anuradha chauhan

Children Stories

5.0  

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आया झूम के बसंत

आया झूम के बसंत

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"माँ..! माँ सुनो.. दादी कह रहीं हैं, बसंत आ रहा है..!"

"और साथ में गणेश जी और सरस्वती जी के जन्मदिन का संदेश भी ला रहा है..!"

"माँ यह बसंत कौन है..?"

नन्ही मिनी मासुमियत से माँ से सवाल पे सवाल किए जा रही थी।

माँ ने मुस्कराते हुए कहा।

"आ लाडो मेरे पास बैठ..!"

"बसंत ऋतुओं का राजा है..!बसंत का मौसम बड़ा ही सुहावना होता है...! इसलिए इसे ऋतुराज भी कहा जाता हैं...!"

"और पता इस ऋतु के आते ही कुछ घरों में गणपति बप्पा की पूजा होती है..! फिर माँ सरस्वती की पूजा होती है..!"

"पेड़-पौधों में नयें नयें पत्ते और फूल खिलते है..!"

"खेतों में हरियाली छा जाती हैं. मंद मंद पवन बहती है..!"

आम के वृक्ष पर अमराई खिल उठती है..!"

"और कोयल रानी मीठी वाणी में कुहू कुहू का मधुर संगीत सुनाती है..!

"अरे वाह माँ फिर तो घर में मिठाई बनेगी..?"

"हाँ लाड़ो जरूर बनेगी, बसंत अपने साथ त्योहारों की बहार जो ला रहा है..!"

दादी भी मिनी और बहू का संवाद सुनकर आ जाती हैं।

"अरे बहू भूल गई..? शिवरात्रि और होली का रंग-बिरंगा त्यौहार भी तो ला रहा है बसंत।

मिनी चहक कर गाने लगी"आया झूम के बसंत,झूमो संग संग में" और बाहर खेलने भाग जाती है।


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