आज के बच्चे
आज के बच्चे
कार्तिक और अश्विनि दोनों भाईबहन एक ही स्कूल में पढ़ते थे । दोनों को नाच गाने का बहुत शौक था । उनके शौक को देखते हुए स्कूल की टीचर ने दूसरे बच्चों के साथ उन्हें भी वार्षिक उत्सव में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के एक डांस में उनका भी नाम लिख लिया और साथ में सबको हजार रुपये दूसरे दिन लाने को कहा । स्कूल छूटते ही भागते -दौड़ते घर पहुँचे ।
घर आते ही दोनों ने अपनी माँ संजीवनी से स्कूल की बातें बताने लगे । बातों बातो में ये बात भी बता दी । उसने उनको समझाया कि देखो,बेटा,तुम दोनों डांस में भाग ले रहे हो बात तो अच्छी है पर बेटा, हजार रुपये उसके लिये देना बड़ा मुश्किल है । हम लोग बहुत गरीब हैं ,इतने पैसे हमारे पास तो नहीं है । पापा से पूछ लो,अगर वो दे सकें तो तुम लोग डांस में भाग ले सकते हो ।
शाम को पापा के आने के बाद दोनों भाईबहन आपस में एक दूजे को बोलने लगे । भाई बहन को बोल रहा है "तू बोल" बहन भाई को बोल रही है "तू बोल" पर दोनों में से कोई बोल नहीं रहा है । ये देखकर यशवंत ने संजीवनी को पूछा तो उसने सारा किस्सा बता दिया । यशवंतने सारी बात जानने के बाद अपना फैसला सुना दिया " नहीं तुममें से कोई भी डांस में भाग नहीं लेगा । पढा़ई पर ध्यान दो । वो काम आयेगी ,ये डांस वांस किसी काम का नहीं । सुन कर दोनों एक साथ बोल पडे़"नहीं नहीं, हम बहुत अच्छे से पढा़ई करते हैं ,और आगे भी करेंगे पर हमें डांस में भी भाग लेना है।"पर यशवंत नहीं माना । दोनों ने बहुत मनाने का प्रयास भी किया पर वो टस से मस भी नहीं हुआ तो वो दोनों रोने लगे । वो दोनों रोते–रोते ही सो गये ।
संजीवनी ने अपने पति को बाद में मना लिया । दूसरे दिन यशवंत को अपने बच्चों पर दया आ गई और स्कूल जाते वक्त दोनों को बुलाकर एक हजार रुपया दिया तो दोनों बहुत खुशी से पैसे लेकर स्कूल गये ।
कक्षामें जानेपर कार्तिक को पता चला कि उसके दोस्त को उसके पापा ने पैसे नहीं दिये इसलिये डांस में भाग नहीं लेगा । कार्तिक ने सोचा जब वो भाग नहीं ले रहा है तो मैं भी नहीं लेता । चुँकि वो अपने दोस्त की देखा-देखी डांस में भाग लेने को तैयार हो गया । वो आधी छुट्टी में अपनी बहन से मिला और बोल दिया कि उसे भाग लेना है तो ले वो खुद भाग नहीं ले रहा है। उसकी बात सुनकर अश्विनी बोली " आप क्यूँ नहीं भाग ले रहे हो ?"कार्तिक ने कहा "क्योंकि मेरा दोस्त भाग नहीं ले रहा है । " " तो फिर मैं अकेली हो जाऊँगी । पापा अकेली को भाग लेने नहीं देंगे ।तो मैं भी भाग नहीं लूंगी ।" उसका जवाब सुनकर कार्तिक ने कहा " ठीक है तो हम दोनों का नाम टीचर को बोलकर कटवा देता हूे।" कहकर वो अपनी कक्षा में चला गया ।
शाम को पापा के घर आने के बाद कार्तिक ने अपने पापाको वो सारे पैसे लौटाते हुए कहा " ये लो पापा,पैसे वापस लो । मैं नहीं भागले रहा हूं।"
यशवंतने पुछा " क्यूँ क्या हुआ ? कल तो बहुत रो-रोकर मना रहा था, पढा़ई अच्छे से करुँगा । मुझे भी भाग लेना है ,आज क्या हुआ ?"
उसने सर झुका कर कहा " पापा वो मेरा दोस्त है न वो भाग नहीं ले रहा हैं ।"
"वो क्यों नहीं भाग ले रहा है ?" यशवंत ने पुछा।
"उसके पापाने उसे पैसे नहीं दिये "कार्तिक ने कहा ।
"क्यों नहीं दिये ? वो लोग हमारी तरह गरीब नहीं है फिर रोज उसे अपनी कार से छोड़ने आते हैं । "यशवंत ने पूछा।
"पता नहीं पापा, "कार्तिक ने कहा
उसे जाने दे, तुझे क्या हुआ तुझे तो भाग लेना था न,तुने उसकी वजह से क्यूँ अपना और अपनी बहन का नाम कटवाया । तुम दोनों को तो मैंने भाग लेने के लिये पैसे दिये थे तूने क्यूं भाग नहीं लिया ?"
"वो चुप रहा कुछ नहीं बोला। "
अपने बेटे से जवाब न पाकर यशवंत को बहुत गुस्सा आया ।
उसने उससे पैसे ले लिये और बोला "मैं, तुम्हारे पापा ने मना किया तो तू नहीं माना और तुम्हारे दोस्त ने मना किया तो अपने साथ अपनी बहन का भी नाम कटवा दिया ? शर्म नहीं आती इसके पहले गुस्से में उसका हात उठ जाये संजिवनी ने आकर उसे थाम लिया और कहा " जाने दो,अभी डांसमें भाग भी नहीं ले रहा और पैसे भी वापस ला दिये ।" बेटे की तरफ मुड़ के समझाते हुए बोली "फिर कभी ऐसा किया तो देख लेना पापा ही नहीं मैं भी लगाऊंगी दो-चार थप्पड़ और जम के "सुनकर कार्तिक घबराया उसने कान पकड़कर बोला "सॉरी पापा , सॉरी मम्मी गलती हो गई ।"
