बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपइया
बड़े जुर्म छुपाते हुए मामूली समझे जाने वाले सुराग ही अहम होते है
माँ भी तन्मयता से उसकी बातें सुन रही थी...।
उसको अटैक आता है और वो भी मर जाती है।
पुजारी जी की बातें सुन कर पिता पुत्री दोनों के चेहरों पर संतोष एवम संयम के भाव उभर आए ।
मैंने आँखें बंद की और गहरी साँस लेते हुए आँखें खोली। फिर विंडोज + एल बटन दबा कर बोला -“चल आ चाय पी कर आते हैं।”