अधिक बरसात आफत या फिर ........
अधिक बरसात आफत या फिर ........
अधिक बरसात आफत या फिर .......
"कहा था न रवि कि बरसात का समय है अनजान रास्ते से मत चलो । लो अब क्या करोगे ? गाड़ी भी बंद हो गई यहाँ कहाँ से मेकैनिक आयेगा । "-
झल्लाते हुए शीलू बोले जा रही थी । सूरज ढल चुका था । अंधेरा छाने लगा था । तभी एक बुजुर्ग व्यक्ति गाड़ी के पास आकर कहा
" बाबूजी आप आगे नहीं जा सकते । आगे के रास्ते पर बहुत ऊपर तक पानी बह रहा है आप वापस हो जाएं । "....
. रवि --
" मेरी गाड़ी खराब हो गई है क्या यहाँ मेकैनिक मिलेगा ? "
बुजुर्ग ---
" नहीं , यहाँ तो कोई नहीं मिलेगा । आप चाहें तो यहीं छोड़ दें और कल ले जाएं । मेरा घर यहीं है । वैसे आपको आगे जाना है तो मैं नाव से पार करा दुंगा आगे गांव है वहाँ रिक्शा आटो मिल जाएगा । ".
शीलू ( चौंकते हुए ) ---" आगे पानी इतना है कि नाव चलती है ? "....
. बुजुर्ग --" हाँ मेमसाहब , पूरी बरसात हम एही काम करते हैं इसी से हमारी रोजी रोटी चलती है । "
दोनों बुजुर्ग के नाव से आगे जाने के लिए चल दिए । लेकिन शीलू ( मन ही मन )
" क्या विडंबना है अधिक बरसात किसी के लिए आफत तो किसी के लिए रोजी रोटी का साधन । " --
