आत्म-सम्मान
आत्म-सम्मान
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बहुत देर इंतजार के बाद सियाराम जी के पास परिवार का कोई भी सदस्य नहीं आया तो किचन के पास आकर चिल्ला उठे। तब बहू बोली -क्या बात है पापाजी? बहू मेरा खाना? आवाज में अकड़पन था।
हमें तो ध्यान नहीं रहा, पापा जी। बहू बोली।
तुम्हें क्यों याद रहेगा? बोले।
बहू रोब से बोली, तो क्या हुआ? आपको मांग लेना चाहिए ।
ससुर जी अपना समान बैग में पैक करते हुए आत्मसम्मान के साथ स्वाभिमान से बोले, जब मांग कर ही खाना है तो कहीं भी मांग कर खा लूंगा।
