आपका सबसे बड़ा डर
आपका सबसे बड़ा डर
हमारी दुनिया बहुत खूबसूरत है।इसमें हम और आप अपनी अपनी दुनिया में मस्त रहते है और जिंदगी बड़े ही मजे से चलती रहती है।
इसी जिंदगी में हमारा समाज भी रहता है और हम उसे चाहकर भी नजरअंदाज नहीं कर सकते।समाज का हस्तक्षेप हमारे जिंदगी में जाने अनजाने होता रहता है।
मैं बहुत बार असहज होती हुँ जब जब समाज का कुछ ज्यादा ही हस्तक्षेप लोगों की जिंदगी में देखती हूँ।कभी उन्मादी भीड़ ही समाज का रूप लेकर कानून अपने हाथ में लेती है और बिना किसी पुलिस या जज के सजा देती है।
ऐसी किसी भी mob lynching से मुझे डर लगता है क्योंकि जिस भी समाज में ऐसी कोई घटना होती है तो वहाँ न सिर्फ mob lynching का victim मरता है बल्कि वह समाज भी मरता रहता है।
जब कोई भी दो वयस्क अपनी पसंद से शादी करना चाहते है या शादी कर लेते है तब कुछ लोग समाज के ठेकेदार बन जाते है और घर वाले उनके दबाव में उन शादीशुदा या प्रेमी जोड़ें को बड़ी बेरहमी से मार देते है।मुझे इस बात से भी डर लगता है की यह कैसा समाज है जो मनपसंद साथी चुनने की भी आजादी नही देता।
मुझे बहुत डर लगता है जब मैं हर चौराहे पर छोटे छोटे बच्चों को झुलसती गर्मी में या फिर ठिठुरती सर्दी में भीख माँगते हुए देखती हुँमेरे मन में बार बार सवाल उठता है कि इन बच्चों का बचपन छिनने में हम और हमारा समाज क्या जिम्मेदार नहीं है? क्या उन बच्चों को खेलने का भी अधिकार नहीं है?
मैं कभी कभी बहुत डर जाती हूँ जब देखती हूँ अपने आस पास के लोगों को जो अपने-आप में सिमटते जा रहे है।हमे किसी दूसरे के लिए समय ही नहीं है।जैसे हम इंसानों की शक्ल में दरख़्त बनते जा रहे है जो स्थिर खड़े रहते है अपनी जगह और कातर निगाहों से टुकुर टुकुर तांकतें रहते है अपने चारों ओर खामोश और बेआवाज और किसी भी बात से बेअसर...
किसी भी समाज को धीरे धीरे मरते देख मैं डर जाती हुँ...
