माँ-बाप के चेहरे में वो ही ख़ुदा रहते हैं। ज़नाब ज़रा-सी सेवा करके तो देखो सुकून भी यही है और सुख भी वही हैं।।
जो हमारे हार में खुद की हार न देखता हो, जो हमारे हँसते हुए चेहरे के पीछे के दर्द को न महसूस कर सके, वह भला हमारा हमदर्द ...
“मैं तुम्हें समय के उस काल खंड में ले चलता हूँ। तुम उसे अपनी आँखों से देखो, स्वयं ही उसे महसूस करो।"
अंजली से राजकुमारी नाम बुलवाती है और फिर से लात महसूस होती है
लेखक : इवान बूनिन अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
मन भर रहा था दोनों का।