Pawan Gupta

Children Stories Comedy

4.1  

Pawan Gupta

Children Stories Comedy

पेड़ भी बोलते हैं

पेड़ भी बोलते हैं

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दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ ,

छोडो भी ये गुस्सा जरा हस के दिखाओ !

दादी अम्मा दादी अम्मा मान जाओ ....

ये गाना गाते हुए रोहित और मुन्नी अपनी दादी से कहानी सुनाने की जिद कर रहे थे ..

 दादी - अरे बच्चो रुको तो शाम को भगवान् का भजन करना चाहिए फिर कुछ करना चाहिए !

रोहित - दादी हो तो गया भगवान् का भजन अब तो सुना दो कहानी !

मुन्नी - दादी दादी पेड़ भी बात करते है , ऐसी कोई कहानी सुनाओ..

दादी - अच्छा अच्छा सुनो सुनती हू एक कहानी ...

किसी गांव में एक पति पत्नी रहते थे , पति का नाम डोका था और पत्नी का नाम डोकी !

मुन्नी - दादी उनका नाम ऐसा क्यू था !

दादी - चुप चाप कहानी सुनो नाम यही ठीक है !

इन दोनों में हमेसा किसी न किसी बात पर लड़ाई होती ही थी ,

एक बार की बात है ,इन दोनों में खूब लड़ाई हुई , और डोकी डोका से गुस्सा होके घर छोड़ कर चली गई !

चलते चलते वो एक बहुत बड़े फलो के बगीचे में पहुंची , वो थकी हुई थी और उस बगीचे में कोई इंसान भी नहीं था , तभी आवाज आई ,ओ डोकी कहा जा रही हो !

डोकी - कौन हो तुम कौन बोल रहे हो !

डोकी को आवाज आई" मैं आम का पेड़ हू" , तुम कहा जा रही हो !

डोकी रोते हुए दुखी मन से बोली !

डोका डोकी में झगड़ा हुआ ,इसलिए डोकी गुस्सा के जा रही है !

आम का पेड़ - डोकी मेरे पास रहोगी !

डोकी - क्या खिलाओगे क्या पिलाओगे कहा पर मुझे सुलाओगे !

आम का पेड़ बोला - आम खिलाऊंगा आम के पत्तो पर सुलाऊँगा आम के पत्ते ही ओढ़ाउंगा !

डोकी बोली - मैं नहीं रहूंगी ..नहीं रहूंगी ..

बोलते हुए आगे चली गई !

आगे कुछ दूर चली होगी कि जामुन का पेड़ मिला उसने भी यही कहा - डोकी कहा जा रही हो !

डोकी - दुखी होकर बोली डोका डोकी में झगड़ा हुआ ,इसलिए डोकी गुस्सा के जा रही है !

जामुन का पेड़ - डोकी मेरे पास रहोगी !

डोकी - क्या खिलाओगे क्या पिलाओगे कहा पर मुझे सुलाओगे !

जामुन का पेड़ - जामुन खिलाऊंगा जामुन के पत्तो पर सुलाऊँगा जामुन के पत्ते ही ओढ़ाउंगा !

डोकी बोली - मैं नहीं रहूंगी ..नहीं रहूंगी ..

बोलते हुए आगे चली गई !

आगे चलते चलते फिर उसे केले का पेड़ मिला उसने भी यही कहा - डोकी कहा जा रही हो !

डोकी - दुखी होकर बोली डोका डोकी में झगड़ा हुआ ,इसलिए डोकी गुस्सा के जा रही है !

केले का पेड़ - डोकी मेरे पास रहोगी !

डोकी - क्या खिलाओगे क्या पिलाओगे कहा पर मुझे सुलाओगे !

केले का पेड़ - केला खिलाऊंगा केले के पत्तो पर सुलाऊँगा केले के पत्ते ही ओढ़ाउंगा !

डोकी बोली - मैं नहीं रहूंगी ..नहीं रहूंगी ..

बोलते हुए आगे चली गई ! 

आगे चलते चलते फिर उसे एक नदी के किनारे एक बगुला मिला उसने भी यही कहा - डोकी कहा जा रही हो !

डोकी - दुखी होकर बोली डोका डोकी में झगड़ा हुआ ,इसलिए डोकी गुस्सा के जा रही है !

बगुला बोला - डोकी मेरे पास रहोगी !

डोकी - क्या खिलाओगे क्या पिलाओगे कहा पर मुझे सुलाओगे !

बगुला बोला - मछली खिलाऊंगा मछली के कांटे पर सुलाऊँगा मछली का कांटा ही ओढ़ाउंगा !

डोकी - रहूंगी ... रहूंगी .. रहूंगी .. खुश होके बोली ! 

बस फिर क्या था दोनों साथ साथ रहने लगे बगुला मछली पकड़ कर लाता और डोकी घर पर मछली बनाती फिर दोनों मिल कर मछली खाते !

एक बार की बात है ,डोकी मछली बना रही थी , और घर में पानी ख़त्म हो गया !

डोकी ने बगुले से कहा कि तुम मछली को देखो कही बिल्ली मौसी मछली न ले जाये ,मैं पानी लेकर आती हू तो दोनों मिल कर मछली खाएंगे , तुम मछली के बर्तन में अपनी चोंच मत डालना अभी बहुत गरम है तुम जल जाओगे !

ये समझाकर डोकी पानी लेने चली गई , इधर बगुले को लालच के मारे मुँह में पानी आने लगा उसने बिना सोचे मछली खाने के लिए अपनी चोंच बर्तन में दाल दिया !

चोंच डालते ही वो चिल्लाने लगा मुझे बचाओ ...मुझे बचाओ!

मैं जल रहा हू , पर वहां कोई भी नहीं था उसकी मदद करने के लिए !

बगुला छटपटाता हुआ मर गया !

जब डोकी आई और बगुले को मारा देखीं तो छाती पिट पिट कर रोने लगी !

कहने लगी बगुला भैया चले गए अब मुझे कौन मछली खिलायेगा , रोते रोते यही बोलती रही फिर उठी मछली खाई और फिर अपने डोका के घर चली गई ...कहानी ख़त्म पैसा हजम। 


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