अगर हम इसे आंगन बढाने के लिये लेते हैं तो कभी न कभी तो सरकार का ध्यान रास्ता बनाते समय इस तरफ जायेगा... अगर हम इसे आंगन बढाने के लिये लेते हैं तो कभी न कभी तो सरकार का ध्यान रास्ता बना...
फिर उठी मछली खाई और फिर अपने डोका के घर चली गई, कहानी ख़त्म पैसा हजम। फिर उठी मछली खाई और फिर अपने डोका के घर चली गई, कहानी ख़त्म पैसा हजम।
आज शशि अपना जीवन सुख से गुजार रही है। आज शशि अपना जीवन सुख से गुजार रही है।
खुशी से यूँ दमक रहे थे की कैमरे की फ्लैशलाइट भी उसके आगे फीकी पड़ चुकी थी। खुशी से यूँ दमक रहे थे की कैमरे की फ्लैशलाइट भी उसके आगे फीकी पड़ चुकी थी।
उसका गम छिपाकर भी चुप हैं क्योंकि वह फिर एक मां को दुखी नहीं करना चाहती। उसका गम छिपाकर भी चुप हैं क्योंकि वह फिर एक मां को दुखी नहीं करना चाहती।
युवा पीढ़ी तो मोबाइल हाथ में लेकर घंटों कहीं भी गुज़ार सकती है, ऐसा वो कहते थे। युवा पीढ़ी तो मोबाइल हाथ में लेकर घंटों कहीं भी गुज़ार सकती है, ऐसा वो कहते थे।