जीवन में बड़ी से बड़ी परेशानियों का हल है करक रोग से पीड़ित होते हुए भी हौसले और हिम्मत से बीमारी से उबर कर आगे बढ़ना दूसरों...
शाम को जब वह मुन्ने को पीठ पर बांध निकलती तो सब उसे झूले वाली माँ कह कर बुलाने लगे थे।
निर्मला जी ने रोती हुई अपनी लाडली बेटी को ऐसी सीख दी, इतनी हिम्मत दी की सिया का हौसला बढ़ा और उसने अपनी जगह बना ली
पड़ोस के कमरे से गाने की आवाज आ रही थी,आज मैं उपर, आसमां नीचे।
इसके लिये किसी को दोष भी नहीं दिया जा सकता है।
म अपने प्रिय जन की खुशी को उसकी भलाई के ऊपर रखते हैं, ये हमारा कैसा प्यार है।