने लगी,

तो जनाब की 'एकमात्र' बनियान सूख नहीं पाई! बस घूमते रहे.. 

सारा दिन केवल शर्ट पहने हुए!

ऐसा नहीं है कि अंतिमा ने कोशिश नहीं की..

लेकिन जब भी एक दो अतिरिक्त बनियानें खरीदी पुरानी जाने कहां गायब हो जाती थी..

और पूछो तो जनाब का वही रटा-रटाया जवाब- "अरे! एक में काम चल सकता है, तो एक्स्ट्रा क्यों रखना!

कितने ही लोग हैं जो बिना कपड़ों के रहते हैं! उन्हें हम नहीं देंगे तो कौन देगा!

तुम्हें पता भी है यह तो केवल हम इंडियन ही हैं जो इतना सामान इकट्ठा करते जाते हैं! 

मेरे दोस्त अनंत ने पूरा 1 साल अमेरिका में केवल पहने हुए कपड़ों में बिता दिया था..

वह कैसे?? जब मैंने आँखें फाड़ कर पूछा तो जवाब सुनकर मैं और बेटू दोनों ही हँसते हँसते लोटपोट हो गए थे! 

देखो अनिमेष ने बड़ी गंभीरता से समझाया- अंडरवियर तो रात मे धोकर डाल दी और शर्ट 2-3 दिन में एक बार रात में धो ली.. बस रात भर मे सूख के तैयार..इसी तरह जींस तो मजे से 1 महीने चल जाती थी!

 "उफ.. बाहर जा कर लोग इतने गंदे हो जाते हैं क्या?" मैंने सोचा!

 अनिमेष के पास तो अपनी बात को सही साबित करने के ढेरों तर्क थे लेकिन अंतिमा क्या करे.. .

और पिछले महीने तो हद ही हो गई थी!

सुबह जल्दी जल्दी अंतिमा ऑफ़िस जाने के लिए तैयार हो रही थी कि 

जनाब अपनी एकमात्र अंडरवियर लगे ढूंढने... 

जब नाश्ते के लिए बार-बार आवाज़ देने पर भी कोई रिस्पांस नहीं मिला तो अंतिमा ने पूछ ही लिया- क्या ढूंढ रहे हो?

 यार...मेरी काली वाली अंडरवियर नहीं मिल रही! "'काली वाली' तो ऐसे कह रहे हैं..

जैसे हरी, नीली, पीली भी हो इनके पास",

अंतिमा मन ही मन भुनभुनाई..

 लेकिन फिर घड़ी की सुई को भागते देख उसने भी ढूंढना शुरू किया!

"कल ही तो मैंने धोई थी, और शाम को सारे कपड़े छत से उतार कर यही रखे थे, फिर कहां चली गई" अनिमेष बुदबुदा रहा था! अंतिमा! तुमने अपने कपड़े समेटे थे उनमें देखो जरा.. अरे भई मैंने तो सिर्फ अपने कपड़े समेटे थे.. 'सिर्फ अपने' समझे! अंतिमा चिढ़कर बोली! 

5 मिनट बाद अनिमेष फिर बोला.. यार तुम जरा अपने कपड़े चैक करो प्लीज!

'अच्छा बाबा, देखती हूं.. अपने कपड़ों की तह को देखकर पलटते समय अचानक अंतिमा को लगा कि बीच में कोई काला कपड़ा झांक रहा है.. अरे बाप रे!यह तो अनिमेष की अंडरवियर है, मेरे कपड़ों में कैसे आ गई! अब क्या करूँ! अब बचने का कोई रास्ता नहीं था! अंतिमा ने अंडरवियर सोफे पर ले जाकर पटक दी.... ये लो तुम्हारी अंडरवियर.. 

देखते ही अनिमेष बौखला गया... 1 घंटे से मैं इसे ढूंढ रहा हूं और तुमने इसे अपने कपड़ों के साथ रख दिया! ऐसे मे भला ये मिलती भी कहां से...

तुम औरतों का दिमाग.. पता नहीं कहां रहता है..

 "तुम औरतों का दिमाग" सुनते ही अंतिमा का दिमाग गरम हो गया..

हां-हां ठीक है!

इतनी क्या बड़ी बात हो गई!

सारा दिन मशीन की तरह काम करो..घर, ऑफिस, बच्चों की टेंशन झेलो..

और उसमे अगर जल्दबाजी मे ये अंडरवियर मेरे कपड़ों के साथ चली भी गई तो इतनी बड़ी क्या आफत हो गई! 

क्या हो गया? तुम पूछ रही हो क्या हो गया?

इतनी बड़ी लापरवाही! 

क्या इसी तरह तुम ऑफ़िस में काम करती हो?

इसकी फाइल उसमें लगा दी उसकी इसमें लगा दी..

अनिमेष चिल्ला पड़ा! 

'अब तो हद हो गई'! अंतिमा बिफर पड़ी.. तुम्हारी अंडरवियर क्या 'महत्वपूर्ण' फाइलें हैं?

पचास बार कहा है कि कुछ और कपड़े खरीद लो कभी कोई कपड़ा खो जाए तो..


 खो जाए मतलब? पहले चीजों को लापरवाही से इधर-उधर रख दो और फिर खरीद-खरीद कर ढेर लगा दो!

 आज हमारे पास पैसा है, इसका मतलब यह नहीं कि गैर जरूरी सामान इकट्ठा करके घर को कचरा घर बना दें! हजारों गरीबों के पास तन ढकने को एक कपड़ा नहीं और हम अपनी अलमारी कपड़ों से भर ले!

अब अंतिमा कुछ नहीं बोली, बस गुस्से में अपना पर्स लेकर निकल पड़ी और सीधे बाजार जा कर पहले तीन अंडर वियर का पैक खरीदा दुकानदार तो छह का पैक खरीदने पर जोर देने लगा- मैडम! यह देखिए! इसमें पांच अंडरवियर के साथ एक फ्री है!प रंतु अंतिमा ने सोचा कि छह अंडरवियर देखकर तो अनिमेष मेरी फिजूलखर्ची पर पागल ही हो जाएगा और पूरी रात भाषण चलेगा कि मैंने हिंदुस्तान के पांच नंगे लोगों के हक की अंडरवियर खरीद ली! 

तीन अंडरवियर का पैक ला कर चुपचाप अनिमेष की अलमारी में रख दिया और अपने काम में लग गई!

सुबह के झगड़े, तनाव और दिन भर की भूख ने शायद अनिमेष को भी अपनी ग़लती का एहसास करा दिया था इसलिए अलमारी में कपड़े रखते समय जब उसने अंडर वियर का पैक देखा तो चुपचाप उन्हें धुलने के लिए बाथरूम में डाल दिया! चाय पीते समय दोनों मे कोई बात नही हुई!

रात में डाइनिंग टेबल पर खाना खाते हुए अनिमेष बोला- यार अंतिमा! अच्छा ही किया,जो तुम ये अंडरवियर खरीद लायी! ख्वामखाह सुबह झगड़ा हो गया!

नही अनिमेष! गलती मेरी थी! मुझे अपने कपड़े ध्यान से रखने चाहिए थे! इतनी देर से चुप अंतिमा भी बोल पड़ी! 

चलो इसी बात पर झगड़ा खत्म होने की खुशी में आइसक्रीम खाने चलते हैं..बेटू बोली, और सब खिलखिलाकर हँस पड़े! 



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